1. सामाजिक परिवर्तन का युग
- फ़्रांसीसी क्रांति (1789) के बाद स्वतंत्रता और समानता के विचार यूरोप में फैल गए।
- लोगों ने समाज की पुरानी संरचना को बदलने की मांग की।
- राजा राममोहन राय और डेरोज़ियो जैसे भारतीय विचारकों ने भी फ़्रांसीसी क्रांति के महत्व को पहचाना।
- लेकिन सभी लोग तेज़ परिवर्तन के पक्ष में नहीं थे। कुछ लोग धीरे-धीरे सुधार चाहते थे, कुछ आमूल परिवर्तन (रैडिकल)।
2. उदारवादी, रैडिकल और रुढ़िवादी
1. उदारवादी (Liberals)
- सभी धर्मों को समान स्थान देना चाहते थे।
- राजा की निरंकुश सत्ता के विरोधी थे।
- प्रतिनिधि सरकार के समर्थक थे।
- केवल संपत्ति वाले लोगों को वोट देने का अधिकार देने के पक्ष में थे।
2. रैडिकल (Radicals)
- बहुमत के समर्थन वाली सरकार चाहते थे।
- महिला मताधिकार के समर्थक।
- जमींदारों और उद्योगपतियों के विशेषाधिकारों के विरोधी।
- निजी संपत्ति को पूरी तरह खत्म नहीं, लेकिन सीमित करना चाहते थे।
3. रुढ़िवादी (Conservatives)
- पहले बदलाव के खिलाफ थे, लेकिन बाद में धीरे-धीरे सुधार के पक्ष में हो गए।
- अतीत का सम्मान करते हुए परिवर्तन चाहते थे।
3. औद्योगिक समाज और सामाजिक परिवर्तन
- औद्योगिक क्रांति से नए शहर और कारखाने बने।
- काम के घंटे लंबे (10-15 घंटे) और मजदूरी कम थी।
- गरीबी, बेरोज़गारी, असमानता बढ़ी।
- उदारवादी और रैडिकल इन समस्याओं के समाधान की कोशिश कर रहे थे।
- निजी पूंजी पर आधारित उद्योगों के मालिक अधिक लाभ कमाते थे।
- उदारवादी मानते थे – अगर हर व्यक्ति मेहनत करे, तो समाज आगे बढ़ेगा।
4. यूरोप में समाजवाद का आना
- समाज के पुनर्गठन की सबसे गहरी सोच समाजवाद (Socialism) थी।
- समाजवादी निजी संपत्ति के विरोधी थे क्योंकि इससे असमानता पैदा होती है।
- वे चाहते थे कि संपत्ति पर पूरे समाज का स्वामित्व हो।
1. प्रमुख समाजवादी विचारक
- रॉबर्ट ओवेन – सामूहिक जीवन “New Harmony” की स्थापना।
- लुई ब्लांक – सरकार से सामूहिक उद्यमों को प्रोत्साहन की मांग।
- कार्ल मार्क्स और एंगेल्स –
- पूँजीवादी समाज में मजदूरों का शोषण होता है।
- मजदूर वर्ग को सत्ता अपने हाथों में लेकर कम्युनिस्ट समाज बनाना चाहिए।
- भविष्य का समाज सामाजिक स्वामित्व वाला समाज होगा।
5. समाजवाद के लिए समर्थन
- 1870 के दशक तक समाजवादी विचार पूरे यूरोप में फैल गए।
- समाजवादियों ने “द्वितीय इंटरनेशनल” नामक अंतर्राष्ट्रीय संस्था बनाई।
- मजदूरों ने संगठन बनाकर –
- कार्य समय घटाने,
- वेतन बढ़ाने,
- और मताधिकार की माँग की।
- जर्मनी में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (SPD) औरब्रिटेन में लेबर पार्टी बनी।
- 1914 तक समाजवादी सरकार में शामिल नहीं हो पाए, लेकिन उनका प्रभाव बढ़ा।
6. रूसी क्रांति
1. 1917 की अक्तूबर क्रांति
- यूरोप के पिछड़े औद्योगिक देश रूस में समाजवादियों ने सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया।
- फरवरी 1917 में राजशाही समाप्त,अक्तूबर 1917 में बोल्शेविकों ने सरकार बनाई।
7. रूसी साम्राज्य (1914)
- शासक – जार निकोलस II।
- साम्राज्य में रूस, यूक्रेन, पोलैंड, फिनलैंड, जॉर्जिया आदि क्षेत्र थे।
- बहुसंख्यक रूसी ऑर्थोडॉक्स ईसाई थे।
8. अर्थव्यवस्था और समाज
- 85% लोग खेती पर निर्भर थे।
- किसान चाहते थे – जमीन बाँटी जाए, लगान माफ़ हो।
- कारखानों में काम कठिन, मजदूरी कम और घंटे लंबे थे।
- मजदूरों के बीच भी भेदभाव था – कुशल मजदूरों को अधिक सम्मान।
- 1896-1902 के बीच मजदूरों ने बड़ी हड़तालें कीं।
9. रूस में समाजवाद
- 1898 – “रशियन सोशल डेमोक्रेटिक वर्कर्स पार्टी” का गठन।
- दो गुट बने –
- बोल्शेविक (लेनिन के नेतृत्व में) – अनुशासित, संगठित पार्टी।
- मेन्शेविक – सबके लिए खुली पार्टी।
3. सोशलिस्ट रिवोल्यूशनरी पार्टी ने किसानों के अधिकारों के लिए काम किया।
10. 1905 की क्रांति
- खूनी रविवार (Bloody Sunday) – मजदूरों पर पुलिस द्वारा गोलीबारी।
- मजदूरों की माँगें –
- काम के घंटे घटाना,
- वेतन बढ़ाना,
- संविधान बनाना।
3.इसके बाद जार ने “ड्यूमा” (संसद) बनाने की घोषणा की, पर असली शक्ति खुद रखी।
11. प्रथम विश्वयुद्ध और रूस
- 1914 में रूस युद्ध में शामिल हुआ (फ्रांस-ब्रिटेन के साथ)।
- आर्थिक संकट, भूखमरी, बेरोजगारी बढ़ी।
- 70 लाख सैनिक मारे गए, जनता नाराज़ हो गई।
- रोटी और सामान की भारी कमी से दंगे हुए।
12. पेत्रोग्राद में फरवरी क्रांति (1917)
- ठंड, भूख और रोटी की कमी से मजदूरों ने हड़ताल की।
- महिलाओं ने आंदोलन की अगुवाई की (अब यही “अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस” कहलाता है)।
- सैनिकों ने मजदूरों का साथ दिया।
- जार ने 2 मार्च 1917 को गद्दी छोड़ दी।
- अंतरिम सरकार बनी और साथ ही सोवियत (परिषदें) भी।
13. लेनिन की “अप्रैल थीसिस”
1.लेनिन की प्रमुख माँगें:
- युद्ध समाप्त किया जाए।
- जमीन किसानों को दी जाए।
- बैंकों का राष्ट्रीयकरण हो।
- सत्ता सोवियतों के हाथ में आए।
14. अक्तूबर 1917 की क्रांति
- 24 अक्तूबर 1917 को बोल्शेविकों ने पेत्रोग्राद में सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया।
- लेनिन और ट्रॉट्स्की के नेतृत्व में “सैनिक क्रांतिकारी समिति” ने सरकार गिरा दी।
- राजशाही समाप्त, रूस बना सोवियत गणराज्य।
15. अक्तूबर के बाद परिवर्तन
- निजी संपत्ति समाप्त, उद्योगों और बैंकों का राष्ट्रीयकरण।
- जमीन किसानों में बाँटी गई।
- बड़े मकान गरीबों में बाँटे गए।
- सेना और अफसरों की वर्दी बदली गई (सोवियत टोपी “बुदियोनोव्का”)।
- रूस का नाम बना सोवियत संघ (USSR)।
16.गृह युद्ध (1918-1920)
- रेड्स (बोल्शेविक) बनाम व्हाइट्स (राजाशाही समर्थक)।
- विदेशी ताकतें (अमेरिका, ब्रिटेन, जापान) व्हाइट्स की मदद कर रही थीं।
- जनता का समर्थन रेड्स को मिला, और 1920 तक बोल्शेविकों की जीत हुई।
- 1922 में बना सोवियत संघ (USSR)।
17. समाजवादी समाज का निर्माण
- पंचवर्षीय योजनाएँ (Five-Year Plans) लागू की गईं।
- उद्योगों का तीव्र विकास, शहरों का विस्तार।
- शिक्षा, स्वास्थ्य, और महिला कल्याण पर ज़ोर।
- मजदूरों के लिए मकान और फैक्ट्रियों में बालवाड़ियाँ खोली गईं।
18. स्तालिनवाद और सामूहिकीकरण
- स्तालिन ने खेती का सामूहिकीकरण किया (1929 से)।
- छोटे खेतों को मिलाकर बड़े कोलखोज (Collective Farms) बनाए गए।
- किसानों ने विरोध किया – मवेशी मार दिए, फसलें नष्ट कीं।
- 1930-33 में भीषण अकाल, लगभग 40 लाख लोगों की मृत्यु।
- आलोचकों को कैद या मार दिया गया – इसे “स्तालिनवाद” कहा गया।

Leave a Reply