1. प्रथम विश्वयुद्ध के बाद का जर्मनी
- प्रथम विश्वयुद्ध (1914-1918) में जर्मनी की पराजय हुई।
- युद्ध के बाद वर्साय संधि (Treaty of Versailles) हुई जिसने जर्मनी पर कड़े दंड लगाए।
- जर्मनी को –
- अपनी सेनाएँ घटानी पड़ीं,
- क्षेत्र खोने पड़े,
- और भारी युद्ध क्षतिपूर्ति (Reparations) भरनी पड़ी।
4.जनता में अपमान, गरीबी और असंतोष बढ़ा।
2. वाइमर गणराज्य (Weimar Republic)
1.युद्ध के बाद 1919 में वाइमर गणराज्य की स्थापना हुई।
2.यह एक लोकतांत्रिक शासन था, परंतु लोगों ने इसे कभी पसंद नहीं किया।
3.कारण –
- युद्ध के बाद की आर्थिक तबाही,
- वर्साय संधि की बेइज़्ज़ती,
- रोज़गार की कमी और महँगाई।
4.सरकार कमज़ोर थी और जनता ने इसे अपमान का प्रतीक माना।
3. आर्थिक संकट और अस्थिरता
- 1923 में भयंकर मुद्रास्फीति (Inflation) हुई -एक रोटी की कीमत कई लाख जर्मन मार्क हो गई।
- बाद में कुछ सालों तक स्थिति सुधरी, लेकिन1929 के महामंदी (Great Depression) से फिर संकट गहरा गया।
- लाखों लोग बेरोज़गार हो गए।
- कारखाने बंद, किसान कर्ज़ में डूबे, और व्यापार ठप हो गया।
4. नात्सी पार्टी और हिटलर का उदय
1.एडॉल्फ हिटलर ने 1919 में जर्मन वर्कर्स पार्टी जॉइन की।
2.बाद में इसका नाम बदलकर नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी (Nazi Party) रखा गया।
3.नात्सी पार्टी के प्रतीक:
- स्वस्तिक चिन्ह (हुक्ड क्रॉस),
- सलामी का अंदाज़ – “हाइल हिटलर”,
- लाल झंडा और सैन्य अनुशासन।
1. हिटलर के वादे
- राष्ट्रीय गौरव को पुनः स्थापित करना।
- वर्साय संधि समाप्त करना।
- रोज़गार और स्थिरता लाना।
- कम्युनिज़्म और यहूदियों का अंत करना।
2. सत्ता की प्राप्ति
- 1932 तक नात्सी पार्टी जर्मनी की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई।
- 1933 में हिटलर को चांसलर नियुक्त किया गया।
- उसने धीरे-धीरे सारी शक्तियाँ अपने हाथ में ले लीं औरलोकतंत्र समाप्त कर तानाशाही स्थापित की।
5. नात्सी शासन की नीतियाँ
1. एकदलीय शासन
- सभी अन्य राजनीतिक पार्टियाँ प्रतिबंधित की गईं।
- केवल नात्सी पार्टी को अनुमति थी।
2. प्रचार (Propaganda)
- सरकार ने मीडिया, रेडियो, किताबों, फिल्मों के माध्यम सेजनता के मन में नात्सी विचारधारा भर दी।
- जोसेफ गोएबल्स प्रचार मंत्री था।
3. पुलिस राज्य
- गेस्टापो (गुप्त पुलिस) ने हर विरोधी पर निगरानी रखी।
- क़ैद और यातना शिविर (Concentration Camps) बनाए गए।
- सरकार की आलोचना देशद्रोह मानी जाती थी।
6. हिटलर की विचारधारा
- हिटलर का विश्वास था कि जर्मन जाति सर्वोच्च (Aryan Race) है।
- वह यहूदियों, कम्युनिस्टों, विकलांगों औरअन्य जातियों को नीचा मानता था।
- वह चाहता था कि जर्मनी दुनिया का सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बने।
- उसने कहा – “एक नेता, एक जनता, एक साम्राज्य।”
- सैन्य शक्ति, राष्ट्रीय गर्व, और आज्ञापालन को सर्वोच्च मूल्य माना गया।
7. यहूदी विरोध (Anti-Semitism)
1.हिटलर ने यहूदियों को सभी समस्याओं का कारण बताया।
2.यहूदियों को नागरिक अधिकारों से वंचित कर दिया गया।
3.1935 के न्यूरमबर्ग कानून के तहत –
- यहूदी सरकारी नौकरियाँ नहीं कर सकते थे,
- शादी या संपत्ति खरीदना मना था।
4.1938 की “क्रिस्टल नाइट” (Night of Broken Glass) मेंयहूदी घरों और दुकानों को नष्ट कर दिया गया।
5.लाखों यहूदियों को क़ैद शिविरों में भेजकर मारा गया।
8. द्वितीय विश्वयुद्ध की ओर
- हिटलर ने वर्साय संधि तोड़ी और सैन्य निर्माण शुरू किया।
- उसने राइनलैंड, ऑस्ट्रिया और चेकोस्लोवाकिया पर कब्ज़ा किया।
- 1 सितंबर 1939 को पोलैंड पर हमला किया -जिससे द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू हुआ।
- युद्ध में जर्मनी को फिर हार मिली।
- 1945 में हिटलर ने आत्महत्या कर ली।
9. नात्सी अपराध और परिणाम
- नात्सी शासन में लगभग 60 लाख यहूदियों की हत्या हुई -इसे “यहूदी नरसंहार (Holocaust)” कहा गया।
- अन्य समुदायों – रोम, स्लाव, विकलांग – को भी मारा गया।
- युद्ध के बाद न्यूरमबर्ग ट्रायल में नात्सी अपराधियों को सज़ा दी गई।
- जर्मनी को पूर्वी और पश्चिमी भागों में बाँट दिया गया।

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