Short Questions Answer
1. राहुल सांकृत्यायन का मूल नाम क्या था?
उत्तर: उनका मूल नाम केदार पांडेय था।
2. राहुल सांकृत्यायन का जन्म कहाँ हुआ था?
उत्तर: उनका जन्म पंदहा गाँव, जिला आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) में हुआ था।
3. राहुल सांकृत्यायन ने किस वर्ष बौद्ध धर्म ग्रहण किया?
उत्तर: सन् 1930 में उन्होंने बौद्ध धर्म ग्रहण किया।
4. राहुल सांकृत्यायन को किस उपाधि से सम्मानित किया गया था?
उत्तर: उन्हें “महापंडित” कहा जाता था।
5. राहुल सांकृत्यायन की प्रमुख कृतियाँ कौन-सी हैं?
उत्तर: “मेरी जीवन यात्रा”, “वोल्गा से गंगा”, “दर्शन-दिग्दर्शन”, “घुमक्कड़ शास्त्र”, “भागो नहीं दुनिया को बदलो” आदि।
6. राहुल जी ने कितनी भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया था?
उत्तर: उन्होंने पालि, प्राकृत, अपभ्रंश, तिब्बती, चीनी, जापानी, रूसी आदि अनेक भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया था।
7. “घुमक्कड़ शास्त्र” में राहुल जी ने किस बात को घुमक्कड़ का उद्देश्य बताया है?
उत्तर: उन्होंने मंज़िल के स्थान पर यात्रा को ही घुमक्कड़ का उद्देश्य बताया।
8. तिब्बत की यात्रा के लिए राहुल जी ने कौन-सा वेश धारण किया था?
उत्तर: उन्होंने भिखमंगे का छद्म वेश धारण किया था।
9. तिब्बत में यात्रा के दौरान लेखक को सबसे अधिक खतरा कहाँ था?
उत्तर: “थोङ्ला” जैसे ऊँचे डाँड़ों पर, जहाँ डाकुओं का भय रहता था।
10. तिब्बत में यात्रियों के लिए कौन-सी सामाजिक सुविधा थी?
उत्तर: वहाँ जाति-पाँति और छुआछूत का कोई भेदभाव नहीं था।
Long Questions Answer
1. राहुल सांकृत्यायन के जीवन और शिक्षा के बारे में संक्षेप में लिखिए।
उत्तर: राहुल सांकृत्यायन का जन्म 1893 में आजमगढ़ जिले के पंदहा गाँव में हुआ। उनका असली नाम केदार पांडेय था। उन्होंने काशी, आगरा और लाहौर में शिक्षा प्राप्त की। सन् 1930 में श्रीलंका जाकर बौद्ध धर्म अपनाने के बाद वे राहुल सांकृत्यायन कहलाए। वे अनेक भाषाओं के ज्ञाता और महान विद्वान थे, इसलिए उन्हें महापंडित कहा गया।
2. राहुल सांकृत्यायन की साहित्यिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: राहुल जी ने उपन्यास, कहानी, आत्मकथा, यात्रावृत्त, जीवनी, आलोचना, शोध आदि अनेक विधाओं में लेखन किया। उन्होंने लगभग 150 पुस्तकें लिखीं। उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं — “मेरी जीवन यात्रा”, “वोल्गा से गंगा”, “दर्शन-दिग्दर्शन”, “घुमक्कड़ शास्त्र”, “भागो नहीं दुनिया को बदलो” आदि। उन्होंने अनेक ग्रंथों का हिंदी में अनुवाद भी किया।
3. राहुल जी के अनुसार घुमक्कड़ी का क्या महत्व है?
उत्तर: राहुल जी के अनुसार घुमक्कड़ी केवल मनोरंजन नहीं बल्कि ज्ञानवर्धन का साधन है। इससे अज्ञात स्थलों की जानकारी मिलती है, भाषा और संस्कृति का आदान-प्रदान होता है। उन्होंने यात्रा को मंज़िल से अधिक महत्वपूर्ण माना और इसे जीवन का उद्देश्य बताया।
4. लेखक को तिब्बत यात्रा के दौरान किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
उत्तर: यात्रा के दौरान लेखक को ऊँचे पहाड़ी डाँड़ों, ठंड, डाकुओं के भय, खाने-पीने की कमी और थकान जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्हें खतरनाक रास्तों से गुजरना पड़ा जहाँ कई बार रास्ता भी भटक गया।
5. राहुल जी ने अपनी तिब्बत यात्रा में किस प्रकार के समाज का चित्र प्रस्तुत किया है?
उत्तर: उन्होंने तिब्बती समाज को सरल, मेहनती और निष्पक्ष बताया है। वहाँ जाति-पाँति का भेद नहीं था, महिलाएँ परदा नहीं करती थीं और अतिथियों के प्रति लोगों का व्यवहार बहुत स्नेहपूर्ण था।
6. ‘मैं अब पुस्तकों के भीतर था’ इस वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: इस वाक्य का आशय यह है कि लेखक शेकर विहार में पहुँचने के बाद पुस्तकों को देखने और पढ़ने में इतना रम गया कि उसे बाहरी दुनिया का ध्यान ही नहीं रहा। वह पूरी तरह अध्ययन में लीन हो गया था।
7. राहुल जी ने तिब्बती लोगों के जीवन का वर्णन किस प्रकार किया है?
उत्तर: उन्होंने तिब्बती लोगों को ईमानदार, मेहमाननवाज़ और मेहनती बताया। वहाँ के लोग साधारण जीवन जीते थे और धार्मिक भावना से ओतप्रोत थे। वे यात्रियों की सहायता करते और दया भाव रखते थे।
8. तिब्बत की भौगोलिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर: तिब्बत एक ऊँचा पठारी क्षेत्र है जो पहाड़ों से घिरा हुआ है। वहाँ सोलह-सत्रह हजार फीट ऊँचाई तक बर्फ से ढके डाँड़े हैं। नदियाँ, घाटियाँ और बर्फीले मैदान वहाँ की पहचान हैं। तापमान बहुत कम और हवा शुष्क है।
9. राहुल जी की यात्रा-वृत्तांत शैली की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: उनकी शैली रोचक, जीवंत और सजीव चित्र प्रस्तुत करने वाली है। वे घटनाओं और स्थानों का वर्णन विस्तार से करते हैं। उनके वर्णन में तथ्य के साथ साहित्यिक सौंदर्य भी झलकता है।
10. प्रस्तुत यात्रा-वृत्तांत से राहुल सांकृत्यायन के व्यक्तित्व की कौन-सी विशेषताएँ प्रकट होती हैं?
उत्तर: इस यात्रा-वृत्तांत से पता चलता है कि राहुल जी साहसी, जिज्ञासु, अध्ययनशील और दृढ़ निश्चयी व्यक्ति थे। वे कठिनाइयों से नहीं डरते थे और ज्ञान प्राप्ति के लिए जोखिम उठाने को तैयार रहते थे। उनका दृष्टिकोण व्यापक और मानवीय था।

Leave a Reply