Solutions For All Chapters Kshitij Class 9
Vakh Question Answer
प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1: ‘रस्सी’ यहाँ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है और वह कैसी है?
उत्तर: ‘रस्सी’ यहाँ जीवन को भवसागर से पार ले जाने वाले साधनों या प्रयासों के लिए प्रयुक्त हुई है। यह कच्चे धागे की है, अर्थात् कमजोर और नाशवान है।
प्रश्न 2: कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे हैं?
उत्तर: कवयित्री के मुक्ति के प्रयास व्यर्थ हो रहे हैं क्योंकि:
- वे कच्चे धागे की रस्सी (कमजोर साधन) और कच्चे सकोरे (स्वाभाविक रूप से कमजोर साधन) का उपयोग कर रही हैं।
- ये साधन भवसागर पार करने में असमर्थ हैं, जिससे उनके प्रयास निष्फल हो रहे हैं।
प्रश्न 3: कवयित्री का ‘घर जाने की चाह’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: ‘घर जाने की चाह’ से कवयित्री का तात्पर्य ईश्वर-प्राप्ति या मोक्ष की इच्छा से है, जहाँ आत्मा को शांति और मुक्ति मिलती है।
प्रश्न 4: भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) जेब टटोली कौड़ी न पाई।
उत्तर: इस पंक्ति का भाव है कि कवयित्री ने आत्मालोचन किया, लेकिन उन्हें कोई सद्कर्म या योग्यता नहीं मिली, जिसे वे माझी (ईश्वर) को भवसागर पार करने के लिए उतराई (मेहनताना) के रूप में दे सकें।
(ख) खा-खाकर कुछ पाएगा नहीं, न खाकर बनेगा अहंकारी।
उत्तर: इस पंक्ति का भाव है कि अति भोग-विलास से कुछ प्राप्त नहीं होता और पूर्ण त्याग से अहंकार पैदा होता है। संतुलित जीवन (सम खाना) ही समभावी बनाता है।
प्रश्न 5: बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए ललद्यद ने क्या उपाय सुझाया है?
उत्तर: ललद्यद ने बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए उपाय सुझाया है कि सम खाकर (संतुलित जीवन अपनाकर) समभावी बनें, जिससे चेतना व्यापक होगी और मन मुक्त होगा।
प्रश्न 6: ईश्वर प्राप्ति के लिए बहुत से साधक हठयोग जैसी कठिन साधना भी करते हैं, लेकिन उससे भी लक्ष्य प्राप्ति नहीं होती। यह भाव किन पंक्तियों में व्यक्त हुआ है?
उत्तर: यह भाव निम्नलिखित पंक्तियों में व्यक्त हुआ है:
- “रस्सी कच्चे धागे की, खींच रही मैं नाव।
- पानी टपके कच्चे सकोरे, व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे।”
- इन पंक्तियों में हठयोग जैसे कमजोर साधनों की असफलता को दर्शाया गया है।
प्रश्न 7: ‘ज्ञानी’ से कवयित्री का क्या अभिप्राय है?
उत्तर: ‘ज्ञानी’ से कवयित्री का अभिप्राय उस व्यक्ति से है जो आत्मज्ञान प्राप्त करता है और स्वयं को जानकर ईश्वर से पहचान करता है।
प्रश्न 8: हमारे संतो, भक्तों और महापुरुषों ने बार-बार चेताया है कि मनुष्यों में परस्पर किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होता, लेकिन आज भी हमारे समाज में भेदभाव दिखाई देता है-
(क) आपकी दृष्टि में इस कारण देश और समाज को क्या हानि हो रही है?
उत्तर: भेदभाव के कारण देश और समाज को निम्नलिखित हानियाँ हो रही हैं:
- सामाजिक एकता और सौहार्द नष्ट होता है।
- आपसी विश्वास और प्रेम कम होता है।
- समाज में तनाव और वैमनस्य बढ़ता है।
- विकास और प्रगति में बाधा आती है।
(ख) आपसी भेदभाव को मिटाने के लिए अपने सुझाव दीजिए।
उत्तर: आपसी भेदभाव मिटाने के लिए सुझाव:
- शिक्षा के माध्यम से समानता और प्रेम का प्रसार करना।
- धार्मिक और सामाजिक संकीर्णताओं का विरोध करना।
- ललद्यद की तरह समभावी दृष्टिकोण अपनाना।
- सामुदायिक आयोजनों के माध्यम से विभिन्न धर्मों और जातियों के बीच एकता बढ़ाना।
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