MCQ प्रेमचंद के फटे जूते Chapter 5 Hindi Class 9 Kshitij हिन्दी Advertisement MCQ’s For All Chapters – Kshitij Class 9th 1. हरिशंकर परसाई का जन्म कब और कहाँ हुआ?1922 में म.प्र. के होशंगाबाद में1922 में इलाहाबाद में1932 में पटना में1922 में वाराणसी मेंYour comments:Question 1 of 172. निम्नलिखित में से कौन-सी रचना हरिशंकर परसाई जी की नहीं है?हॅसते हैं रोते हैंरानी नागफनी की कहानीगोदानभूत के पाँव पीछेYour comments:Question 2 of 173. हरिशंकर परसाई जी का निधन कब हुआ?1991 में1995 में1999 में1998 मेंYour comments:Question 3 of 174. ‘प्रेमचंद के फटे जूते’ पाठ में लेखक ने प्रेमचंद का कैसा चित्रण किया है?बनावटीअतिशयोक्तिपूर्ण चित्रणव्यंग्य चित्रणयथार्थ चित्रणYour comments:Question 4 of 175. लेखक ने इस पाठ में भक्ति काल के किस कवि का वर्णन किया है।सूरदासकुंभन दासरैदासकबीरदासYour comments:Question 5 of 176. ‘नेम’ शब्द का तत्सम शब्द क्या है?नामनयानियमनियामतYour comments:Question 6 of 177. ‘उपहास’ शब्द में उपसर्ग बताइए?उत्उपहास्यहासYour comments:Question 7 of 178. प्रेमचंद का यह फोटो किसके साथ खिंचा था?लेखक केप्रेमचंद के मित्र केउनकी पत्नी केजयशंकर प्रसाद केYour comments:Question 8 of 179. हरिशंकर परसाई मूलतः ……………… हैं। सही विकल्प से रिक्त स्थान से पूर्ति कीजिए।उपन्यासकारनिबन्धकारव्यंग्यकारकहानीकारYour comments:Question 9 of 1710. प्रेमचन्द कैसे साहित्यकार हैं?आदर्शवादीयथार्थवादीप्रयोगवादीप्रगतिवादीYour comments:Question 10 of 1711. लेखक यह क्यों सोचता है कि उस आदमी की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगीप्रेमचंद को किसी तरह का शौक नहीं थावह फटे पुराने वस्त्र पहनने में अपनी शान समझते थेवह एक साहित्यकार घेउनकी कथनी और करनी एक समान धीYour comments:Question 11 of 1712. ‘प्रेमचंद के फटे जूते गय की किस विधा की रचनाडायरी विधानिबंधव्यंग्य विधासंस्मरणYour comments:Question 12 of 1713. मुझे लगता है. तुम किसी सख्त चीज को ठोकर मारते रहे हो। कोई चीज़ जो परम-पर-परम सदियों से जम गयी है, उसे शायद तुमने ठोकर मार-मारकर अपना जूता फाह लिया। कोई टीला जो रास्ते पर खड़ा हो गया था, उस पर तुमने अपना जूता आजमाया। तुम उसे बचाकर, उनके बगल से भी तो निकल सकते थे। टीलों से समझौता भी तो हो जाता है। सभी नदियाँ पहाड़ थोड़े ही फोड़ती हैं, कोई रास्ता बदलकर, घूमकर भी तो चली जाती हैं। ‘कोई चीज जो परम-पर-परम सदियों से जम गई है, उससे शायद तुमने ठोकर मार-मारकर अपना जूता फाड़ लिया।’ इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।प्रेमचंद जी ने अपने साहित्य के माध्यम से समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने का बीड़ा उठाया हैप्रेमचंद जी जूते की ठोकर से पुरानी जमी हुई। चीजों को उखाड़ना चाहते थेप्रेमचंद जी को रूढ़ियों से टकराने में आनंद आता थाइनमें से काई नहींYour comments:Question 13 of 1714. मुझे लगता है. तुम किसी सख्त चीज को ठोकर मारते रहे हो। कोई चीज़ जो परम-पर-परम सदियों से जम गयी है, उसे शायद तुमने ठोकर मार-मारकर अपना जूता फाह लिया। कोई टीला जो रास्ते पर खड़ा हो गया था, उस पर तुमने अपना जूता आजमाया। तुम उसे बचाकर, उनके बगल से भी तो निकल सकते थे। टीलों से समझौता भी तो हो जाता है। सभी नदियाँ पहाड़ थोड़े ही फोड़ती हैं, कोई रास्ता बदलकर, घूमकर भी तो चली जाती हैं। ‘टीलों से समझौता भी हो जाता है। यहाँ टीलों का क्या अर्थ है?टीलों का अर्थ बड़ी-बड़ी चट्टानें हैंटोला पठार की तरह ऊँची भूमि को कहते हैंयहाँ टोलों का अर्थ उन रूढ़ियों से है जिनके कारण हमारा समाज आज भी अंधकारग्रस्त हैइनमें से कोई नहींYour comments:Question 14 of 1715. मुझे लगता है. तुम किसी सख्त चीज को ठोकर मारते रहे हो। कोई चीज़ जो परम-पर-परम सदियों से जम गयी है, उसे शायद तुमने ठोकर मार-मारकर अपना जूता फाह लिया। कोई टीला जो रास्ते पर खड़ा हो गया था, उस पर तुमने अपना जूता आजमाया। तुम उसे बचाकर, उनके बगल से भी तो निकल सकते थे। टीलों से समझौता भी तो हो जाता है। सभी नदियाँ पहाड़ थोड़े ही फोड़ती हैं, कोई रास्ता बदलकर, घूमकर भी तो चली जाती हैं। सख्त चीज से ठोकर मारने का क्या आशय है?पत्थरों को ठोकर मारनामजबूत आदमी से टकरानाअनुशासनप्रिय व्यक्ति से टकरानाशोषण के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करनाYour comments:Question 15 of 1716. मुझे लगता है. तुम किसी सख्त चीज को ठोकर मारते रहे हो। कोई चीज़ जो परम-पर-परम सदियों से जम गयी है, उसे शायद तुमने ठोकर मार-मारकर अपना जूता फाह लिया। कोई टीला जो रास्ते पर खड़ा हो गया था, उस पर तुमने अपना जूता आजमाया। तुम उसे बचाकर, उनके बगल से भी तो निकल सकते थे। टीलों से समझौता भी तो हो जाता है। सभी नदियाँ पहाड़ थोड़े ही फोड़ती हैं, कोई रास्ता बदलकर, घूमकर भी तो चली जाती हैं। यहाँ नदी की क्या विशेषता बताई गई है?नदी सबको स्वष्छ जल देती है नदी शीतलता प्रदान करती हैनदी के मार्ग में यदि कोई अवरोध हो तो वह रास्ता बदल लेती हैनदी हमारे खेतों को हरा-भरा बनाती हैYour comments:Question 16 of 1717. मुझे लगता है. तुम किसी सख्त चीज को ठोकर मारते रहे हो। कोई चीज़ जो परम-पर-परम सदियों से जम गयी है, उसे शायद तुमने ठोकर मार-मारकर अपना जूता फाह लिया। कोई टीला जो रास्ते पर खड़ा हो गया था, उस पर तुमने अपना जूता आजमाया। तुम उसे बचाकर, उनके बगल से भी तो निकल सकते थे। टीलों से समझौता भी तो हो जाता है। सभी नदियाँ पहाड़ थोड़े ही फोड़ती हैं, कोई रास्ता बदलकर, घूमकर भी तो चली जाती हैं। इस गद्यांश को जिस पाठ से लिया गया है, उसके लेखक का नाम बताइए।हरिशंकर परसाईमुंशी प्रेमचंदडॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदीजाविर हुसैनYour comments:Question 17 of 17 Loading...
prem chandra ke phate jute
Premchand ke fate jute
Nice 🙂