MCQ दुःख का अधिकार Chapter 1 Hindi Class 9 Sparsh हिंदी Advertisement MCQ’s For All Chapters – Sparsh Class 9th 1. खरबूजे बेचने वाली से कोई खरबूजे क्यों नहीं ले रहा था?उसके खरबूजे अच्छे नहीं थेउसके रेट बहुत अधिक थेक्योंकि वह घुटनों में सिर गड़ाए फफक-फफककर रो रही थी।इनमें से कोई नहीं।Question 1 of 152. भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था?कछियारी करके परचून की दुकान सेमजदूरी करकेफेरी लगाकर कपड़ा बेचने से।Question 2 of 153. लड़के की मृत्यु के दिन ही बुढ़िया खरबूजे बेचने क्यों चल दी?उसके घर में खाने को कुछ भी नहीं थावह गरीब थीउसके पोता-पोती भूख से बिलबिला रहे थेउपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।Question 3 of 154. लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया ने क्या किया?वह चिकित्सक को बुलाकर लाईउसने स्वयं भी देशी दवा खाने को दीवह झाड़-फूंक करने वाले ओझा को बुलाकर लाईइनमें से कोई नहीं।Question 4 of 155. बुढ़िया खरबूजे कहाँ रखकर बेचती थी?दुकान परफुटपाथ पररेहड़ी परसिर पर रखकर।Question 5 of 156. लेखक ने अपनी तुलना किससे की है?जल बिन मछलीनृत्य बिन बिजलीकटी पतंगकटे हुए वृक्ष से।Question 6 of 157. मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्त्व है?पोशाक मनुष्य के सामाजिक स्तर को दर्शाती हैपोशाक के द्वारा ही मनुष्य अपने और अन्य मनुष्यों में भेद करता हैखास परिस्थितियों में पोशाक हमें नीचे झुकने से रोकती हैउपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।Question 7 of 158. दुःख का अधिकार कहानी में लेखक क्या बताना चाहता है?दुःख व्यक्त करने का अधिकार अमीरों को ही होता हैगरीब आदमी को दु:ख की अनुभूति कम होती हैगरीब आदमी को दुःख व्यक्त करने का अधिकार नहीं हैदु:ख की अनुभूति सभी को समान रूप से होती है।Question 8 of 159. निम्नलिखित में से कौन-सी कृति यशपाल की नहीं है?देशद्रोहीभाषा और समाजज्ञानदानमेरी तेरी उसकी बात।Question 9 of 1510. यशपाल का जन्म कब और कहाँ हुआ?सन् 1903 में फिरोजपुर छावनी में1913 में अंबाला छावनी में1903 में कानपुर में1905 में बरेली छावनी में।Question 10 of 1511. मनुष्यों की पोशाकें उन्हें विभिन्न श्रेणियों में बाँट देती हैं। प्रायः पोशाक ही समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका दर्जा निश्चित करती है। वह हमारे लिए अनेक बंद दरवाजे खोल देती है, परंतु कभी ऐसी भी स्थिति आ जाती है कि हम ज़रा नीचे झुककर समाज की निचली श्रेणियों की अनुभूति को समझना चाहते हैं उस समय यह पोशाक ही बंधन और अड़चन बन जाती है। जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं, उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है। मनुष्य की पोशाकें क्या कार्य करती हैं?उनको प्रतिष्ठित बनाती हैंउनको विभिन्न श्रेणियों में बाँट देती हैंभेदभाव को कम करती हैंभाई-चारे को बढ़ाती हैंQuestion 11 of 1512. मनुष्यों की पोशाकें उन्हें विभिन्न श्रेणियों में बाँट देती हैं। प्रायः पोशाक ही समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका दर्जा निश्चित करती है। वह हमारे लिए अनेक बंद दरवाजे खोल देती है, परंतु कभी ऐसी भी स्थिति आ जाती है कि हम ज़रा नीचे झुककर समाज की निचली श्रेणियों की अनुभूति को समझना चाहते हैं उस समय यह पोशाक ही बंधन और अड़चन बन जाती है। जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं, उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है। हमारे बंद दरवाजों को कौन खोलता है?दरबानहमारी आवश्यकताएँहमारी पोशाकहमारी आर्थिक स्थितिQuestion 12 of 1513. मनुष्यों की पोशाकें उन्हें विभिन्न श्रेणियों में बाँट देती हैं। प्रायः पोशाक ही समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका दर्जा निश्चित करती है। वह हमारे लिए अनेक बंद दरवाजे खोल देती है, परंतु कभी ऐसी भी स्थिति आ जाती है कि हम ज़रा नीचे झुककर समाज की निचली श्रेणियों की अनुभूति को समझना चाहते हैं उस समय यह पोशाक ही बंधन और अड़चन बन जाती है। जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं, उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है। पोशाक हमारे लिए बंधन कब बन जाती है?जब हम अपने से निचली श्रेणियों की अनुभूति को समझना चाहते हैंजब हम दूसरों से आगे बढ़ना चाहते हैंजब हम किसी समारोह में जाते हैंजब हम विद्यालय में पढ़ने जाते हैंQuestion 13 of 1514. मनुष्यों की पोशाकें उन्हें विभिन्न श्रेणियों में बाँट देती हैं। प्रायः पोशाक ही समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका दर्जा निश्चित करती है। वह हमारे लिए अनेक बंद दरवाजे खोल देती है, परंतु कभी ऐसी भी स्थिति आ जाती है कि हम ज़रा नीचे झुककर समाज की निचली श्रेणियों की अनुभूति को समझना चाहते हैं उस समय यह पोशाक ही बंधन और अड़चन बन जाती है। जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं, उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।पोशाक की तुलना किससे की गई है?धन सेअहंकार सेवायू की लहरों से बंद दरवाजे सेQuestion 14 of 1515. मनुष्यों की पोशाकें उन्हें विभिन्न श्रेणियों में बाँट देती हैं। प्रायः पोशाक ही समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका दर्जा निश्चित करती है। वह हमारे लिए अनेक बंद दरवाजे खोल देती है, परंतु कभी ऐसी भी स्थिति आ जाती है कि हम ज़रा नीचे झुककर समाज की निचली श्रेणियों की अनुभूति को समझना चाहते हैं उस समय यह पोशाक ही बंधन और अड़चन बन जाती है। जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं, उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है। निम्न में से कौन-सा शब्द ‘वायु’ का पर्याय नहीं है?पवनसमीरपावनहवाQuestion 15 of 15 Loading...
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