Short Questions Answer
राजेश जोशी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: राजेश जोशी का जन्म सन् 1946 में मध्य प्रदेश के नरसिंहगढ़ जिले में हुआ।
राजेश जोशी ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद क्या किया?
उत्तर: उन्होंने पत्रकारिता शुरू की और कुछ सालों तक अध्यापन किया।
राजेश जोशी की प्रमुख काव्य-संग्रहों के नाम बताइए।
उत्तर: एक दिन बोलेंगे पेड़, मिट्टी का चेहरा, नेपथ्य में हँसी, दो पंक्तियों के बीच।
राजेश जोशी को कौन-कौन से पुरस्कार मिले?
उत्तर: उन्हें माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार, मध्य प्रदेश शासन का शिखर सम्मान और साहित्य अकादमी पुरस्कार मिले।
राजेश जोशी ने किन विदेशी भाषाओं की कविताओं का अनुवाद किया?
उत्तर: उन्होंने भर्तृहरि और मायकोवस्की की कविताओं का अनुवाद किया।
राजेश जोशी की कविताओं की मुख्य विशेषता क्या है?
उत्तर: उनकी कविताएँ गहरे सामाजिक अभिप्राय वाली और जीवन की संभावनाओं की खोज से युक्त हैं।
बच्चे काम पर जा रहे हैं कविता का मुख्य विषय क्या है?
उत्तर: कविता में बच्चों से बचपन छीन लिए जाने की पीड़ा और सामाजिक-आर्थिक विडंबना व्यक्त हुई है।
कविता में बच्चों के काम पर जाने को क्या कहा गया है?
उत्तर: बच्चों के काम पर जाने को हमारे समय की सबसे भयानक पंक्ति कहा गया है।
कविता में सारी गेंदें कहाँ गिर जाने की बात कही गई है?
उत्तर: सारी गेंदें अंतरिक्ष में गिर जाने की बात कही गई है।
कविता में बच्चों के काम पर जाने को किस तरह लिखा जाना चाहिए?
उत्तर: बच्चों के काम पर जाने को विवरण की तरह नहीं, सवाल के रूप में लिखा जाना चाहिए।
Long Questions Answer
राजेश जोशी के जीवन और उनके साहित्यिक कार्यों के बारे में बताइए।
उत्तर: राजेश जोशी का जन्म सन् 1946 में मध्य प्रदेश के नरसिंहगढ़ जिले में हुआ। उन्होंने शिक्षा पूरी करने के बाद पत्रकारिता शुरू की और कुछ सालों तक अध्यापन किया। राजेश जोशी ने कविताओं के अलावा कहानियाँ, नाटक, लेख और टिप्पणियाँ भी लिखीं। साथ ही उन्होंने कुछ नाट्य रूपांतर किए और लघु फिल्मों के लिए पटकथा लेखन का कार्य भी किया। उन्होंने भर्तृहरि की कविताओं की अनुरचना भूमि का कल्पतरू यह भी और मायकोवस्की की कविता का अनुवाद पतलून पहिना बादल नाम से किया। उनकी कविताओं के अनुवाद कई भारतीय भाषाओं के साथ-साथ अंग्रेज़ी, रूसी और जर्मन में भी प्रकाशित हुए हैं।
राजेश जोशी की कविताओं की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर: राजेश जोशी की कविताएँ गहरे सामाजिक अभिप्राय वाली होती हैं। वे जीवन के संकट में भी गहरी आस्था को उभारती हैं। उनकी कविताओं में स्थानीय बोली-बानी, मिजाज और मौसम सभी कुछ व्याप्त है। उनके काव्यलोक में आत्मीयता और लयात्मकता है तथा मनुष्यता को बचाए रखने का एक निरंतर संघर्ष भी। दुनिया के नष्ट होने का खतरा राजेश जोशी को जितना प्रबल दिखाई देता है, उतना ही वे जीवन की संभावनाओं की खोज के लिए बेचैन दिखाई देते हैं।
बच्चे काम पर जा रहे हैं कविता का परिचय दीजिए।
उत्तर: प्रस्तुत कविता में बच्चों से बचपन छीन लिए जाने की पीड़ा व्यक्त हुई है। कवि ने उस सामाजिक-आर्थिक विडंबना की ओर इशारा किया है जिसमें कुछ बच्चे खेल, शिक्षा और जीवन की उमंग से वंचित हैं। कोहरे से ढँकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं, सुबह सुबह बच्चे काम पर जा रहे हैं। हमारे समय की सबसे भयानक पंक्ति है यह। भयानक है इसे विवरण की तरह लिखा जाना। लिखा जाना चाहिए इसे सवाल की तरह।
कविता में बच्चों के काम पर जाने को सबसे भयानक पंक्ति क्यों कहा गया है?
उत्तर: कोहरे से ढँकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं, सुबह सुबह बच्चे काम पर जा रहे हैं। हमारे समय की सबसे भयानक पंक्ति है यह। भयानक है इसे विवरण की तरह लिखा जाना। लिखा जाना चाहिए इसे सवाल की तरह। कवि ने बच्चों के काम पर जाने को सबसे भयानक पंक्ति इसलिए कहा क्योंकि यह बच्चों के बचपन, खेल, शिक्षा और उमंग को छीन लेने वाली सामाजिक-आर्थिक विडंबना को दर्शाता है, जो एक गंभीर सामाजिक अन्याय है।
कवि ने बच्चों के काम पर जाने के बारे में क्या सवाल उठाया है?
उत्तर: काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे? क्या अंतरिक्ष में गिर गई हैं सारी गेंदें, क्या दीमकों ने खा लिया है सारी रंग बिरंगी किताबों को, क्या काले पहाड़ के नीचे दब गए हैं सारे खिलौने, क्या किसी भूकंप में ढह गई हैं सारे मदरसों की इमारतें, क्या सारे मैदान, सारे बगीचे और घरों के आँगन खत्म हो गए हैं एकाएक। कवि ने इन सवालों के माध्यम से बच्चों के बचपन और शिक्षा से वंचित होने की विडंबना पर प्रश्न उठाया है।
कविता में बच्चों के वंचित होने की स्थिति को कैसे चित्रित किया गया है?
उत्तर: क्या अंतरिक्ष में गिर गई हैं सारी गेंदें, क्या दीमकों ने खा लिया है सारी रंग बिरंगी किताबों को, क्या काले पहाड़ के नीचे दब गए हैं सारे खिलौने, क्या किसी भूकंप में ढह गई हैं सारे मदरसों की इमारतें, क्या सारे मैदान, सारे बगीचे और घरों के आँगन खत्म हो गए हैं एकाएक। तो फिर बचा ही क्या है इस दुनिया में? कवि ने इन पंक्तियों में बच्चों के खेल, शिक्षा और आनंद से वंचित होने की स्थिति को अतिशयोक्ति के साथ चित्रित किया है।
कविता में बच्चों के काम पर जाने को धरती के एक बड़े हादसे के समान क्यों माना गया है?
उत्तर: कितना भयानक होता अगर ऐसा होता, भयानक है लेकिन इससे भी ज्यादा यह कि हैं सारी चीजें हस्बमामूल, पर दुनिया की हजारों सड़कों से गुजरते हुए बच्चे, बहुत छोटे छोटे बच्चे काम पर जा रहे हैं। कवि ने बच्चों के काम पर जाने को धरती के एक बड़े हादसे के समान इसलिए माना क्योंकि सारी सुविधाएँ और संसाधन यथावत होने के बावजूद बच्चों का बचपन और शिक्षा छीन लिया जाना एक गंभीर सामाजिक आपदा है।
कविता में बच्चों के काम पर जाने की बात को सवाल के रूप में क्यों पूछा जाना चाहिए?
उत्तर: भयानक है इसे विवरण की तरह लिखा जाना। लिखा जाना चाहिए इसे सवाल की तरह। काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे? कवि का मानना है कि बच्चों के काम पर जाने की भयानक बात को विवरण की तरह स्वीकार करने के बजाय सवाल के रूप में पूछा जाना चाहिए ताकि समाज इस विडंबना पर विचार करे और इसके कारणों को समझकर इसे रोकने के लिए कदम उठाए। यह सवाल सामाजिक चेतना को जगाने का प्रयास है।
कविता में बच्चों के बचपन से वंचित होने की विडंबना को कैसे व्यक्त किया गया है?
उत्तर: क्या अंतरिक्ष में गिर गई हैं सारी गेंदें, क्या दीमकों ने खा लिया है सारी रंग बिरंगी किताबों को, क्या काले पहाड़ के नीचे दब गए हैं सारे खिलौने, क्या किसी भूकंप में ढह गई हैं सारे मदरसों की इमारतें, क्या सारे मैदान, सारे बगीचे और घरों के आँगन खत्म हो गए हैं एकाएक। तो फिर बचा ही क्या है इस दुनिया में? इन पंक्तियों में कवि ने अतिशयोक्ति और प्रश्नों के माध्यम से बच्चों के खेल, शिक्षा और आनंद से वंचित होने की विडंबना को मार्मिक रूप से व्यक्त किया है।
कविता में सामाजिक उदासीनता को कैसे दर्शाया गया है?
उत्तर: पर दुनिया की हजारों सड़कों से गुजरते हुए बच्चे, बहुत छोटे छोटे बच्चे काम पर जा रहे हैं। कवि ने इस पंक्ति के माध्यम से सामाजिक उदासीनता को दर्शाया है। यह तथ्य कि बच्चे काम पर जा रहे हैं, समाज के लिए एक सामान्य दृश्य बन गया है, और इसे देखकर भी किसी को कुछ अटपटा नहीं लगता, यह समाज की उदासीनता और संवेदनहीनता को दर्शाता है। कवि इसे सवाल के रूप में उठाकर इस उदासीनता पर प्रहार करता है।

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