1. परिचय
- इस अध्याय में बताया गया है कि जंगलों में रहने वाले समुदायों की जिंदगी और औपनिवेशिक काल में वनों के साथ हुए बदलावों का क्या असर पड़ा।
- अंग्रेज़ों ने जंगलों को नियंत्रित किया, नियम बनाए और जंगलों के उपयोग के तरीके बदल दिए।
- इससे वनवासी समुदायों, झूम खेती करने वालों और चरवाहों की आजीविका प्रभावित हुई।
2. वनों का विनाश क्यों हुआ?
1. ज़मीन की बेहतरी
- पहले भारत के कुल भूभाग का लगभग छठा हिस्सा खेती योग्य था; औपनिवेशिक काल तक यह आधा हो गया।
- बढ़ती आबादी और खाद्य पदार्थों की ज़रूरत के कारण किसानों ने जंगल साफ़ कर खेती का विस्तार किया।
- अंग्रेज़ों ने व्यावसायिक फसलों (गन्ना, कपास, गेहूँ, पटसन) की खेती को बढ़ावा दिया।
- उन्होंने जंगलों को “अनुत्पादक” मानकर काटने का आदेश दिया ताकि खेती और राजस्व बढ़ाया जा सके।
2. पटरी पर स्लीपर
- रेलवे के निर्माण के लिए भारी मात्रा में लकड़ी की आवश्यकता थी।
- एक मील रेल पटरी के लिए 1760–2000 स्लीपर चाहिए होते थे।
- इंग्लैंड में बलूत के जंगल खत्म होने के बाद भारत से लकड़ी भेजी जाने लगी।
- इससे जंगलों की अंधाधुंध कटाई हुई।
3. बागान
- यूरोप में चाय, कॉफी और रबड़ की मांग बढ़ी।
- अंग्रेज़ों ने जंगल साफ़ करके यूरोपीय बागान मालिकों को ज़मीन दी।
- इन बागानों में चाय, कॉफी, रबड़ जैसी फसलें उगाई जाने लगीं।
3. व्यावसायिक वानिकी की शुरुआत
- अंग्रेज़ों को जहाज और रेल के लिए लकड़ी चाहिए थी, इसलिए उन्होंने वैज्ञानिक वानिकी (Scientific Forestry) लागू की।
- जर्मन विशेषज्ञ डाइट्रिच ब्रैडिस को भारत का पहला वन महानिदेशक बनाया गया।
- 1864 में भारतीय वन सेवा बनी और 1865 में भारतीय वन अधिनियम पारित हुआ।
- 1906 में देहरादून में इम्पीरियल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट स्थापित हुआ।
4. वैज्ञानिक वानिकी की विशेषताएँ
- प्राकृतिक विविध वनों को काटकर एक ही प्रकार के पेड़ (जैसे सागौन, साल) लगाए गए।
- वनों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया –
- आरक्षित वन
- सुरक्षित वन
- ग्रामीण वन
3. आरक्षित वनों से लकड़ी या चारा लेने की अनुमति नहीं थी।
5. लोगों के जीवन पर प्रभाव
- ग्रामीणों की ज़रूरतें (ईंधन, चारा, फल) और वन विभाग के उद्देश्य (लकड़ी उत्पादन) अलग-अलग थे।
- महुआ, तेंदू पत्ते, बाँस, गोंद जैसे वन उत्पादों पर प्रतिबंध लगा।
- महिलाएँ ईंधन लकड़ी लाने में परेशान हुईं, उन्हें घूस देने की नौबत आई।
6. वनों के नियमन से खेती पर असर
- झूम खेती (घुमंतू खेती) पर रोक लगाई गई।
- जंगल जलाकर अस्थायी खेती की जाती थी, जिसे अंग्रेज़ नुकसानदेह मानते थे।
- सरकार ने झूम खेती करने वालों को जंगलों से विस्थापित किया।
- इससे कई समुदायों ने विद्रोह किए।
7. शिकार की आज़ादी किसे थी?
- पहले वनवासी छोटे जानवरों का शिकार करते थे, पर नए कानूनों ने इसे अपराध बना दिया।
- अंग्रेज़ों ने बाघ, तेंदुआ, भेड़िये आदि को “खतरनाक” कहकर मारने पर इनाम रखे।
- 1875–1925 के बीच 80,000 बाघ, 1,50,000 तेंदुए और 2,00,000 भेड़िये मारे गए।
- बाघ के शिकार को “खेल” की तरह देखा जाने लगा।
8. नए व्यापार, नए रोज़गार
- जंगलों पर सरकारी नियंत्रण के बाद कुछ लोगों ने व्यापार शुरू किया।
- यूरोपीय कंपनियों को वन उत्पादों (गोंद, राल, बाँस, हाथी-दाँत आदि) का व्यापारिक अधिकार (इजारेदारी) दिया गया।
- आदिवासी मजदूरी पर बागानों व खदानों में काम करने लगे।
- मजदूरी बहुत कम और स्थिति खराब थी।
9. वन विद्रोह – बस्तर (1910)
1. बस्तर के लोग
- बस्तर (छत्तीसगढ़) में मरिया, मुरिया, गोंड, हलबा आदि आदिवासी रहते थे।
- ये लोग धरती, नदी, जंगल की पूजा करते थे और प्राकृतिक संसाधनों की देखभाल करते थे।
2. विद्रोह के कारण
- 1905 में जंगलों को “आरक्षित” करने की योजना बनी।
- घुमंतू खेती, शिकार और वन उत्पादों पर प्रतिबंध लगा।
- लगान, बेगार और अकाल से लोग पहले ही परेशान थे।
3. बस्तर विद्रोह (1910)
- विद्रोह का नेतृत्व गुंडा धूर ने किया।
- लोगों ने अंग्रेज़ अफसरों, व्यापारियों, पुलिस थानों और स्कूलों पर हमला किया।
- तीन महीनों में अंग्रेजों ने विद्रोह दबा दिया, पर आरक्षण की नीति रोकनी पड़ी।
10. इंडोनेशिया (जावा) के जंगल
1. जावा के लकड़हारे – कलांग समुदाय
- कुशल लकड़हारे थे, डचों के शासन में जबरन काम कराया गया।
- 1770 में उन्होंने विद्रोह किया लेकिन दबा दिया गया।
2. डच वैज्ञानिक वानिकी
- जंगलों में मवेशी चराना, लकड़ी ले जाना, या बिना परमिट प्रवेश करना अपराध बना दिया गया।
- कुछ गाँवों को ब्लैन्डॉन्गडिएन्स्टेन व्यवस्था में शामिल किया गया – उन्हें पेड़ काटने व ढोने का काम मुफ्त में करना पड़ता था।
3. सामिन आंदोलन
- 1890 में सुरोन्तिको सामिन ने आंदोलन चलाया।
- कहा कि हवा, पानी, जमीन राज्य की नहीं हो सकती।
- 3000 परिवार उसके विचारों से जुड़े।
11. युद्ध और वन-विनाश
- प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध में जंगलों की अंधाधुंध कटाई की गई।
- भारत में अंग्रेज़ों ने युद्ध के लिए पेड़ों की बड़ी मात्रा में कटाई कराई।
- जावा में डचों ने ‘भस्म कर भागो’ नीति अपनाई और फिर जापानियों ने भी जंगलों का शोषण किया।
12. वानिकी में नए बदलाव
- 1980 के बाद सरकारों को समझ आया कि “वैज्ञानिक वानिकी” से नुकसान हुआ।
- अब लक्ष्य — जंगलों का संरक्षण है, न कि केवल लकड़ी उत्पादन।
- ग्रामीणों और स्थानीय समुदायों को वन प्रबंधन में शामिल किया गया।
- पवित्र बगीचे (सरना, देवराकुडु, कान, राई) जैसी स्थानीय परंपराओं से जंगल बचे रहे।

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