Short Questions Answer
प्रश्न 1: लोकतंत्र में संस्थाओं की क्या भूमिका होती है?
 उत्तर: संस्थाएँ लोकतंत्र में नियमों के अनुसार निर्णय लेने, उन्हें लागू करने और विवादों को सुलझाने का काम करती हैं।
प्रश्न 2: 13 अगस्त 1990 के सरकारी आदेश का क्या महत्व था?
 उत्तर: इस आदेश में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों में 27% आरक्षण की घोषणा की गई थी।
प्रश्न 3: मंडल आयोग की स्थापना कब हुई थी?
 उत्तर: मंडल आयोग की स्थापना 1979 में हुई थी।
प्रश्न 4: प्रधानमंत्री को कैसे नियुक्त किया जाता है?
 उत्तर: राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत वाली पार्टी या गठबंधन के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है।
प्रश्न 5: संसद के दो सदन कौन-कौन से हैं?
 उत्तर: लोकसभा और राज्यसभा।
प्रश्न 6: कार्यपालिका के दो प्रकार कौन से हैं?
 उत्तर: राजनैतिक कार्यपालिका और स्थायी कार्यपालिका।
प्रश्न 7: न्यायपालिका की स्वतंत्रता का क्या अर्थ है?
 उत्तर: इसका अर्थ है कि अदालतें विधायिका या कार्यपालिका के नियंत्रण में नहीं होतीं और निष्पक्ष निर्णय लेती हैं।
प्रश्न 8: न्यायिक समीक्षा क्या है?
 उत्तर: जब न्यायालय किसी कानून या सरकारी कार्रवाई की संवैधानिक वैधता की जाँच करता है, तो उसे न्यायिक समीक्षा कहा जाता है।
प्रश्न 9: प्रधानमंत्री का मुख्य कार्य क्या होता है?
 उत्तर: प्रधानमंत्री कैबिनेट की बैठकों की अध्यक्षता करता है और सभी मंत्रालयों के कार्यों का समन्वय करता है।
प्रश्न 10: भारत में राष्ट्रपति की भूमिका कैसी होती है?
 उत्तर: भारत में राष्ट्रपति राष्ट्राध्यक्ष होता है और अधिकतर कार्य मंत्रिपरिषद् की सलाह पर करता है।
Long Questions Answer
प्रश्न 1: मंडल आयोग की सिफारिशें और उनके कार्यान्वयन की प्रक्रिया समझाइए।
 उत्तर: मंडल आयोग 1979 में गठित हुआ था और 1980 में अपनी सिफारिशें दीं। इसमें सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए 27% आरक्षण की सिफारिश की गई थी। 1989 में जनता दल की सरकार ने इसे लागू करने का वादा किया और प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह के नेतृत्व में 1990 में आदेश जारी हुआ। बाद में यह मामला सर्वोच्च न्यायालय पहुँचा जिसने 1992 में इस नीति को मान्यता दी।
प्रश्न 2: लोकतंत्र में संस्थाएँ क्यों आवश्यक हैं?
 उत्तर: संस्थाएँ निर्णय लेने, उन्हें लागू करने और विवाद सुलझाने में मदद करती हैं। वे सुनिश्चित करती हैं कि शासन संविधान के अनुसार चले। यदि सभी निर्णय एक व्यक्ति करे, तो लोकतंत्र कमजोर हो जाएगा। संस्थाओं के कारण निर्णय लेने में समय लगता है लेकिन ये निर्णय अधिक विवेकपूर्ण और संतुलित होते हैं।
प्रश्न 3: संसद की आवश्यकता क्यों है?
 उत्तर: संसद जनता की प्रतिनिधि संस्था है जो जनता की ओर से शासन करती है। संसद कानून बनाती है, सरकार को नियंत्रित करती है, बजट को मंजूरी देती है और राष्ट्रीय नीतियों पर चर्चा करती है। इसी के कारण संसद लोकतंत्र की आत्मा कही जाती है।
प्रश्न 4: लोकसभा और राज्यसभा में क्या अंतर है?
 उत्तर: लोकसभा के सदस्य सीधे जनता द्वारा चुने जाते हैं जबकि राज्यसभा के सदस्य राज्यों की विधानसभाओं द्वारा चुने जाते हैं। लोकसभा को भंग किया जा सकता है जबकि राज्यसभा स्थायी होती है। धन संबंधी विधेयकों पर लोकसभा का अधिकार अधिक होता है और वही सरकार को नियंत्रित करती है।
प्रश्न 5: राजनैतिक और स्थायी कार्यपालिका में क्या अंतर है?
 उत्तर: राजनैतिक कार्यपालिका जनता द्वारा चुनी जाती है और नीतिगत निर्णय लेती है, जबकि स्थायी कार्यपालिका यानी नौकरशाही प्रशासनिक कार्यों को लागू करती है। मंत्री निर्णय लेते हैं और अधिकारी उन्हें अमल में लाते हैं।
प्रश्न 6: प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद् की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
 उत्तर: प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है और सभी मंत्रालयों के कार्यों का समन्वय करता है। वह कैबिनेट की अध्यक्षता करता है और मंत्रियों का चयन करता है। कैबिनेट सामूहिक रूप से निर्णय लेती है और सभी मंत्री इन निर्णयों के लिए जिम्मेदार होते हैं।
प्रश्न 7: भारत में राष्ट्रपति के अधिकार और सीमाएँ बताइए।
 उत्तर: राष्ट्रपति देश का राष्ट्राध्यक्ष है और सभी सरकारी कार्य उसके नाम से होते हैं। लेकिन वह अधिकांश कार्य मंत्रिपरिषद् की सलाह पर करता है। वह विधेयकों को पुनर्विचार के लिए लौटा सकता है, पर यदि संसद दोबारा पारित करे तो उसे हस्ताक्षर करना अनिवार्य है।
प्रश्न 8: भारतीय न्यायपालिका की संरचना कैसी है?
 उत्तर: भारत में एकीकृत न्यायपालिका है जिसमें सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, जिला और स्थानीय अदालतें शामिल हैं। सर्वोच्च न्यायालय न्यायिक प्रशासन का प्रमुख होता है और सभी अदालतों के फैसलों पर अंतिम अधिकार रखता है।
प्रश्न 9: न्यायपालिका की स्वतंत्रता कैसे सुनिश्चित की गई है?
 उत्तर: न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रधानमंत्री और मुख्य न्यायाधीश की सलाह से होती है, उन्हें हटाना बहुत कठिन है, और वे विधायिका या कार्यपालिका के अधीन नहीं हैं। इस तरह न्यायपालिका पूरी तरह स्वतंत्र है।
प्रश्न 10: लोकतंत्र में संस्थाओं के बीच संतुलन क्यों आवश्यक है?
 उत्तर: अगर सारी शक्तियाँ एक संस्था के पास हों तो सत्ता का दुरुपयोग हो सकता है। इसलिए विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच अधिकारों का विभाजन किया गया है ताकि कोई भी संस्था अत्यधिक शक्तिशाली न बन सके और लोकतंत्र सुरक्षित रहे।

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