MCQ नए इलाके में … खुशबू रचते हैं हाथ Chapter 10 Hindi Class 9 Sparsh हिंदी Advertisement Naye ILake Mein Khushboo Rachte Hain HaathMCQ’s For All Chapters – Sparsh Class 9th 1. दूसरी बार आने पर क्या होता है?कोई कवि को पहचानता नहींइलाके में भारी अंतर आ जाता हैसभी लोग कवि को पहचान लेते हैंकवि अक्सर अपने मित्र का घर भूल जाता है।Your comments:Question 1 of 162. समाज को सुंदर बनाने वाले लोग अक्सर कैसी जगहों में रहते हैं?अच्छी जगहों मेंआलीशान बंगलों मेंगंदी जगहों मेंशहर के बीच में।Your comments:Question 2 of 163. समाज को खूशबू देने वाले लोग गंदी जगहों पर रहने के लिए क्यों मजबूर हैं?उनके पास इतना पैसा नहीं कि वे अच्छी जगह पर मकान बना सकें।उनको उपेक्षित नज़रों से देखा जाता है।उनका शोषण होता है।उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं।Your comments:Question 3 of 164. ‘खूशबू रचते हाथ’ कविता में कैसे-कैसे हाथों का उल्लेख हआ है?उभरी नसों वाले हाथों काजख्म से फटे हाथों काजूही की डाल से खुशबूदार हाथों काउपर्युक्त सभी का।Your comments:Question 4 of 165. ‘बसंत का गया पतझड़’ में लौटने से क्या अभिप्राय है?एक साल बाद लौटनाजवानी में जाकर बुढ़ापे में लौटनाभारी अंतर का आ जानाउपर्युक्त सभी ठीक हैं।Your comments:Question 5 of 166. पुराने निशान धोखा क्यों दे देते हैं?लोग उन निशानों को मिटा देते हैंलोग उस जगह पर नए मकान बना लेते हैंलेखक को याद ही नहीं रहताइनमें से कोई नहीं।Your comments:Question 6 of 167. कवि पीपल, लोहे के दरवाजों, खाली ज़मीन के आधार पर क्या पहचानना चाहता है?उस स्थान को जहाँ पर उसे जाना हैअपने खाली पड़े प्लाट कोअपने पड़ोसियों के मकान कोअपनी पैतृक ज़मीन को।Your comments:Question 7 of 168. नए इलाके में जाने पर कवि क्या भूल जाता है?सामानरास्तापढनाफोन करना।Your comments:Question 8 of 169. अरुण कमल का जन्म कब हुआ?सन् 1950 मेंसन् 1952 मेंसन् 1954 मेंसन् 1956 मेंYour comments:Question 9 of 1610. ‘खुशबू रचते हाथ’ कविता के कवि कौन हैं?जयशंकर प्रसादसूर्यकांत त्रिपाठी निराला।सियाराम शरण गुप्तअरुण कमल।Your comments:Question 10 of 1611. ‘नए इलाके में’ कविता के कवि कौन हैं?अरुण कमलहरिवंशराय बच्चननज़ीर अकबराबादीरामधारी सिंह दिनकर।Your comments:Question 11 of 1612. यहाँ रोज कुछ बन रहा हैरोज़ कुछ घट रहा हैयहाँ स्मृति का भरोसा नहींएक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनियाजैसे बसंत का गया पतझड़ को लौटा हूँजैसे बैसाख का गया भादों को लौटा हूँ,अब यही उपाय है कि हर दरवाजा खटखटाओऔर पूछो-क्या यही है वो घर? अब किस पर भरोसा नहीं किया जा सकता?अब पुराने रास्तों पर भरोसा नहीं किया जा सकताअब नए रास्तों पर भरोसा नहीं किया जा सकताअब पुरानी यादों पर भरोसा नहीं किया जा सकताअब नई यादों पर भरोसा नहीं किया जा सकताYour comments:Question 12 of 1613. यहाँ रोज कुछ बन रहा हैरोज़ कुछ घट रहा हैयहाँ स्मृति का भरोसा नहींएक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनियाजैसे बसंत का गया पतझड़ को लौटा हूँजैसे बैसाख का गया भादों को लौटा हूँ,अब यही उपाय है कि हर दरवाजा खटखटाओऔर पूछो-क्या यही है वो घर? ‘जैसे वंसत का गया पतझड़ को लौटा हूँ’ से कवि का क्या आशय है?खुशी का गम में बदल जानागम का खुशी में बदल जानाऋतु-परिवर्तनसमय की परिवर्तनशीलताYour comments:Question 13 of 1614. यहाँ रोज कुछ बन रहा हैरोज़ कुछ घट रहा हैयहाँ स्मृति का भरोसा नहींएक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनियाजैसे बसंत का गया पतझड़ को लौटा हूँजैसे बैसाख का गया भादों को लौटा हूँ,अब यही उपाय है कि हर दरवाजा खटखटाओऔर पूछो-क्या यही है वो घर? दुनिया एक दिन में ही क्यों पुरानी पड़ जाती है?क्योंकि जो बीत गया सो बात गईक्योंकि नित्य नए परिवर्तन हो रहे हैंक्योंकि बीता दिन फिर लौट कर नहीं आताक्योंकि बीता दिन पुराना हो जाता है।Your comments:Question 14 of 1615. यहाँ रोज कुछ बन रहा हैरोज़ कुछ घट रहा हैयहाँ स्मृति का भरोसा नहींएक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनियाजैसे बसंत का गया पतझड़ को लौटा हूँजैसे बैसाख का गया भादों को लौटा हूँ,अब यही उपाय है कि हर दरवाजा खटखटाओऔर पूछो-क्या यही है वो घर? हर दरवाजे पर जाकर कवि ने क्या पूछा?क्या वह उसी शहर में है?क्या यह भादो का मौसम है?क्या यह वही मकान है?क्या वह उसे पहचानते हैं?Your comments:Question 15 of 1616. यहाँ रोज कुछ बन रहा हैरोज़ कुछ घट रहा हैयहाँ स्मृति का भरोसा नहींएक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनियाजैसे बसंत का गया पतझड़ को लौटा हूँजैसे बैसाख का गया भादों को लौटा हूँ,अब यही उपाय है कि हर दरवाजा खटखटाओऔर पूछो-क्या यही है वो घर? “समय बहुत कम है तुम्हारे पास’ कहकर कवि क्या समझाना चाहता है?जीवन-अवधि बहुत कम है और काम बहुतकम समय में बहुत काम निपटाना हैबनते-बिगड़ते स्वरूप के बीच समय की गति बदलती जा रही हैबनते-बिगड़ते स्वरूप के बीच जीवन तीव्र गति से बहता चला जा रहा हैYour comments:Question 16 of 16 Loading...
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