Short Questions Answer
प्रेमचंद का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: प्रेमचंद का जन्म सन् 1880 में बनारस के लमही गाँव में हुआ था।
प्रेमचंद का मूल नाम क्या था?
उत्तर: प्रेमचंद का मूल नाम धनपत राय था।
प्रेमचंद ने सरकारी नौकरी क्यों छोड़ी?
उत्तर: प्रेमचंद ने असहयोग आंदोलन में सक्रिय भाग लेने के लिए सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया।
प्रेमचंद की कहानियाँ किस संकलन में संकलित हैं?
उत्तर: प्रेमचंद की कहानियाँ मानसरोवर के आठ भागों में संकलित हैं।
प्रेमचंद ने किन पत्रिकाओं का संपादन किया?
उत्तर: प्रेमचंद ने हंस, जागरण, माधुरी आदि पत्रिकाओं का संपादन किया।
कहानी में हीरा और मोती कौन थे?
उत्तर: हीरा और मोती झूरी काछी के दोनों बैल थे, जो पछाईं जाति के थे।
झूरी ने बैलों को कहाँ भेजा था?
उत्तर: झूरी ने बैलों को गोईं के साथ ससुराल भेज दिया था।
कांजीहौस में बैलों को क्या सजा मिली?
उत्तर: कांजीहौस में बैलों को एक सप्ताह तक भूखा रखा गया और केवल एक बार पानी दिया गया।
दढ़ियल आदमी बैलों को कहाँ ले जाना चाहता था?
उत्तर: दढ़ियल आदमी बैलों को मवेशीखाने से नीलाम खरीदकर ले जाना चाहता था।
कहानी के अंत में मोती ने दढ़ियल के साथ क्या किया?
उत्तर: मोती ने सींग चलाकर दढ़ियल को भगा दिया और विजयी शूर की भाँति उसका रास्ता रोके खड़ा रहा।
Long Questions Answer
प्रेमचंद के जीवन और उनकी शिक्षा के बारे में बताइए।
उत्तर: प्रेमचंद का जन्म सन् 1880 में बनारस के लमही गाँव में हुआ था। उनका मूल नाम धनपत राय था। प्रेमचंद का बचपन अभावों में बीता और उनकी शिक्षा बी.ए. तक ही हो पाई। उन्होंने शिक्षा विभाग में नौकरी की, परंतु असहयोग आंदोलन में सक्रिय भाग लेने के लिए सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और लेखन कार्य के प्रति पूरी तरह समर्पित हो गए। सन् 1936 में इस महान कथाकार का देहांत हो गया।
प्रेमचंद की रचनाओं के प्रमुख विषय क्या थे?
उत्तर: प्रेमचंद साहित्य को सामाजिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम मानते थे। उन्होंने जिस गाँव और शहर के परिवेश को देखा और जिया, उसकी अभिव्यक्ति उनके कथा साहित्य में मिलती है। किसानों और मज़दूरों की दयनीय स्थिति, दलितों का शोषण, समाज में स्त्री की दुर्दशा और स्वाधीनता आंदोलन आदि उनकी रचनाओं के मूल विषय हैं। उनके कथा साहित्य का संसार बहुत व्यापक है, जिसमें मनुष्य ही नहीं, पशु-पक्षियों को भी अद्भुत आत्मीयता मिली है।
प्रेमचंद की लेखन शैली की विशेषताएँ क्या थीं?
उत्तर: बड़ी से बड़ी बात को सरल भाषा में सीधे और संक्षेप में कहना प्रेमचंद के लेखन की प्रमुख विशेषता है। उनकी भाषा सरल, सजीव एवं मुहावरेदार है तथा उन्होंने लोक प्रचलित शब्दों का प्रयोग कुशलतापूर्वक किया है। दो बैलों की कथा के माध्यम से उन्होंने कृषक समाज और पशुओं के भावात्मक संबंध का वर्णन किया है। इस कहानी में उन्होंने यह भी बताया है कि स्वतंत्रता सहज में नहीं मिलती, उसके लिए बार-बार संघर्ष करना पड़ता है।
कहानी में गधे और बैल की तुलना कैसे की गई है?
उत्तर: जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिहीन समझा जाता है। हम जब किसी आदमी को परले दरजे का बेवकूफ़ कहना चाहते हैं, तो उसे गधा कहते हैं। गधा सचमुच बेवकूफ़ है या उसके सीधेपन, उसकी निरापद सहिष्णुता ने उसे यह पदवी दे दी है, इसका निश्चय नहीं किया जा सकता। बैल कभी-कभी मारता भी है, कभी-कभी अड़ियल बैल भी देखने में आता है। और भी कई रीतियों से अपना असंतोष प्रकट कर देता है; अतएव उसका स्थान गधे से नीचा है।
हीरा और मोती की दोस्ती को कहानी में कैसे दर्शाया गया है?
उत्तर: झूरी काछी के दोनों बैलों के नाम थे हीरा और मोती। दोनों पछाईं जाति के थे—देखने में सुंदर, काम में चौकस, डील में ऊँचे। बहुत दिनों साथ रहते-रहते दोनों में भाईचारा हो गया था। दोनों आमने-सामने या आस-पास बैठे हुए एक-दूसरे से मूक-भाषा में विचार-विनिमय करते थे। दोनों एक-दूसरे को चाटकर और सूंघकर अपना प्रेम प्रकट करते, कभी-कभी दोनों सींग भी मिला लिया करते थे—विग्रह के नाते से नहीं, केवल विनोद के भाव से, आत्मीयता के भाव से।
बैलों को गया के घर भेजने पर उनकी क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तर: झूरी ने एक बार गोईं को ससुराल भेज दिया। बैलों को क्या मालूम, वे क्यों भेजे जा रहे हैं। समझे, मालिक ने हमें बेच दिया। अपना यों बेचा जाना उन्हें अच्छा लगा या बुरा, कौन जाने, पर झूरी के साले गया को घर तक गोईं ले जाने में दाँतों पसीना आ गया। पीछे से हाँकता तो दोनों दाएँ-बाएँ भागते, पगहिया पकड़कर आगे से खींचता, तो दोनों पीछे को ज़ोर लगाते। मारता तो दोनों सींग नीचे करके हुँकारते। संध्या समय दोनों बैल अपने नए स्थान पर पहुँचे। दिन-भर के भूखे थे, लेकिन जब नाँद में लगाए गए, तो एक ने भी उसमें मुँह न डाला।
बैलों के घर लौटने पर गाँव वालों की प्रतिक्रिया क्या थी?
उत्तर: झूरी प्रातःकाल सोकर उठा, तो देखा कि दोनों बैल चरनी पर खड़े हैं। दोनों की गरदनों में आधा-आधा गराँव लटक रहा है। घुटने तक पाँव कीचड़ से भरे हैं और दोनों की आँखों में विद्रोहमय स्नेह झलक रहा है। झूरी बैलों को देखकर स्नेह से गद्गद हो गया। दौड़कर उन्हें गले लगा लिया। घर और गाँव के लड़के जमा हो गए और तालियाँ बजा-बजाकर उनका स्वागत करने लगे। गाँव के इतिहास में यह घटना अभूतपूर्व न होने पर भी महत्वपूर्ण थी। बाल-सभा ने निश्चय किया, दोनों पशु-वीरों को अभिनंदन-पत्र देना चाहिए। कोई अपने घर से रोटियाँ लाया, कोई गुड़, कोई चोकर, कोई भूसी।
कांजीहौस में बैलों की स्थिति कैसी थी?
उत्तर: एक सप्ताह तक दोनों मित्र कांजीहौस में बँधे पड़े रहे। किसी ने चारे का एक तृण भी न डाला। हाँ, एक बार पानी दिखा दिया जाता था। यही उनका आधार था। दोनों इतने दुर्बल हो गए थे कि उठा तक न जाता था, ठठरियाँ निकल आई थीं।
छोटी बच्ची ने बैलों के प्रति क्या भाव दिखाया और इसका क्या प्रभाव हुआ?
उत्तर: सहसा एक छोटी बच्ची ने आकर बैलों को रोटी खिलाई। उस एक रोटी से उनकी भूख तो क्या शांत होती; पर दोनों के हृदय को मानो भोजन मिल गया। इतना तो हो ही गया कि नौ दस प्राणियों की जान बच गई। मोती ने कहा कि वे सब आशीर्वाद देंगे। हीरा ने कहा—लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूल जाते हो। यह दर्शाता है कि बच्ची के प्रेम ने बैलों को भावनात्मक संबल दिया और उनकी जान बचाने में मदद की।
कहानी के अंत में दढ़ियल आदमी के साथ बैलों का क्या व्यवहार था?
उत्तर: दढ़ियल ने जाकर बैलों की रस्सियाँ पकड़ लीं। झूरी ने कहा—मेरे बैल हैं। मैं बेचूँगा तो बिकेंगे। किसी को मेरे बैल नीलाम करने का क्या अख्तियार है? दढ़ियल झल्लाकर बैलों को जबरदस्ती पकड़ ले जाने के लिए बढ़ा। उसी वक्त मोती ने सींग चलाया। दढ़ियल पीछे हटा। मोती ने पीछा किया। दढ़ियल भागा। मोती पीछे दौड़ा। गाँव के बाहर निकल जाने पर वह रुका; पर खड़ा दढ़ियल का रास्ता देख रहा था, दढ़ियल दूर खड़ा धमकियाँ दे रहा था, गालियाँ निकाल रहा था, पत्थर फेंक रहा था। और मोती विजयी शूर की भाँति उसका रास्ता रोके खड़ा था।

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