(अध्याय 4 – संस्थाओं का कामकाज)
1. अगर आपको भारत का राष्ट्रपति चुना जाए तो आप निम्नलिखित में से कौन-सा फ़ैसला खुद कर सकते हैं?
 क. अपनी पसंद के व्यक्ति को प्रधानमंत्री चुन सकते हैं।
 ख. लोकसभा में बहुमत वाले प्रधानमंत्री को उसके पद से हटा सकते हैं।
 ग. दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक पर पुनर्विचार के लिए कह सकते हैं।
 घ. मंत्रिपरिषद् में अपनी पसंद के नेताओं का चयन कर सकते हैं।
उत्तर: ग. दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक पर पुनर्विचार के लिए कह सकते हैं।
विश्लेषण: दस्तावेज में उल्लेख है कि राष्ट्रपति संसद द्वारा पारित विधेयक को पुनर्विचार के लिए वापस भेज सकता है, लेकिन यदि संसद उसे दोबारा पारित करती है, तो उसे हस्ताक्षर करना पड़ता है। अन्य विकल्पों में राष्ट्रपति को स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने का अधिकार नहीं है, क्योंकि ये निर्णय मंत्रिपरिषद् की सलाह पर आधारित होते हैं।
2. निम्नलिखित में कौन राजनैतिक कार्यपालिका का हिस्सा होता है?
 क. जिलाधीश
 ख. गृह मंत्रालय का सचिव
 ग. गृह मंत्री
 घ. पुलिस महानिदेशक
उत्तर: ग. गृह मंत्री
विश्लेषण: दस्तावेज में बताया गया है कि राजनैतिक कार्यपालिका में जनता द्वारा निर्वाचित लोग, जैसे मंत्री, शामिल होते हैं। गृह मंत्री एक निर्वाचित व्यक्ति है, जबकि अन्य विकल्प (जिलाधीश, गृह मंत्रालय का सचिव, पुलिस महानिदेशक) स्थायी कार्यपालिका (नौकरशाह) का हिस्सा हैं।
3. न्यायपालिका के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा बयान गलत है?
 क. संसद द्वारा पारित प्रत्येक कानून को सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी की जरूरत होती है।
 ख. अगर कोई कानून संविधान की भावना के खिलाफ़ है तो न्यायपालिका उसे अमान्य घोषित कर सकती है।
 ग. न्यायपालिका कार्यपालिका से स्वतंत्र होती है।
 घ. अगर किसी नागरिक के अधिकारों का हनन होता है तो वह अदालत में जा सकता है।
उत्तर: क. संसद द्वारा पारित प्रत्येक कानून को सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी की जरूरत होती है।
विश्लेषण: दस्तावेज में स्पष्ट है कि संसद द्वारा पारित कानून को सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि, यदि कोई कानून संविधान के खिलाफ हो, तो न्यायपालिका उसे अमान्य घोषित कर सकती है। अन्य बयान दस्तावेज के अनुसार सही हैं।
4. निम्नलिखित राजनैतिक संस्थाओं में से कौन-सी संस्था देश के मौजूदा कानून में संशोधन कर सकती है?
 क. सर्वोच्च न्यायालय
 ख. राष्ट्रपति
 ग. प्रधानमंत्री
 घ. संसद
उत्तर: घ. संसद
विश्लेषण: दस्तावेज में उल्लेख है कि संसद को कानून बनाने, मौजूदा कानूनों में संशोधन करने या उन्हें खत्म करने का अधिकार है। अन्य संस्थाएँ, जैसे सर्वोच्च न्यायालय, राष्ट्रपति, या प्रधानमंत्री, यह कार्य नहीं कर सकते।
5. उस मंत्रालय की पहचान करें जिसने निम्नलिखित समाचार जारी किया होगा:
 क. देश से जूट का निर्यात बढ़ाने के लिए एक नई नीति बनाई जा रही है।
 ख. ग्रामीण इलाकों में टेलीफोन सेवाएँ सुलभ करायी जाएँगी।
 ग. सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बिकने वाले चावल और गेहूँ की कीमतें कम की जाएँगी।
 घ. पल्स पोलियो अभियान शुरू किया जाएगा।
 ङ. ऊँची पहाड़ियों पर तैनात सैनिकों के भत्ते बढ़ाए जाएँगे।
उत्तर:
 क. 4. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय
 ख. 5. संचार और सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्रालय
 ग. 2. कृषि, खाद्यान्न और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
 घ. 3. स्वास्थ्य मंत्रालय
 ङ. 1. रक्षा मंत्रालय
विश्लेषण: दस्तावेज में मंत्रालयों का सीधा उल्लेख नहीं है, लेकिन प्रत्येक समाचार से संबंधित क्षेत्र के आधार पर मंत्रालयों की पहचान की गई है। उदाहरण के लिए, जूट निर्यात वाणिज्य से संबंधित है, टेलीफोन सेवाएँ संचार से, और पल्स पोलियो स्वास्थ्य से।
6. देश की विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में से उस राजनैतिक संस्था का नाम बताइए जो निम्नलिखित मामलों में अधिकारों का इस्तेमाल करती है।
 क. सड़क, सचाई जैसे बुनियादी ढाँचों के विकास और नागरिकों की विभिन्न कल्याणकारी गतिविधियों पर कितना पैसा खर्च किया जाएगा।
 ख. स्टॉक एक्सचेंज को नियमित करने संबंधी कानून बनाने की कमेटी के सुझाव पर विचार-विमर्श करती है।
 ग. दो राज्य सरकारों के बीच कानूनी विवाद पर निर्णय लेती है।
 घ. भूकंप पीड़ितों की राहत के प्रयासों के बारे में सूचना माँगती है।
उत्तर:
 क. विधायिका
 ख. विधायिका
 ग. न्यायपालिका
 घ. विधायिका
विश्लेषण: दस्तावेज के अनुसार, संसद (विधायिका) को सार्वजनिक धन खर्च करने, कानून बनाने, और सूचना माँगने का अधिकार है। दो राज्यों के बीच विवाद का निर्णय सर्वोच्च न्यायालय (न्यायपालिका) लेता है।
7. भारत का प्रधानमंत्री सीधे जनता द्वारा क्यों नहीं चुना जाता? निम्नलिखित चार जवाबों में सबसे सही को चुनकर अपनी पसंद के पक्ष में कारण दीजिए:
 क. संसदीय लोकतंत्र में लोकसभा में बहुमत वाली पार्टी का नेता ही प्रधानमंत्री बन सकता है।
 ख. लोकसभा, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उन्हें हटा सकती है।
 ग. चूँकि प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति नियुक्त करता है लिहाजा उसे जनता द्वारा चुने जाने की जरूरत ही नहीं है।
 घ. प्रधानमंत्री के सीधे चुनाव में बहुत ज्यादा खर्च आएगा।
उत्तर: क. संसदीय लोकतंत्र में लोकसभा में बहुमत वाली पार्टी का नेता ही प्रधानमंत्री बन सकता है।
 कारण: दस्तावेज में स्पष्ट है कि भारत में संसदीय लोकतंत्र है, जिसमें प्रधानमंत्री को लोकसभा में बहुमत का समर्थन होना जरूरी है। राष्ट्रपति उसी व्यक्ति को नियुक्त करता है जो लोकसभा में बहुमत हासिल कर सकता हो।
8. तीन दोस्त एक ऐसी फिल्म देखने गए जिसमें हीरो एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बनता है और राज्य में बहुत से बदलाव लाता है। इमरान ने कहा कि देश को इसी चीज की जरूरत है। रिजवान ने कहा कि इस तरह का, बिना संस्थाओं वाला एक व्यक्ति का राज खतरनाक है। शंकर ने कहा कि यह तो एक कल्पना है। कोई भी मंत्री एक दिन में कुछ भी नहीं कर सकता। ऐसी फिल्मों के बारे में आपकी क्या राय है?
उत्तर: ऐसी फिल्में कल्पना पर आधारित हैं, क्योंकि लोकतंत्र में संस्थाओं के बिना एक व्यक्ति अकेले फैसले नहीं ले सकता। दस्तावेज में बताया गया है कि संस्थाएँ फैसलों को लोकतांत्रिक बनाती हैं और बुरे फैसलों को रोकती हैं। रिजवान और शंकर की राय सही है, क्योंकि बिना संस्थाओं के एक व्यक्ति का शासन लोकतंत्र के खिलाफ है और व्यावहारिक नहीं है।
9. एक शिक्षिका छात्रों की संसद के आयोजन की तैयारी कर रही थी। उसने दो छात्राओं से अलग-अलग पार्टियों के नेताओं की भूमिका करने को कहा। उसने उन्हें विकल्प भी दिया। यदि वे चाहें तो राज्य सभा में बहुमत प्राप्त दल की नेता हो सकती थीं और अगर चाहें तो लोकसभा के बहुमत प्राप्त दल की। अगर आपको यह विकल्प दिया गया तो आप क्या चुनेंगे और क्यों?
उत्तर: मैं लोकसभा के बहुमत प्राप्त दल की नेता चुनूँगा, क्योंकि दस्तावेज के अनुसार लोकसभा अधिक प्रभावशाली है। यह सरकार को नियंत्रित करती है, पैसों के मामलों में अधिक अधिकार रखती है, और मंत्रिपरिषद को हटा सकती है।
10. आरक्षण पर आदेश का उदाहरण पढ़कर तीन विद्यार्थियों की न्यायपालिका की भूमिका पर अलग-अलग प्रतिक्रिया थी। इनमें से कौन-सी प्रतिक्रिया, न्यायपालिका की भूमिका को सही तरह से समझती है?
 क. श्रीनिवास का तर्क है कि चूँकि सर्वोच्च न्यायालय सरकार के साथ सहमत हो गई है लिहाजा वह स्वतंत्र नहीं है।
 ख. अंजैया का कहना है कि न्यायपालिका स्वतंत्र है क्योंकि वह सरकार के आदेश के खिलाफ़ फ़ैसला सुना सकती थी। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को उसमें संशोधन का निर्देश दिया।
 ग. विजया का मानना है कि न्यायपालिका न तो स्वतंत्र है न ही किसी के अनुसार चलने वाली है बल्कि वह विरोधी समूहों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाती है। न्यायालय ने इस आदेश के समर्थकों और विरोधियों के बीच बढ़िया संतुलन बनाया।
उत्तर: ख. अंजैया का कहना है कि न्यायपालिका स्वतंत्र है क्योंकि वह सरकार के आदेश के खिलाफ़ फ़ैसला सुना सकती थी। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को उसमें संशोधन का निर्देश दिया।
विश्लेषण: दस्तावेज में बताया गया है कि सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार के आदेश को अवैध नहीं माना, लेकिन उसमें संशोधन का निर्देश दिया, जो इसकी स्वतंत्रता को दर्शाता है। अंजैया की प्रतिक्रिया इस भूमिका को सही ढंग से समझती है।

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