Short Questions Answer
प्रश्न: रहीम का पूरा नाम क्या था?
उत्तर: रहीम का पूरा नाम अब्दुर्रहीम खानखाना था।
प्रश्न: रहीम का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: रहीम का जन्म सन् 1556 में लाहौर (अब पाकिस्तान) में हुआ था।
प्रश्न: रहीम किन भाषाओं के ज्ञाता थे?
उत्तर: रहीम अरबी, फ़ारसी, संस्कृत और हिंदी के अच्छे जानकार थे।
प्रश्न: रहीम किसके दरबार में नवरत्न थे?
उत्तर: रहीम अकबर के दरबार के नवरत्नों में से एक थे।
प्रश्न: रहीम के काव्य का मुख्य विषय क्या था?
उत्तर: रहीम के काव्य का मुख्य विषय श्रृंगार, नीति और भक्ति था।
प्रश्न: रहीम की भाषा कौन-सी थी?
उत्तर: रहीम ने अपने काव्य में अवधी और ब्रज दोनों भाषाओं का प्रयोग किया।
प्रश्न: ‘रहिमन धागा प्रेम का’ दोहे में कवि क्या सावधानी बरतने को कहते हैं?
उत्तर: कवि कहते हैं कि प्रेम का धागा कभी चटकाकर नहीं तोड़ना चाहिए।
प्रश्न: रहीम ने ‘सागर’ की अपेक्षा ‘पंक जल’ को धन्य क्यों कहा?
उत्तर: क्योंकि पंक का छोटा जल भी सबकी प्यास बुझाता है, जबकि समुद्र का जल पिया नहीं जा सकता।
प्रश्न: ‘जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि’ पंक्ति का आशय क्या है?
उत्तर: इसका अर्थ है कि हर वस्तु का अपना उपयोग होता है, बड़ी चीज़ हमेशा काम नहीं आती।
प्रश्न: रहीम ने पानी को किस कारण आवश्यक बताया है?
उत्तर: उन्होंने कहा कि पानी के बिना मोती, मनुष्य और चूना सब व्यर्थ हैं।
Long Questions Answer
प्रश्न: रहीम के व्यक्तित्व और ज्ञान का वर्णन कीजिए।
उत्तर: रहीम बहुभाषी, विद्वान और संस्कृत, अरबी, फ़ारसी, हिंदी के ज्ञाता थे। वे अकबर के दरबार के नवरत्नों में शामिल थे। उनके काव्य में नीति, भक्ति और श्रृंगार का सुंदर समन्वय मिलता है। वे सरल, बोधगम्य और जीवनोपयोगी दोहों के लिए प्रसिद्ध हैं।
प्रश्न: रहीम ने ‘प्रेम का धागा’ तोड़ने से क्यों मना किया है?
उत्तर: रहीम कहते हैं कि प्रेम का धागा चटकाने पर टूट जाता है। वह दोबारा जुड़ भी जाए तो उसमें गाँठ रह जाती है। इससे प्रेम की मिठास और सहजता खत्म हो जाती है। इसलिए हमें प्रेम संबंधों को कभी तोड़ना नहीं चाहिए।
प्रश्न: ‘रहिमन निज मन की बिथा’ दोहे में कवि क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर: कवि कहते हैं कि अपने मन की पीड़ा किसी से साझा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि लोग सुनकर मजाक उड़ाते हैं, वे दुःख बाँटते नहीं। इसलिए अपने दुःख को मन में ही रखना श्रेष्ठ है।
प्रश्न: ‘एकै साधे सब सधै’ दोहे का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: रहीम कहते हैं कि यदि हम मूल कार्य को साध लेते हैं तो अन्य सभी कार्य अपने आप सफल हो जाते हैं। जैसे यदि जड़ को सींचा जाए तो पेड़ फल-फूल से भर जाता है। इसलिए हमें मूल पर ध्यान देना चाहिए।
प्रश्न: ‘चित्रकूट में रमि रहे’ दोहे का भावार्थ लिखिए।
उत्तर: कवि कहते हैं कि जब किसी पर संकट आता है तभी वह इस देश (चित्रकूट) की ओर आता है। यह संकेत है कि यहाँ संकटमोचक प्रभु राम निवास करते हैं। जिन पर विपदा आती है, वे यहाँ शरण पाते हैं।
प्रश्न: रहीम ने ‘दीरघ दोहा अरथ के’ में क्या समझाया है?
उत्तर: कवि बताते हैं कि दोहे में शब्द भले ही कम हों, पर उनमें गहरा अर्थ निहित होता है। जैसे नट कुंडली मारकर ऊँचाई पर चढ़ जाता है, वैसे ही थोड़े शब्दों में बड़ा अर्थ छिपा होता है।
प्रश्न: रहीम ने ‘पानी’ के महत्त्व को कैसे बताया है?
उत्तर: रहीम कहते हैं कि पानी के बिना सब कुछ सूना है। जैसे पानी के बिना मोती की चमक, मनुष्य का जीवन और चूने की उपयोगिता समाप्त हो जाती है। अतः पानी यानी मर्यादा, नम्रता और सम्मान बनाए रखना आवश्यक है।
प्रश्न: रहीम ने ‘धनि रहीम जल पंक को’ दोहे में क्या सिखाया है?
उत्तर: कवि कहते हैं कि छोटा जलाशय (तालाब) धन्य है क्योंकि वह सबकी प्यास बुझाता है, जबकि बड़ा समुद्र केवल नाम का बड़ा है, पर उसका पानी कोई पी नहीं सकता। इससे सिखाया गया है कि उपयोगी होना बड़ा होने से श्रेष्ठ है।
प्रश्न: ‘रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि’ का क्या अर्थ है?
उत्तर: कवि कहते हैं कि हमें किसी छोटे व्यक्ति या वस्तु को तुच्छ नहीं समझना चाहिए। क्योंकि जहाँ सूई का काम आता है वहाँ तलवार काम नहीं आती। हर व्यक्ति और वस्तु का अपना महत्व होता है।
प्रश्न: ‘बिगरी बात बनै नहीं’ दोहे का आशय लिखिए।
उत्तर: रहीम कहते हैं कि एक बार बिगड़ी हुई बात को लाख कोशिश करने पर भी सुधारा नहीं जा सकता। जैसे फटा हुआ दूध दोबारा मथने पर भी मक्खन नहीं बन सकता। इसलिए हमें सावधानीपूर्वक आचरण करना चाहिए।
Leave a Reply