Short Questions Answer
प्रश्न: चंद्रशेखर वेंकट रामन् का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: उनका जन्म 7 नवंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली नगर में हुआ था।
प्रश्न: रामन् के पिता क्या करते थे?
उत्तर: उनके पिता गणित और भौतिकी के शिक्षक थे।
प्रश्न: रामन् ने किस कॉलेज से अपनी प्रारंभिक पढ़ाई की?
उत्तर: उन्होंने ए.बी.एन. कॉलेज तिरुचिरापल्ली और फिर प्रेसीडेंसी कॉलेज मद्रास से पढ़ाई की।
प्रश्न: रामन् का पहला शोधपत्र कहाँ प्रकाशित हुआ था?
उत्तर: उनका पहला शोधपत्र फिलॉसॉफिकल मैगज़ीन में प्रकाशित हुआ था।
प्रश्न: रामन् की खोज का नाम क्या है?
उत्तर: उनकी प्रसिद्ध खोज का नाम रामन् प्रभाव है।
प्रश्न: ‘रामन् प्रभाव’ की खोज किस वर्ष हुई?
उत्तर: यह खोज सन् 1921 में समुद्र यात्रा के दौरान प्रारंभ हुए विचारों से विकसित हुई।
प्रश्न: रामन् को नोबेल पुरस्कार कब और किस क्षेत्र में मिला?
उत्तर: उन्हें सन् 1930 में भौतिकी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिला।
प्रश्न: रामन् ने किस शोध संस्था की स्थापना की थी?
उत्तर: उन्होंने रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की थी।
प्रश्न: रामन् का निधन कब हुआ?
उत्तर: उनका निधन 21 नवंबर 1970 को हुआ।
प्रश्न: रामन् को कौन-सा सर्वोच्च भारतीय सम्मान प्राप्त हुआ था?
उत्तर: उन्हें सन् 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
Long Questions Answer
प्रश्न: समुद्र की नीली आभा को देखकर रामन् के मन में क्या प्रश्न उठा?
उत्तर: सन् 1921 में समुद्री यात्रा के दौरान रामन् ने समुद्र की नीली आभा देखी। उन्होंने सोचा — “समुद्र का रंग नीला ही क्यों है, कुछ और क्यों नहीं?” यही वैज्ञानिक जिज्ञासा आगे चलकर ‘रामन् प्रभाव’ की खोज का आधार बनी।
प्रश्न: रामन् ने सरकारी नौकरी छोड़कर विश्वविद्यालय की नौकरी क्यों स्वीकार की?
उत्तर: सरकारी नौकरी में सुविधाएँ और वेतन अधिक थे, पर उनकी रुचि शोधकार्य में थी। सर आशुतोष मुखर्जी के प्रस्ताव पर उन्होंने 1917 में सरकारी नौकरी छोड़ दी क्योंकि उनके लिए सरस्वती की साधना, यानी अध्ययन और अनुसंधान, भौतिक सुख-सुविधाओं से अधिक महत्त्वपूर्ण थी।
प्रश्न: ‘रामन् प्रभाव’ क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: जब एकवर्णीय प्रकाश की किरण किसी ठोस या तरल पदार्थ से गुजरती है, तो उसका रंग बदल जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि प्रकाश के सूक्ष्म कण ‘फोटॉन’ पदार्थ के अणुओं से टकराकर ऊर्जा का कुछ अंश खोते या पा लेते हैं। इस प्रक्रिया से प्रकाश के वर्ण में परिवर्तन होता है, जिसे रामन् प्रभाव कहा जाता है।
प्रश्न: रामन् की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर: ‘रामन् प्रभाव’ की खोज से पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की संरचना का अध्ययन आसान हो गया। पहले इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी से अध्ययन किया जाता था, जो कठिन था। अब ‘रामन् स्पेक्ट्रोस्कोपी’ से सटीक जानकारी मिलने लगी, जिससे प्रयोगशालाओं में नए पदार्थों का निर्माण संभव हुआ।
प्रश्न: रामन् ने वाद्ययंत्रों के अध्ययन से कौन-सी भ्रांति तोड़ी?
उत्तर: पश्चिमी देशों में यह धारणा थी कि भारतीय वाद्ययंत्र विदेशी वाद्यों से घटिया हैं। रामन् ने वैज्ञानिक अध्ययन कर यह सिद्ध किया कि भारतीय वाद्य भी उतने ही उत्कृष्ट हैं। उन्होंने वीणा, तानपूरा और मृदंगम् जैसे वाद्यों पर प्रयोग किए।
प्रश्न: सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को कौन-कौन से पुरस्कार मिले?
उत्तर: उन्हें रॉयल सोसाइटी की सदस्यता (1924), ‘सर’ की उपाधि (1929), नोबेल पुरस्कार (1930), रोम का मेत्यूसी पदक, फ्रैंकलिन पदक, लेनिन पुरस्कार और भारत रत्न (1954) से सम्मानित किया गया।
प्रश्न: भारतीय संस्कृति के प्रति रामन् का लगाव कैसे था?
उत्तर: उन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्धि के बावजूद अपनी भारतीय पहचान बनाए रखी। वे दक्षिण भारतीय वेशभूषा पहनते, शुद्ध शाकाहारी थे और शराब नहीं पीते थे। उन्होंने स्टॉकहोम में अल्कोहल पर ‘रामन् प्रभाव’ का प्रदर्शन किया, पर स्वयं उसे ग्रहण नहीं किया।
प्रश्न: भारत में वैज्ञानिक चेतना के विकास के लिए रामन् ने क्या योगदान दिया?
उत्तर: उन्होंने बंगलोर में रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की, ‘इंडियन जर्नल ऑफ फिजिक्स’ प्रारंभ किया, अनेक शोध छात्रों को मार्गदर्शन दिया और विज्ञान को लोकप्रिय बनाने हेतु करेंट साइंस पत्रिका का संपादन किया।
प्रश्न: ‘रामन् प्रभाव’ की खोज को भौतिकी में क्रांति क्यों कहा गया है?
उत्तर: इस खोज से आइंस्टाइन के सिद्धांत को प्रायोगिक प्रमाण मिला कि प्रकाश तरंग नहीं, सूक्ष्म कणों की धारा है। इससे भौतिकी के सिद्धांतों में नई दृष्टि आई और पदार्थों के अध्ययन की विधि सरल हुई।
प्रश्न: रामन् के जीवन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर: रामन् का जीवन सिखाता है कि सीमित साधनों में भी दृढ़ निश्चय, लगन और जिज्ञासा से असंभव को संभव बनाया जा सकता है। उन्होंने दिखाया कि भारतीय मस्तिष्क भी विज्ञान के क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व कर सकता है।
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