Short Questions Answer
प्रश्न: स्वामी आनंद का मूल नाम क्या था?
उत्तर: स्वामी आनंद का मूल नाम हिम्मतलाल था।
प्रश्न: स्वामी आनंद का जन्म कहाँ हुआ था?
उत्तर: इनका जन्म गुजरात के कठियावाड़ जिले के किमड़ी गाँव में हुआ था।
प्रश्न: स्वामी आनंद ने स्वतंत्रता आंदोलन में कब भाग लिया?
उत्तर: उन्होंने 1907 में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ाव किया।
प्रश्न: उन्होंने कौन-सा अख़बार निकाला था?
उत्तर: उन्होंने महाराष्ट्र से “तरुण हिंद” अख़बार निकाला था।
प्रश्न: गांधीजी से उनका परिचय कब हुआ?
उत्तर: सन् 1917 में स्वामी आनंद गांधीजी के संपर्क में आए।
प्रश्न: गांधीजी के किस अख़बार से वे जुड़े?
उत्तर: वे बाल गंगाधर तिलक के “केसरी” अख़बार से जुड़े।
प्रश्न: ‘शुक्रतारे के समान’ रचना किस भाषा में मूल रूप से लिखी गई थी?
उत्तर: यह रचना मूलतः गुजराती भाषा में लिखी गई थी।
प्रश्न: इस पाठ के लेखक ने किसका रेखाचित्र प्रस्तुत किया है?
उत्तर: लेखक ने गांधीजी के निजी सचिव महादेव भाई देसाई का रेखाचित्र प्रस्तुत किया है।
प्रश्न: महादेव भाई अपनी पहचान कैसे बताते थे?
उत्तर: वे स्वयं को गांधीजी का “हम्माल” या “पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर” कहते थे।
प्रश्न: महादेव भाई ने गांधीजी की कौन-सी पुस्तक का अनुवाद किया था?
उत्तर: उन्होंने गांधीजी की आत्मकथा “सत्य के प्रयोग” का अंग्रेज़ी अनुवाद किया था।
Long Questions Answer
प्रश्न: स्वामी आनंद के अनुसार महादेव भाई को गांधीजी ने क्यों अपना उत्तराधिकारी कहा?
उत्तर: जब 1917 में महादेव भाई गांधीजी के पास पहुँचे, गांधीजी ने उनकी निष्ठा, योग्यता और समर्पण को देखकर उन्हें पहचान लिया और अपने उत्तराधिकारी के रूप में स्वीकार किया। जलियाँवाला बाग कांड के समय पलवल स्टेशन पर गांधीजी ने सार्वजनिक रूप से उन्हें अपना वारिस कहा था।
प्रश्न: ‘यंग इंडिया’ के प्रकाशन की ज़िम्मेदारी कैसे बढ़ी?
उत्तर: हार्नीमैन के देश-निकाले के बाद गांधीजी ने ‘यंग इंडिया’ का संपादन स्वीकार किया। काम इतना बढ़ गया कि साप्ताहिक पर्याप्त नहीं रहा, इसलिए गांधीजी ने इसे सप्ताह में दो बार निकालने का निश्चय किया। संपादन और लेखन का अधिकतर कार्य महादेव भाई संभालते थे।
प्रश्न: महादेव भाई का गांधीजी से क्या संबंध था?
उत्तर: गांधीजी के लिए महादेव भाई पुत्र से भी अधिक थे। दोनों का जीवन और कार्य एक-दूसरे से इतने गुँथे हुए थे कि उन्हें अलग-अलग नहीं देखा जा सकता था। गांधीजी की मृत्यु तक वे उन्हें याद करते रहे और कहते, “यह घाव कभी भरेगा नहीं।”
प्रश्न: महादेव भाई की लेखन कला की विशेषता क्या थी?
उत्तर: महादेव भाई की लिखावट अत्यंत सुंदर, शुद्ध और आकर्षक थी। गांधीजी के पत्र वे लिखते थे, जिन्हें देखकर वाइसराय तक प्रभावित होते थे। उनकी लिखावट में कॉमा की भी भूल नहीं मिलती थी। उनकी सुंदर लेखनी ने उन्हें सबका प्रिय बना दिया था।
प्रश्न: महादेव भाई की दिनचर्या कैसी थी?
उत्तर: वे अत्यंत परिश्रमी थे। यात्राओं, बैठकों और लेखन के बीच वे कब खाते-सोते, किसी को पता नहीं चलता था। वे एक घंटे में चार घंटों का काम कर लेते थे। दिन-रात का भेद उनके कार्य में नहीं था, फिर भी सूत कातने का कार्य वे कभी नहीं छोड़ते थे।
प्रश्न: महादेव भाई को सबका लाड़ला किस कारण कहा गया?
उत्तर: महादेव भाई की सत्यनिष्ठा, ईमानदारी, विनम्रता, ऊँची पत्रकारिता परंपरा और विरोधियों के साथ भी शालीन व्यवहार ने उन्हें सबका प्रिय बना दिया। गांधीजी के आग्रह और उनके अपने विवेकपूर्ण लेखन ने उन्हें देश-विदेश के समाचार जगत में सम्मान दिलाया।
प्रश्न: महादेव भाई की मृत्यु का कारण क्या माना गया?
उत्तर: वर्धा के मगनवाड़ी से सेवाग्राम तक रोज़ 11 मील पैदल चलकर आने-जाने की थकान और कठोर परिश्रम ने उनके शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डाला। यही उनके अकाल-मृत्यु का एक मुख्य कारण माना गया है।
प्रश्न: महादेव भाई की साहित्यिक देन क्या थी?
उत्तर: गांधीजी की आत्मकथा “सत्य के प्रयोग” का अंग्रेज़ी अनुवाद महादेव भाई की प्रमुख साहित्यिक देन थी। यह अनुवाद ‘यंग इंडिया’ में धारावाहिक रूप में छपा और बाद में पुस्तक के रूप में विश्वभर में प्रसिद्ध हुआ।
प्रश्न: महादेव भाई की प्रतिभा को लेखक ने किस उपमा से जोड़ा है?
उत्तर: लेखक ने महादेव भाई की प्रतिभा की तुलना शुक्रतारे से की है — जो अल्प समय के लिए दिखाई देता है, पर अपनी आभा से आकाश को जगमग कर देता है। उसी प्रकार महादेव भाई ने स्वतंत्रता के उषाकाल में देश को अपनी प्रतिभा से आलोकित किया।
प्रश्न: स्वामी आनंद के अनुसार महान व्यक्ति को महान सहयोगी क्यों चाहिए?
उत्तर: लेखक कहते हैं कि कोई भी महान व्यक्ति तभी महान कार्य कर पाता है जब उसके साथ ऐसे सहयोगी हों जो उसकी अन्य चिंताओं को अपने ऊपर ले लें। गांधीजी के लिए महादेव भाई और प्यारेलाल जी ऐसे ही समर्पित सहयोगी थे, जिन्होंने उन्हें निःस्वार्थ सेवा दी।
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