MCQ अग्नि पथ Agnipath Chapter 9 Hindi Class 9 Sparsh हिंदी Advertisement MCQ’s For All Chapters – Sparsh Class 9th 1. ‘अग्निपथ’ कविता में कवि ने कैसे जीवन के बारे में बताया है?वैभवपूर्ण जीवनसहज जीवनसंघर्षमय जीवनआडंबरहीन जीवन।Question 1 of 132. कवि मनुष्य से किस बात की शपथ लेने को कहता है?ईमानदारी कीपरोपकार करने कीकभी झूठ न बोलने कीकभी न थकने व लक्ष्य से न भटकने की।Question 2 of 133. दूसरों की सहायता लेने से कवि क्यों मना करता है?यदि हम दूसरों की सहायता लेंगे तो हमारी संघर्ष करने की शक्ति कम हो जाएगी।ऐसा करने से कवि के स्वाभिमान को ठेस पहुँचती है।यदि हम दूसरों की सहायता लेंगे तो हमें भी उनकी सहायता करनी पड़ेगी।दूसरों की सहायता असहाय लोग ही ले सकते हैं।Question 3 of 134. “एक पत्र छाँह भी माँग मत’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिएदूसरों से किसी भी प्रकार की सहायता की आशा न रखनादूसरों के आश्रय में न रहनादूसरों के बल पर आगे बढ़नाइनमें से कोई नहीं।Question 4 of 135. निम्नलिखित में कौन-सी रचना हरिवंशराय जी की नहीं है?मधुशालानिशा-निमंत्रणउर्वशीक्या भूलूँ क्या याद करूँ।Question 5 of 136. श्री हरिवंशराय बच्चन को निम्नलिखित में से कौन-सा पुरस्कार नहीं मिला?साहित्य अकादमी पुरस्कारसोवियत भूमि नेहरू पुरस्कारसरस्वती सम्मानज्ञान पीठ पुरस्कार।Question 6 of 137. हरिवंशराय बच्चन का जन्म कब हुआ था?27 नवंबर सन् 1907 को15 अगस्त सन् 1930 को27 नवंबर सन् 1917 को27 अक्टूबर सन् 1927 कोQuestion 7 of 138. ‘अग्निपथ’ कविता किसके द्वारा लिखी गई है?अमिताभ बच्चनहरिवंशराय बच्चनरामधारी सिंह दिनकरअभिषेक बच्चन।Question 8 of 139. अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!वृक्ष हों भले खड़े,हों घने, हों बड़े,एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत, माँग मत!अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!तू न थकेगा कभी!तू न थमेगा कभी!तू न मुड़ेगा कभी!-कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ!अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!यह महान दृश्य हैचल रहा मनुष्य हैअश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ!अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि ‘अग्निपथ’ कविता में कवि ने कैसे जीवन के बारे में बताया है?वैभवपूर्ण जीवनसहज जीवनसंघर्षमय जीवनआडंबरहीन जीवन।Question 9 of 1310. अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!वृक्ष हों भले खड़े,हों घने, हों बड़े,एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत, माँग मत!अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!तू न थकेगा कभी!तू न थमेगा कभी!तू न मुड़ेगा कभी!-कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ!अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!यह महान दृश्य हैचल रहा मनुष्य हैअश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ!अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि कवि मनुष्य से किस बात की शपथ लेने को कहता है?ईमानदारी कीपरोपकार करने कीकभी झूठ न बोलने कीकभी न थकने व लक्ष्य से न भटकने की।Question 10 of 1311. अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!वृक्ष हों भले खड़े,हों घने, हों बड़े,एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत, माँग मत!अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!तू न थकेगा कभी!तू न थमेगा कभी!तू न मुड़ेगा कभी!-कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ!अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!यह महान दृश्य हैचल रहा मनुष्य हैअश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ!अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि दूसरों की सहायता लेने से कवि क्यों मना करता है?यदि हम दूसरों की सहायता लेंगे तो हमारी संघर्ष करने की शक्ति कम हो जाएगी।ऐसा करने से कवि के स्वाभिमान को ठेस पहुंचती है।यदि हम दूसरों की सहायता लेंगे तो हमें भी उनकी सहायता करनी पड़ेगी।दूसरों की सहायता असहाय लोग ही ले सकते हैं।Question 11 of 1312. अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!वृक्ष हों भले खड़े,हों घने, हों बड़े,एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत, माँग मत!अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!तू न थकेगा कभी!तू न थमेगा कभी!तू न मुड़ेगा कभी!-कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ!अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!यह महान दृश्य हैचल रहा मनुष्य हैअश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ!अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि ‘एक पत्र छाँह भी माँग मत’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिएदूसरों से किसी भी प्रकार की सहायता की आशा न रखनादूसरों के आश्रय में न रहनादूसरों के बल पर आगे बढ़नाइनमें से कोई नहीं।Question 12 of 1313. अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!वृक्ष हों भले खड़े,हों घने, हों बड़े,एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत, माँग मत!अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!तू न थकेगा कभी!तू न थमेगा कभी!तू न मुड़ेगा कभी!-कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ!अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!यह महान दृश्य हैचल रहा मनुष्य हैअश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ!अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि कविता का मूल भाव क्या है?वैभवपूर्ण जीवनजीवन में निरंतर संघर्ष करनापीछे मुड़कर देखनागरीबों की सेवा करनाQuestion 13 of 13 Loading...
Leave a Reply