आधुनिक विश्व में चरवाहे
प्रश्नों के उत्तर
प्रश्न 1.स्पष्ट कीजिए कि घुमंतू समुदायों को बार-बार एक जगह से दूसरी जगह क्यों जाना पड़ता है? इस निरंतर आवागमन से पर्यावरण को क्या लाभ हैं?
 उत्तर:घुमंतू समुदाय अपने जानवरों के लिए नए चरागाहों की तलाश में बार-बार एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं।मौसम बदलने पर जब एक चरागाह की घास समाप्त हो जाती है, तो वे दूसरे हरे-भरे चरागाह की ओर चले जाते हैं।इस तरह के आवागमन से चरागाहों पर ज़रूरत से ज़्यादा दबाव नहीं पड़ता।जिस चरागाह को कुछ समय के लिए छोड़ दिया जाता है, उसमें फिर से हरियाली लौट आती है और वह दोबारा उपयोग के योग्य बन जाता है।इस प्रकार निरंतर आवागमन से पर्यावरण में संतुलन बना रहता है और भूमि की उर्वरता बनी रहती है।
प्रश्न 2.इस बारे में चर्चा कीजिए कि औपनिवेशिक सरकार ने निम्नलिखित कानून क्यों बनाए? यह भी बताइए कि इन कानूनों से चरवाहों के जीवन पर क्या असर पड़ा:
(क) परती भूमि नियमावली
 उत्तर:अंग्रेज़ सरकार बिना खेती की जमीन को “बेकार” मानती थी।उसने परती भूमि को खेती योग्य बनाकर राजस्व बढ़ाने के लिए यह नियम बनाया।इससे चरवाहों के चरागाह खेती में बदल गए और उनके पास चराने की जगहें कम पड़ गईं।
(ख) वन अधिनियम
 उत्तर:सरकार ने कीमती लकड़ी वाले जंगलों को “आरक्षित” और “संरक्षित” घोषित किया।चरवाहों की जंगलों में चराने की स्वतंत्रता समाप्त कर दी गई।उन्हें परमिट लेकर सीमित समय के लिए ही जंगल में जाने की इजाजत दी जाती थी।इससे उनका पारंपरिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ।
(ग) अपराधी जनजाति अधिनियम
 उत्तर:अंग्रेज़ शासन ने घूम-घूमकर व्यापार या चरवाही करने वाले समुदायों को शक की नज़र से देखा।1871 में यह अधिनियम पारित कर उन्हें “जन्मजात अपराधी” घोषित किया गया।उनकी आवाजाही पर रोक लगी और उन्हें निश्चित बस्तियों में बसने को मजबूर किया गया।इससे उनके पारंपरिक पेशे और स्वतंत्र जीवन पर गहरा असर पड़ा।
(घ) चराई कर
 उत्तर:सरकार ने अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए हर जानवर पर टैक्स लगाना शुरू किया।चरवाहों को चरागाह में जाने के लिए पास बनवाकर टैक्स देना पड़ता था।टैक्स की दरें लगातार बढ़ती गईं जिससे चरवाहों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई।
प्रश्न 3.मासाई समुदाय के चरागाह उससे क्यों छिन गए? कारण बताएँ।
 उत्तर:औपनिवेशिक शासन से पहले मासाईलैंड का क्षेत्र बहुत विस्तृत था।1885 में ब्रिटिश कीनिया और जर्मन तांगान्यिका के बीच सीमा खींच दी गई जिससे मासाईलैंड दो हिस्सों में बँट गया।सरकार ने गोरों को बसाने और खेती बढ़ाने के लिए उनके उपजाऊ चरागाहों पर कब्ज़ा कर लिया।कई इलाकों को “शिकारगाह” और “राष्ट्रीय उद्यान” घोषित कर दिया गया जहाँ मासाइयों का प्रवेश निषिद्ध था।इस तरह औपनिवेशिक नीतियों ने उनके अधिकांश चरागाह उनसे छीन लिए और उन्हें सूखे इलाकों में सीमित कर दिया गया।
प्रश्न 4.आधुनिक विश्व ने भारत और पूर्वी अफ्रीकी चरवाहा समुदायों के जीवन में जिन परिवर्तनों को जन्म दिया, उनमें कई समानताएँ थीं। ऐसे दो परिवर्तनों के बारे में लिखिए जो भारतीय चरवाहों और मासाई गड़रियों, दोनों के बीच समान रूप से मौजूद थे।
उत्तर:
 1.चरागाहों का सिमटना:
 उत्तर:औपनिवेशिक शासन में दोनों क्षेत्रों में खेती का विस्तार हुआ और चरागाहों को सरकारी कब्ज़े में लेकर खेती या आरक्षित भूमि में बदला गया।इससे चरवाहों की चराने की जगहें घट गईं।
2.आवाजाही पर रोक और करों का बढ़ना:
 उत्तर:भारत में चरवाहों पर पास सिस्टम और टैक्स लगाए गए, वहीं अफ्रीका में मासाइयों को सीमित इलाकों में कैद कर दिया गया।दोनों को अपनी पारंपरिक चरवाही में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हुई।

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