Short Questions Answer
प्रश्न 1: लोकतंत्र में चुनाव क्यों आवश्यक हैं?
 उत्तर: चुनाव लोगों को अपनी पसंद के प्रतिनिधि चुनने और सरकार बदलने का अवसर देते हैं।
प्रश्न 2: हरियाणा के 1987 के चुनाव में देवीलाल ने क्या वादा किया था?
 उत्तर: उन्होंने किसानों और छोटे व्यापारियों के कर्ज़ माफ़ करने का वादा किया था।
प्रश्न 3: निर्वाचन क्षेत्र क्या होता है?
 उत्तर: निर्वाचन क्षेत्र वह भौगोलिक इलाका है जिसके मतदाता एक प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं।
प्रश्न 4: मतदाता सूची क्या कहलाती है?
 उत्तर: मतदाता सूची उन लोगों की आधिकारिक सूची है जिन्हें मतदान का अधिकार प्राप्त है।
प्रश्न 5: भारत में मतदान की न्यूनतम आयु क्या है?
 उत्तर: भारत में मतदान की न्यूनतम आयु 18 वर्ष है।
प्रश्न 6: अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र क्यों बनाए गए?
 उत्तर: ताकि कमजोर वर्गों को संसद और विधानसभाओं में उचित प्रतिनिधित्व मिल सके।
प्रश्न 7: चुनाव प्रचार की अवधि सामान्यतः कितनी होती है?
 उत्तर: उम्मीदवारों की अंतिम सूची घोषित होने से मतदान की तारीख तक लगभग दो सप्ताह की होती है।
प्रश्न 8: निर्वाचन आयोग का मुख्य कार्य क्या है?
 उत्तर: निर्वाचन आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाने का कार्य करता है।
प्रश्न 9: चुनावी आचार संहिता का उद्देश्य क्या है?
 उत्तर: यह सुनिश्चित करना कि सभी दलों और उम्मीदवारों को चुनाव में समान अवसर मिले।
प्रश्न 10: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का क्या उपयोग है?
 उत्तर: यह मतदान प्रक्रिया को आसान, तेज़ और पारदर्शी बनाने के लिए उपयोग की जाती है।
Long Questions Answer
प्रश्न 1: लोकतंत्र में चुनावों की आवश्यकता क्यों होती है?
 उत्तर: लोकतंत्र में सभी लोग सीधे शासन नहीं कर सकते, इसलिए लोग अपने प्रतिनिधि चुनते हैं जो उनकी ओर से निर्णय लेते हैं। चुनाव यह सुनिश्चित करते हैं कि जनता की इच्छा के अनुसार सरकार बने और यदि जनता असंतुष्ट हो तो सरकार को बदला जा सके।
प्रश्न 2: हरियाणा के 1987 के विधानसभा चुनाव से हमें क्या सीख मिलती है?
 उत्तर: इस चुनाव ने दिखाया कि जनता चुनाव के माध्यम से सरकार बदल सकती है। देवीलाल के वायदों से लोग प्रभावित हुए और उन्होंने कांग्रेस को हटा कर लोकदल को चुना। इससे पता चलता है कि चुनाव सरकार की नीतियों में बदलाव लाने का एक माध्यम हैं।
प्रश्न 3: लोकतांत्रिक चुनाव के पाँच प्रमुख मानक कौन से हैं?
 उत्तर:
- सभी को मतदान का अधिकार हो।
- मतदाताओं के लिए कई विकल्प उपलब्ध हों।
- चुनाव नियमित अंतराल पर हों।
- लोग जिसे चाहें उसी का चुनाव परिणाम में झलके।
- चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हों।
 इनसे ही चुनाव को वास्तव में लोकतांत्रिक माना जा सकता है।
प्रश्न 4: भारत में निर्वाचन क्षेत्र कैसे तय किए जाते हैं?
 उत्तर: देश को चुनाव के उद्देश्य से कई निर्वाचन क्षेत्रों में बाँटा गया है। हर क्षेत्र से एक प्रतिनिधि चुना जाता है। लोकसभा के लिए 543 निर्वाचन क्षेत्र बनाए गए हैं और हर क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या लगभग समान रखी जाती है ताकि प्रत्येक वोट का समान मूल्य हो।
प्रश्न 5: आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र की आवश्यकता क्यों पड़ी?
 उत्तर: संविधान निर्माताओं को चिंता थी कि कमजोर वर्गों के लोग सामान्य चुनाव में जीत नहीं पाएँगे, इसलिए अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए सीटें आरक्षित की गईं ताकि उनका भी प्रतिनिधित्व संसद और विधानसभाओं में हो सके।
प्रश्न 6: चुनाव आयोग को स्वतंत्र और शक्तिशाली संस्था क्यों कहा जाता है?
 उत्तर: क्योंकि यह सरकार से स्वतंत्र होकर चुनाव करवाता है, चुनाव प्रक्रिया की निगरानी करता है, आदर्श आचार संहिता लागू करता है, और उल्लंघन करने पर कार्रवाई कर सकता है। इसके आदेशों को सरकार को भी मानना पड़ता है।
प्रश्न 7: मतदाता सूची का महत्व समझाइए।
 उत्तर: मतदाता सूची लोकतांत्रिक चुनाव की नींव है। यह सुनिश्चित करती है कि सभी योग्य नागरिकों को समान अवसर मिले और कोई भी व्यक्ति अनुचित रूप से मतदान अधिकार से वंचित न हो। हर पाँच वर्ष में इसका नवीनीकरण किया जाता है।
प्रश्न 8: चुनावी अभियान की क्या भूमिका है?
 उत्तर: चुनाव अभियान मतदाताओं को विभिन्न दलों और उम्मीदवारों की नीतियों से अवगत कराता है। इस दौरान जनसभाएँ, भाषण और मीडिया बहसें होती हैं, जिससे मतदाता सूचित निर्णय ले पाते हैं।
प्रश्न 9: भारत में चुनाव को लोकतांत्रिक क्यों कहा जाता है?
 उत्तर: क्योंकि यहाँ सभी नागरिकों को समान मताधिकार है, नियमित अंतराल पर चुनाव होते हैं, स्वतंत्र निर्वाचन आयोग चुनाव करवाता है, और हारने वाली पार्टियाँ भी नतीजों को स्वीकार करती हैं। इससे जनता की इच्छा सर्वोपरि रहती है।
प्रश्न 10: भारतीय चुनाव प्रणाली की प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
 उत्तर:
- अमीर और प्रभावशाली उम्मीदवारों का वर्चस्व।
- कुछ क्षेत्रों में आपराधिक तत्वों का प्रभाव।
- भाई-भतीजावाद।
- छोटे दलों और निर्दलीयों को कठिनाई।
 फिर भी, ये चुनौतियाँ लोकतंत्र को खत्म नहीं करतीं, बल्कि सुधार की दिशा में सोचने को प्रेरित करती हैं।

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