Short Questions Answer
लेखक का गाँव किस इलाके में स्थित है?
उत्तर: लेखक का गाँव ऐसे इलाके में स्थित है जहाँ हर साल कोसी, पनार, महानंदा और गंगा की बाढ़ आती है।
लेखक तैरना क्यों नहीं जानता?
उत्तर: लेखक परती क्षेत्र में जन्म लेने के कारण तैरना नहीं जानता।
लेखक ने बाढ़ में किस हैसियत से काम किया है?
उत्तर: लेखक ने ब्वॉय स्काउट, स्वयंसेवक, राजनीतिक कार्यकर्ता और रिलीफ़वर्कर की हैसियत से बाढ़ में काम किया है।
लेखक ने बाढ़ पर किन उपन्यासों में चित्र अंकित किए हैं?
उत्तर: लेखक ने जय गंगा, डायन कोसी और हड्डियों का पुल में बाढ़ के चित्र अंकित किए हैं।
पटना में बाढ़ कब आई थी?
उत्तर: पटना में बाढ़ सन् 1967 में आई थी।
बाढ़ की खबर सुनकर लोग क्या तैयारी करने लगे?
उत्तर: बाढ़ की खबर सुनकर लोग ईंधन, आलू, मोमबत्ती, दियासलाई, पीने का पानी और कांपोज़ की गोलियाँ जमाकर बैठ गए।
पटना में बाढ़ का पानी किस नदी से आया?
उत्तर: पटना में बाढ़ का पानी पुनपुन नदी से आया।
लेखक कॉफ़ी हाउस क्यों जाना चाहता था?
उत्तर: लेखक कॉफ़ी हाउस शहर का हाल मालूम करने और पानी कैसे घुसा है देखने जाना चाहता था।
बाढ़ में कौन-सी बीमारियाँ फैलने की आशंका रहती है?
उत्तर: बाढ़ में हैजा, मलेरिया, साँप काटने और अन्य बीमारियाँ फैलने की आशंका रहती है।
लेखक के पास मूवी कैमरा और टेप-रिकार्डर न होने पर क्या विचार आया?
उत्तर: लेखक को लगा कि अच्छा है कुछ भी नहीं, कलम थी वह भी चोरी चली गई।
Long Questions Answer
लेखक के गाँव की बाढ़ की स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर: मेरा गाँव ऐसे इलाके में है जहाँ हर साल पश्चिम, पूरब और दक्षिण की कोसी, पनार, महानंदा और गंगा की बाढ़ से पीड़ित प्राणियों के समूह आकर पनाह लेते हैं। सावन-भादो में ट्रेन की खिड़कियों से विशाल और सपाट परती पर गाय, बैल, भैंस, बकरों के हज़ारों झुंड-मुंड देखकर ही लोग बाढ़ की विभीषिका का अंदाज़ा लगाते हैं। परती क्षेत्र में जन्म लेने के कारण अपने गाँव के अधिकांश लोगों की तरह मैं भी तैरना नहीं जानता।
लेखक ने बाढ़ में किन भूमिकाओं में काम किया है?
उत्तर: किंतु दस वर्ष की उम्र से पिछले साल तक-ब्वॉय स्काउट, स्वयंसेवक, राजनीतिक कार्यकर्ता अथवा रिलीफ़वर्कर की हैसियत से बाढ़-पीड़ित क्षेत्रों में काम करता रहा हूँ और लिखने की बात? हाईस्कूल में बाढ़ पर लेख लिखकर प्रथम पुरस्कार पाने से लेकर धर्मयुग में ‘कथा-दशक’ के अंतर्गत बाढ़ की पुरानी कहानी को नए पाठ के साथ प्रस्तुत कर चुका हूँ। जय गंगा (1947), डायन कोसी (1948), हड्डियों का पुल (1948) आदि छुटपुट रिपोर्ताज के अलावा मेरे कई उपन्यासों में बाढ़ की विनाश-लीलाओं के अनेक चित्र अंकित हुए हैं।
लेखक ने पटना में बाढ़ का अनुभव कैसे किया?
उत्तर: अर्थात बाढ़ को मैंने भोगा है, शहरी आदमी की हैसियत से। इसीलिए इस बार जब बाढ़ का पानी प्रवेश करने लगा, पटना का पश्चिमी इलाका छातीभर पानी में डूब गया तो हम घर में ईंधन, आलू, मोमबत्ती, दियासलाई, पीने का पानी और कांपोज़ की गोलियाँ जमाकर बैठ गए और प्रतीक्षा करने लगे। सुबह सुना, राजभवन और मुख्यमंत्री निवास प्लावित हो गया है। दोपहर में सूचना मिली, गोलघर जल से घिर गया है!
बाढ़ की खबर सुनकर लोग किस तरह की तैयारी करने लगे?
उत्तर: बाढ़ की खबर सुनकर लोग ईंधन, आलू, मोमबत्ती, दियासलाई, पीने का पानी और कांपोज़ की गोलियाँ जमाकर बैठ गए और प्रतीक्षा करने लगे। हम घर में ईंधन, आलू, मोमबत्ती, दियासलाई, पीने का पानी और कांपोज़ की गोलियाँ जमाकर बैठ गए।
बाढ़ की सही जानकारी लेने के लिए लेखक क्यों उत्सुक था?
उत्तर: बाढ़ की सही जानकारी लेने और बाढ़ का रूप देखने के लिए लेखक उत्सुक था क्योंकि वह बचपन से बाढ़ देखता आया था लेकिन शहर में इस तरह का अनुभव पहली बार हो रहा था। वह कॉफ़ी हाउस जाने के लिए निकला ताकि पानी कैसे घुसा है देख सके और शहर का हाल मालूम कर सके।
‘पानी कहाँ तक आ गया है?’ इस जिज्ञासा से जनसमूह की कौन-सी भावनाएँ व्यक्त होती हैं?
उत्तर: सबकी जबान पर एक ही जिज्ञासा- “पानी कहाँ तक आ गया है?” देखने वालों की आँखों में, जुबान पर एक ही जिज्ञासा- “पानी कहाँ तक आ गया है?” देखकर लौटते हुए लोगों की बातचीत “फ्रेजर रोड पर आ गया! आ गया क्या, पार कर गया। श्रीकृष्णापुरी, पाटलिपुत्र कालोनी, बोरिंग रोड? इंडस्ट्रियल एरिया का कहीं पता नहीं… अब भट्टाचार्जी रोड पर पानी आ गया होगा।… छातीभर पानी है। वीमेंस कॉलेज के पास ‘डुबाव-पानी’ है।… आ रहा है… आ गया!” इस जिज्ञासा से जनसमूह की उत्सुकता, भय और बाढ़ की विभीषिका की चिंता व्यक्त होती है।
‘मृत्यु का तरल दूत’ किसे कहा गया है और क्यों?
उत्तर: ‘मृत्यु का तरल दूत’ बाढ़ के पानी को कहा गया है क्योंकि यह पानी मौत की तरह चुपचाप और तरल रूप में आता है, लोगों को डुबोता और तबाही मचाता है। लेखक ने इसे मौत का संदेशवाहक इसलिए कहा क्योंकि यह जीवन को नष्ट करने वाला होता है।
‘ईह! जब दानापुर डूब रहा था तो पटनियाँ बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गए,…अब बूझो!’ इस कथन से लोगों की किस मानसिकता पर चोट की गई है?
उत्तर: ‘ईह! जब दानापुर डूब रहा था तो पटनियाँ बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गए,…अब बूझो!’ इस कथन से शहरी लोगों की उदासीनता और स्वार्थी मानसिकता पर चोट की गई है, जो ग्रामीण क्षेत्रों की बाढ़ पर ध्यान नहीं देते लेकिन जब शहर प्रभावित होता है तो चिंतित हो जाते हैं।
खरीद-बिक्री बंद हो चुकने पर भी पान की बिक्री क्यों बढ़ गई थी?
उत्तर: खरीद-बिक्री बंद हो चुकने पर भी पान की बिक्री बढ़ गई क्योंकि लोग बाढ़ की चिंता में पान चबाकर तनाव कम कर रहे थे और बातचीत के दौरान पान का सेवन कर रहे थे। लोग पानी देखने जा रहे थे और लौट रहे थे, जिससे पान की दुकानें चलती रहीं।
जब लेखक को अहसास हुआ कि उसके इलाके में पानी घुसने की संभावना है तो उसने क्या प्रबंध किए?
उत्तर: जब लेखक को अहसास हुआ कि उसके इलाके में पानी घुसने की संभावना है तो उसने ईंधन, आलू, मोमबत्ती, दियासलाई, पीने का पानी और कांपोज़ की गोलियाँ जमाकर प्रबंध किए। वह छत पर जाकर पानी का स्तर देखता रहा और पड़ोसियों से बात करता रहा।

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