Short Questions Answer
लेखिका की नानी का व्यक्तित्व कैसा था?
उत्तर: लेखिका की नानी पारंपरिक, अनपढ़ और परदानशीं औरत थीं।
नानी ने मृत्यु के समय नाना से क्या कहा?
उत्तर: नानी ने कहा कि वे परदे का लिहाज छोड़कर स्वतंत्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा से मिलना चाहती हैं।
नानी ने प्यारेलाल शर्मा से क्या वचन लिया?
उत्तर: नानी ने वचन लिया कि वे उनकी बेटी के लिए आजादी का सिपाही वर ढूँढ़कर शादी करवाएँगे।
लेखिका की माँ की शादी किससे हुई?
उत्तर: लेखिका की माँ की शादी एक पढ़े-लिखे होनहार लड़के से हुई जिसे आजादी के आंदोलन में हिस्सा लेने के कारण आई.सी.एस. से रोका गया था।
लेखिका की माँ परंपरा का निर्वाह क्यों नहीं करती थीं?
उत्तर: लेखिका की माँ अपनी माँ और गांधी जी के सिद्धांतों के कारण सादा जीवन जीती थीं।
लेखिका की परदादी ने पहले बच्चे के लिए क्या मन्नत माँगी?
उत्तर: परदादी ने पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत माँगी।
लेखिका की छोटी बहन रेणु ने स्कूल जाने के लिए क्या किया?
उत्तर: रेणु ने बारिश के बाद पैदल दो मील चलकर स्कूल गई, जो बंद था, फिर वापस लौट आई।
लेखिका की दादी के घर का माहौल कैसा था?
उत्तर: दादी के घर का माहौल काफ़ी कठोर और परंपरागत था।
लेखिका की माँ ने शिक्षा को क्या माना?
उत्तर: लेखिका की माँ ने शिक्षा को बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार माना।
लेखिका को अपनी छोटी बहन रेणु से क्यों जलन होती है?
उत्तर: लेखिका को रेणु से जलन होती है क्योंकि वह लीक से हटकर अपनी राह खुद तलाशती रही।
Long Questions Answer
लेखिका ने अपनी नानी को कभी नहीं देखा फिर भी उनके व्यक्तित्व से प्रभावित क्यों थीं?
उत्तर: लेखिका ने अपनी नानी को कभी नहीं देखा लेकिन उनकी कहानी सुनकर प्रभावित हुईं। नानी पारंपरिक, अनपढ़ और परदानशीं थीं लेकिन मौत के समय उन्होंने आजादी के जुनून से अपनी बेटी की शादी एक स्वतंत्रता सेनानी से करवाने का वचन लिया। लेखिका को लगा कि नानी ने अपनी जिंदगी अपने ढंग से जीती, जिसमें असली आजादी थी। उन्होंने नाना की जिंदगी में दखल नहीं दिया लेकिन अपनी आजादी बनाए रखी।
लेखिका की नानी की आजादी के आंदोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही?
उत्तर: लेखिका की नानी की आजादी के आंदोलन में अप्रत्यक्ष भागीदारी रही। वे पारंपरिक थीं लेकिन मौत के समय उन्होंने प्यारेलाल शर्मा से वचन लिया कि उनकी बेटी की शादी एक आजादी के सिपाही से करवाएँगे। नानी ने कहा कि उनके पति साहब हैं और वे नहीं चाहतीं कि बेटी की शादी साहबों के फरमाबरदार से हो। इससे उनका देश की आजादी के लिए जुनून झलकता है।
लेखिका की माँ के व्यक्तित्व की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: लेखिका की माँ परंपरा का निर्वाह न करती हुई भी सबके दिलों पर राज करती थीं। वे खादी की साड़ी पहनती थीं जो उन्हें भारी लगती थी लेकिन गांधी जी के सिद्धांतों के कारण सादा जीवन जीती थीं। वे साहबों की तरह रहने वाली नहीं थीं लेकिन अपनी सादगी से सबको प्रभावित करती थीं। वे शिक्षा को बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार मानती थीं और सहजता से सबको सही राह पर लाती थीं।
लेखिका की दादी के घर के माहौल का शब्द-चित्र अंकित कीजिए।
उत्तर: लेखिका की दादी के घर का माहौल कठोर और परंपरागत था। दादी घर की सर्वेसर्वा थीं और सबको आज्ञा देती थीं। घर में खाना दादी की रसोई से आता था और वे सबकी प्लेट में खुद परोसती थीं। बच्चे दादी से डरते थे और उनके सामने सिर झुकाकर खड़े रहते थे। दादी की सास (परदादी) ने पहले बच्चे के रूप में लड़की की मन्नत माँगी थी लेकिन दादी का घर पुरुषप्रधान था।
परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत क्यों माँगी?
उत्तर: लेखिका की कल्पना से परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत इसलिए माँगी क्योंकि वे पतोहू को लड़की के जन्म के दुख से गुजरने देना चाहती थीं। शायद वे चाहती थीं कि पतोहू लड़की के महत्व को समझे और उसे लड़के की तरह महत्व दे। यह मन्नत लड़की को बोझ न मानने की शिक्षा देती थी।
डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को सही राह पर लाया जा सकता है-पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर: पाठ में लेखिका की माँ सहजता से सबको सही राह पर लाती थीं। वे उपदेश नहीं देतीं बल्कि उदाहरण से सिखाती थीं। जैसे वे सादा जीवन जीती थीं और शिक्षा को जन्मसिद्ध अधिकार मानती थीं। नानी ने भी सहज तरीके से आजादी का जुनून दिखाया। रेणु ने भी सहजता से बारिश में स्कूल जाकर अपनी स्वतंत्रता दिखाई। इससे पता चलता है कि सहजता से लोग खुद सही राह चुनते हैं।
शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है-इस दिशा में लेखिका के प्रयासों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: लेखिका की माँ ने शिक्षा को बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार माना। वे स्कूल की बस न आने पर भी बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करती थीं। लेखिका ने भी इस सिद्धांत को अपनाया और अपनी बहन रेणु को बारिश में स्कूल जाने दिया। लेखिका ने अपनी जिंदगी में शिक्षा और स्वतंत्रता को महत्व दिया, जो उनकी माँ से सीखा था।
पाठ के आधार पर बताइए कि जीवन में कैसे इंसानों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है?
उत्तर: पाठ में माँ, नानी और परदादी को श्रद्धा से देखा जाता है क्योंकि वे सादगी, आजादी और सहजता से जीती थीं। माँ परंपरा न निभाकर भी दिलों पर राज करती थीं। नानी ने मौत के समय आजादी का जुनून दिखाया। परदादी ने लड़की की मन्नत माँगी। ऐसे लोग जो लीक से हटकर जीते हैं, उन्हें श्रद्धा मिलती है।
सच, अकेलेपन का मजा ही कुछ और है-इस कथन के आधार पर लेखिका की बहन एवं लेखिका के व्यक्तित्व के बारे में बताइए।
उत्तर: लेखिका की बहन रेणु ने बारिश में अकेले पैदल स्कूल जाकर अकेलेपन का मजा लिया। वह स्वतंत्र और साहसी थी। लेखिका को रेणु से जलन होती है क्योंकि वह लीक से हटकर अपनी राह तलाशती रही। लेखिका भी स्वतंत्र है लेकिन रेणु की तरह रोमांच का अनुभव करती है। दोनों का व्यक्तित्व स्वतंत्रता और साहस से भरा है।
लेखिका की माँ परंपरा का निर्वाह न करते हुए भी सबके दिलों पर राज करती थी-इस कथन के आलोक में बताइए।
उत्तर: लेखिका की माँ परंपरा का निर्वाह न करती हुई भी सबके दिलों पर राज करती थीं। वे खादी की साड़ी पहनती थीं जो भारी लगती थी लेकिन सादा जीवन जीती थीं। वे गांधी जी के सिद्धांतों से प्रभावित थीं। दादी के घर में वे अपनी सादगी से सबको प्रभावित करती थीं। वे सहजता से सबको सही राह दिखाती थीं, जिससे सब उनके दिलों पर राज करती थीं।

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