Short Questions Answer
प्रश्न: बचेंद्री पाल का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: बचेंद्री पाल का जन्म 24 मई 1954 को उत्तरांचल के चमोली जिले के बंपा गाँव में हुआ था।
प्रश्न: बचेंद्री पाल के पिता का नाम क्या था?
उत्तर: उनके पिता का नाम किशन सिंह पाल था।
प्रश्न: बचेंद्री ने अपनी पढ़ाई का खर्च कैसे जुटाया?
उत्तर: उन्होंने सिलाई-कढ़ाई करके अपनी पढ़ाई का खर्च जुटाया।
प्रश्न: एवरेस्ट को नेपाली लोग किस नाम से जानते हैं?
उत्तर: नेपाल में एवरेस्ट को सागरमाथा कहा जाता है।
प्रश्न: एवरेस्ट अभियान दल कब दिल्ली से काठमांडू के लिए रवाना हुआ?
उत्तर: यह दल 7 मार्च को दिल्ली से काठमांडू के लिए रवाना हुआ।
प्रश्न: उपनेता प्रेमचंद कौन थे?
उत्तर: प्रेमचंद एवरेस्ट अभियान के अग्रिम दल के नेता थे।
प्रश्न: बेस कैंप पहुँचने से पहले किसकी मृत्यु की खबर मिली?
उत्तर: एक रसोई सहायक की मृत्यु की खबर मिली थी।
प्रश्न: कैंप-चार कहाँ और कब लगाया गया?
उत्तर: कैंप-चार 29 अप्रैल को 7900 मीटर ऊँचाई पर लगाया गया।
प्रश्न: तेनजिंग ने बचेंद्री से क्या कहा?
उत्तर: उन्होंने कहा, “तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो, तुम्हें तो पहले ही प्रयास में शिखर पर पहुँचना चाहिए।”
प्रश्न: बचेंद्री पाल एवरेस्ट की चोटी पर कब पहुँचीं?
उत्तर: वे 23 मई 1984 को दोपहर 1 बजकर 7 मिनट पर एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचीं।
Long Questions Answer
प्रश्न: बचेंद्री पाल को बचपन से पहाड़ों पर चढ़ने का शौक कैसे हुआ?
उत्तर: बचेंद्री बचपन से ही ऊँचे पहाड़ों के पास रहती थीं। स्कूल जाने के लिए उन्हें रोज़ पहाड़ की चढ़ाई चढ़नी पड़ती थी। जब उनका भाई उन्हें रोकता और छोटे भाई को उकसाता था, तो उन्हें लगता था कि जो काम लड़का कर सकता है, वह लड़की भी कर सकती है। इसी भावना ने उनमें पर्वतारोहण का साहस भरा।
प्रश्न: लेखिका को ‘सागरमाथा’ नाम क्यों अच्छा लगा?
उत्तर: नेपाल में एवरेस्ट को ‘सागरमाथा’ कहा जाता है। यह नाम सुनने में आकर्षक लगा क्योंकि यह सागर के माथे या सर्वोच्च बिंदु का प्रतीक था।
प्रश्न: उपनेता प्रेमचंद ने किन परिस्थितियों से दल को अवगत कराया?
उत्तर: उन्होंने बताया कि हिमस्खलन से रास्ते में बर्फ की चट्टानें गिरी हैं। उन्होंने कैंप-एक तक रास्ता साफ किया, पुल और रस्सियाँ बाँधीं, पर हिमपात में निरंतर परिवर्तन से दोबारा काम करना पड़ सकता है।
प्रश्न: डॉ. मीनू मेहता ने अभियान दल को क्या जानकारी दी?
उत्तर: उन्होंने अल्यूमिनियम की सीढ़ियों से पुल बनाने, रस्सियों के प्रयोग, दीवारों पर रस्सियाँ बाँधने और चढ़ाई के अभियांत्रिकी कार्यों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
प्रश्न: ल्होत्से ग्लेशियर से बर्फ के पिंड गिरने पर क्या हुआ?
उत्तर: रात में एक विशाल बर्फ़ का टुकड़ा कैंप-तीन पर गिरा। तंबू तहस-नहस हो गए, सभी घायल हुए, पर सौभाग्य से कोई मरा नहीं। लोपसांग ने बहादुरी से बचेंद्री को बर्फ से बाहर निकाला।
प्रश्न: बचेंद्री ने साउथ कोल पहुँचकर क्या तैयारी की?
उत्तर: उन्होंने अगले दिन की चढ़ाई के लिए खाना, गैस और ऑक्सीजन सिलिंडर तैयार किए, अपने साथियों के लिए चाय और जूस बनाया और सहायता के लिए नीचे तक उतरकर मदद की।
प्रश्न: एवरेस्ट पर चढ़ाई के दौरान बचेंद्री ने किस प्रकार साहस और सहयोग दिखाया?
उत्तर: खतरे और थकान के बावजूद उन्होंने अपने साथियों की मदद की, दूसरों की सुरक्षा का ध्यान रखा और कभी पीछे नहीं हटीं। उनका सहयोगी स्वभाव और दृढ़ निश्चय पूरे अभियान में झलकता है।
प्रश्न: एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचने का क्षण कैसा था?
उत्तर: वह आनंद और गर्व से भरा क्षण था। उन्होंने बर्फ पर माथा टेका, दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा बर्फ में दबाया, और तिरंगा फहराकर भारत का मान बढ़ाया।
प्रश्न: कर्नल खुल्लर ने बचेंद्री की सफलता पर क्या कहा?
उत्तर: उन्होंने कहा कि देश को तुम पर गर्व है, और तुम्हारे माता-पिता बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि अब तुम ऐसे संसार में लौटोगी, जो पहले से एकदम भिन्न होगा।
प्रश्न: बचेंद्री पाल की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर: यह कहानी सिखाती है कि दृढ़ निश्चय, मेहनत और साहस से असंभव भी संभव हो जाता है। कठिन परिस्थितियों में भी अपने लक्ष्य से विचलित न होना ही सच्ची सफलता का मंत्र है।
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