Short Questions Answer
प्रश्न: अतिथि कितने दिनों से लेखक के घर पर रह रहा है?
उत्तर: अतिथि चार दिनों से लेखक के घर पर रह रहा है।
प्रश्न: कैलेंडर की तारीखें किस तरह फड़फड़ा रही हैं?
उत्तर: कैलेंडर की तारीखें अपनी सीमा में नम्रता से फड़फड़ा रही थीं।
प्रश्न: पति-पत्नी ने मेहमान का स्वागत कैसे किया?
उत्तर: उन्होंने स्नेह और मुस्कान के साथ उसका स्वागत किया तथा उसके सम्मान में विशेष भोजन बनाया।
प्रश्न: दोपहर के भोजन को कौन-सी गरिमा प्रदान की गई?
उत्तर: दोपहर के भोजन को ‘लंच’ की गरिमा प्रदान की गई।
प्रश्न: तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा?
उत्तर: तीसरे दिन सुबह अतिथि ने कहा—“मैं धोबी को कपड़े देना चाहता हूँ।”
प्रश्न: पत्नी की आँखें बड़ी क्यों हो गईं?
उत्तर: क्योंकि उसे आशंका हुई कि अतिथि अब और अधिक दिन ठहरेगा।
प्रश्न: लेखक ने ‘अतिथि देवता होता है’ कहकर क्या अर्थ प्रकट किया?
उत्तर: उन्होंने कहा कि अतिथि का सम्मान करना चाहिए, परंतु देवता की तरह वह थोड़े समय के लिए ही आता है।
प्रश्न: सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर क्या हुआ?
उत्तर: सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर दाल-भात से लेकर खिचड़ी तक का स्तर आ गया और मेज़बान ऊब गया।
प्रश्न: लेखक ने अतिथि से ‘गेट आउट’ शब्द का उल्लेख क्यों किया?
उत्तर: क्योंकि अब वह अतिथि के अधिक ठहरने से परेशान हो चुका था।
प्रश्न: लेखक की सहनशीलता की अंतिम सुबह कब आने वाली थी?
उत्तर: पाँचवें दिन की सुबह उसकी सहनशीलता की अंतिम सुबह थी।
Long Questions Answer
प्रश्न: कहानी ‘तुम कब जाओगे, अतिथि’ का मुख्य विषय क्या है?
उत्तर: इस कहानी में ऐसे अतिथि का चित्रण है जो बिना सूचना दिए मेज़बान के घर आता है और जाने का नाम नहीं लेता। लेखक ने हास्य-व्यंग्य के माध्यम से ऐसे अतिथियों की असुविधाजनक स्थिति और मेज़बानों की विवशता को बड़ी प्रभावशाली शैली में प्रस्तुत किया है।
प्रश्न: लेखक अतिथि को कैसी विदाई देना चाहता था?
उत्तर: लेखक चाहता था कि अतिथि अच्छे सत्कार के बाद स्वयं विनम्रता से विदा ले ले। वह चाहता था कि विदाई का क्षण भावभीना हो और वह अतिथि को स्टेशन तक छोड़ने जाए, पर अतिथि जाने का नाम ही नहीं लेता।
प्रश्न: “अंदर ही अंदर कहीं मेरा बटुआ काँप गया।” — इस कथन से क्या भाव प्रकट होता है?
उत्तर: इस कथन से लेखक की आर्थिक स्थिति और मानसिक चिंता झलकती है। अतिथि के आने पर उसे डर लगा कि अब अतिरिक्त खर्च बढ़ेगा, क्योंकि मेहमाननवाजी में बहुत खर्च होता है।
प्रश्न: अतिथि के तीसरे दिन के व्यवहार ने लेखक को क्यों झटका दिया?
उत्तर: तीसरे दिन जब अतिथि ने अपने कपड़े धोबी को देने की बात कही, तो लेखक को झटका लगा क्योंकि इसका अर्थ था कि अतिथि अभी और दिन रुकने वाला है। यह अप्रत्याशित और मार्मिक आघात था।
प्रश्न: “अतिथि सदैव देवता नहीं होता” — इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: यह कथन व्यंग्यात्मक है। इसका अर्थ है कि अतिथि का सम्मान तब तक उचित है जब तक वह सीमित समय के लिए आए। जब वह ज़रूरत से ज़्यादा रुक जाता है, तो वह देवता नहीं बल्कि बोझ बन जाता है।
प्रश्न: ‘संबंधों का संक्रमण के दौर से गुज़रना’ का क्या अर्थ है?
उत्तर: इसका अर्थ है कि मेज़बान और अतिथि के बीच का आत्मीय संबंध धीरे-धीरे बोरियत और असहजता में बदल गया। प्रारंभ का स्नेह और सौहार्द अब ऊब और चिढ़ में परिवर्तित हो गया था।
प्रश्न: लेखक के व्यवहार में समय के साथ क्या परिवर्तन आया?
उत्तर: पहले दिन लेखक ने बड़े उत्साह से स्वागत किया, दूसरे दिन मुस्कान फीकी पड़ी, तीसरे दिन ऊब महसूस हुई और चौथे दिन चिढ़ बढ़ने लगी। अंत में वह अतिथि के चले जाने की प्रार्थना करने लगा।
प्रश्न: पत्नी का दृष्टिकोण लेखक से कैसे भिन्न था?
उत्तर: पत्नी ने पहले दिन स्नेह से स्वागत किया, पर जल्दी ही उसे आशंका हो गई कि अतिथि अब नहीं जाएगा। उसने भोजन का स्तर घटाकर अपनी नाराज़गी व्यक्त की, जबकि लेखक अब भी औपचारिकता निभा रहा था।
प्रश्न: लेखक के अनुसार घर की महत्ता क्यों है?
उत्तर: लेखक कहता है कि हर व्यक्ति को अपने घर में ही रहना चाहिए। यदि लोग दूसरों के घरों में रहने लगें तो घर की ‘स्वीटनेस’ ही खत्म हो जाएगी। इसलिए अपने घर को ही “स्वीट होम” कहा गया है।
प्रश्न: कहानी के अंत में लेखक की मनःस्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर: लेखक पूरी तरह ऊब और चिड़चिड़ाहट से भर गया था। वह मन ही मन सोच रहा था कि यदि अतिथि अब न गया तो वह अपनी सीमा खो देगा। उसकी सहनशीलता समाप्त हो चुकी थी, पर सामाजिक मर्यादा के कारण वह सीधे ‘गेट आउट’ नहीं कह पा रहा था।
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