Short Questions Answer
प्रश्न: लेखक को कितने हार्ट अटैक आए थे?
उत्तर: लेखक को तीन ज़बरदस्त हार्ट अटैक आए थे।
प्रश्न: डॉक्टर बोर्जेस ने लेखक को जीवित करने के लिए क्या किया?
उत्तर: डॉक्टर बोर्जेस ने लेखक को 900 वॉल्ट्स के शॉक्स दिए।
प्रश्न: लेखक को अपने किताबों वाले कमरे में क्यों रखा गया?
उत्तर: क्योंकि लेखक की इच्छा थी कि वे अपने किताबों वाले कमरे में ही रहें।
प्रश्न: लेखक के घर कौन-कौन सी पत्रिकाएँ आती थीं?
उत्तर: आर्यमित्र, वेदोदम, सरस्वती, गृहिणी, बालसखा और चमचम।
प्रश्न: लेखक की प्रिय पुस्तक कौन-सी थी?
उत्तर: स्वामी दयानंद की जीवनी।
प्रश्न: स्कूल से लेखक को इनाम में कौन-सी चीज़ें मिलीं?
उत्तर: दो अंग्रेज़ी किताबें।
प्रश्न: लेखक की पहली निजी लाइब्रेरी की शुरुआत कैसे हुई?
उत्तर: पिता ने अलमारी का एक खाना लेखक को दिया और कहा – “आज से यह तुम्हारी अपनी लाइब्रेरी है।”
प्रश्न: ‘हरि भवन’ क्या था?
उत्तर: लेखक के मोहल्ले की एक लाइब्रेरी थी, जहाँ वे पढ़ने जाया करते थे।
प्रश्न: लेखक ने पहली बार कौन-सी पुस्तक खरीदी थी?
उत्तर: शरत्चंद्र चट्टोपाध्याय की ‘देवदास’।
प्रश्न: विंदा करंदीकर ने लेखक से क्या कहा?
उत्तर: उन्होंने कहा – “भारती, ये सैकड़ों महापुरुष जो पुस्तक-रूप में तुम्हारे चारों ओर हैं, इन्हीं के आशीर्वाद से तुम बचे हो।”
Long Questions Answer
प्रश्न: डॉक्टर बोर्जेस ने लेखक को किस प्रकार पुनर्जीवित किया?
उत्तर: जब लेखक की नब्ज़, साँस और धड़कन बंद हो गई थी, डॉक्टर बोर्जेस ने हार नहीं मानी और 900 वॉल्ट्स के शॉक्स दिए। उन्होंने कहा कि यदि शरीर में प्राण शेष होंगे तो हृदय पुनर्जीवित हो सकता है। यही हुआ और लेखक के प्राण लौट आए, हालांकि 60% हृदय नष्ट हो गया।
प्रश्न: ‘किताबों वाले कमरे’ में रहने के पीछे लेखक की क्या भावना थी?
उत्तर: लेखक को लगता था कि उनके प्राण शरीर में नहीं, बल्कि उनकी किताबों में बसते हैं। इसलिए वे बेडरूम में नहीं, अपने पुस्तक-कक्ष में रहना चाहते थे ताकि उन्हें अपने प्रिय ग्रंथों के बीच जीवन का सहारा मिले।
प्रश्न: लेखक के घर का वातावरण कैसा था जिसने उनमें पढ़ने की आदत डाली?
उत्तर: घर में आर्य समाज का सुधारवादी वातावरण था, माता ने आदर्श कन्या पाठशाला खोली थी और पिता गांधीजी के आह्वान पर नौकरी छोड़ चुके थे। आर्थिक तंगी के बावजूद घर में कई पत्रिकाएँ आती थीं, जिनसे लेखक में पढ़ने की आदत पड़ी।
प्रश्न: लेखक को किताबें इकट्ठी करने का शौक क्यों लगा?
उत्तर: बचपन में ‘हरि भवन’ लाइब्रेरी में वे किताबें पढ़ते पर घर ले नहीं जा पाते थे। इस कसक ने उनमें अपनी लाइब्रेरी बनाने और किताबें सहेजने की तीव्र इच्छा जगा दी।
प्रश्न: माँ लेखक की पढ़ाई को लेकर क्यों चिंतित रहती थीं?
उत्तर: क्योंकि लेखक पाठ्यपुस्तकों की जगह कहानियाँ और पत्रिकाएँ पढ़ते रहते थे। उन्हें डर था कि कहीं वे साधु बनकर घर से भाग न जाएँ और कक्षा में फेल न हो जाएँ।
प्रश्न: पिता के आशीर्वाद और प्रेरणा ने लेखक के जीवन में क्या बदलाव लाया?
उत्तर: पिता ने लेखक से वायदा कराया कि वह पाठ्यक्रम की किताबें ध्यान से पढ़ेगा। उनके आशीर्वाद से लेखक ने परिश्रम किया, अच्छे अंक पाए और पढ़ाई के प्रति लगन विकसित की।
प्रश्न: स्कूल से मिली अंग्रेज़ी की किताबों का लेखक के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: उन पुस्तकों ने लेखक के लिए नई दुनिया खोली – पक्षियों से भरा आकाश और रहस्यमयी समुद्र। उन्होंने जिज्ञासा, कल्पनाशक्ति और अध्ययन की प्रेरणा दी।
प्रश्न: लेखक द्वारा पहली पुस्तक ‘देवदास’ खरीदने की घटना का वर्णन कीजिए।
उत्तर: बी.ए. की किताबें खरीदने के बाद लेखक के पास दो रुपये बचे। माँ की अनुमति से फिल्म देखने गए, पर पास की दुकान में शरतचंद्र की ‘देवदास’ देखी। दुकानवाले ने दस आने में दी। उन्होंने फिल्म न देखकर किताब खरीदी और माँ को खुश किया। यह उनकी पहली निजी पुस्तक बनी।
प्रश्न: लेखक का अपनी पुस्तकों से भावनात्मक संबंध किस रूप में झलकता है?
उत्तर: लेखक अपनी पुस्तकों को प्राणों का आधार मानते हैं। उन्हें लगता है कि उनकी जीवन-ऊर्जा इन्हीं में बसती है। वे इन ग्रंथों को महापुरुषों के रूप में देखते हैं, जिन्होंने उन्हें पुनर्जीवन दिया।
प्रश्न: लेखक ने अपने जीवन की किन कठिन परिस्थितियों में भी पढ़ाई और पुस्तकों से प्रेम बनाए रखा?
उत्तर: पिता के देहांत के बाद आर्थिक संकट था। फीस और पाठ्यपुस्तकों के लिए पैसे जुटाना कठिन था। फिर भी लेखक लाइब्रेरी जाकर पढ़ते, सेकंड हैंड किताबें लेते और नोट्स बनाते रहे। कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने ज्ञान से प्रेम नहीं छोड़ा।
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