Solutions For All Chapters Kshitij Class 9
Lhasa Ki Aur Question Answer
प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1. थोड़ला के पहले के आखिरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला, जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। क्यों?
उत्तर: पहली बार लेखक भिखमंगे के वेश में था, इसलिए लोगों ने उसे साधु समझकर आदर दिया और ठहरने का स्थान दिया। लेकिन दूसरी बार वह भद्र वेश में था, जिससे लोग उसे साधु नहीं बल्कि सामान्य यात्री समझकर सम्मान नहीं दे पाए। तिब्बत में साधु के रूप में व्यक्ति को अधिक श्रद्धा मिलती थी।
प्रश्न 2. उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकार का भय बना रहता था?
उत्तर: उस समय तिब्बत में हथियार रखने की कोई रोक-टोक नहीं थी। इसलिए यात्रियों को यह डर हमेशा रहता था कि कहीं कोई लुटेरा या डाकू उन्हें लूट न ले या जान से न मार दे।
प्रश्न 3. लेखक लङ्ङ्कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गया?
उत्तर: लङ्ङ्कोर के मार्ग में लेखक के पैर में फफोले पड़ गए थे और थकावट के कारण वह तेज़ चल नहीं पाया। इसी वजह से वह अपने साथियों से पीछे रह गया।
प्रश्न 4. लेखक ने शेकर विहार में सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से रोका, परंतु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया?
उत्तर: पहली बार लेखक ने सुमति को इसलिए रोका क्योंकि उसे लगा कि वे यजमान धोखा दे सकते हैं। पर दूसरी बार उसने रोका नहीं, क्योंकि उसे विश्वास था कि अब सुमति समझदार हो गया है और अपने निर्णय स्वयं ले सकता है।
प्रश्न 5. अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
उत्तर: यात्रा के दौरान लेखक को बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। रास्ता दुर्गम और खतरनाक था, ठहरने की जगह नहीं मिलती थी, भोजन की कमी रहती थी और मौसम भी बहुत ठंडा था। कई बार उन्हें बर्फ़ीले तूफ़ानों, थकावट और पैरों में छाले जैसी तकलीफ़ें भी झेलनी पड़ीं।
प्रश्न 6. प्रस्तुत यात्रा-वृत्तांत के आधार पर बताइए कि उस समय का तिब्बती समाज कैसा था?
उत्तर: उस समय का तिब्बती समाज धार्मिक, आस्थावान और सरल था। लोग साधुओं का बहुत सम्मान करते थे, परंतु सामान्य यात्रियों से सतर्क रहते थे। समाज में गरीबी थी, लेकिन लोगों में धार्मिक भावना और अतिथियों के प्रति श्रद्धा भी दिखाई देती थी।
प्रश्न 7. ‘मैं अब पुस्तकों के भीतर था।’ नीचे दिए गए विकल्पों में से कौन सा इस वाक्य का अर्थ बतलाता है–
(क) लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।
(ख) लेखक पुस्तकों की शैल्फ़ के भीतर चला गया।
(ग) लेखक के चारों ओर पुस्तकें ही थीं।
(घ) पुस्तक में लेखक का परिचय और चित्र छपा था।
उत्तर: ✔ (ग) लेखक के चारों ओर पुस्तकें ही थीं।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 8:सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग लगभग हर गाँव में मिले। इस आधार पर आप सुमति के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का चित्रण कर सकते हैं?
उत्तर:सुमति के यजमान और परिचित लोग लगभग हर गाँव में मिलने से यह स्पष्ट होता है कि वे अत्यंत मिलनसार, सद्भावनापूर्ण, धार्मिक और लोकप्रिय व्यक्ति थे। वे सभी से प्रेम और सम्मान से व्यवहार करते थे। उनके सौम्य और सरल स्वभाव के कारण लोग उनसे प्रभावित रहते थे। उनका जीवन सेवा, भक्ति और सहयोग भावना से भरा हुआ था।
प्रश्न 9:’हालाँकि उस वक्त मेरा भेष ऐसा नहीं था कि उन्हें कुछ भी खयाल करना चाहिए था।’ उक्त कथन के अनुसार हमारे आचार-व्यवहार के तरीके वेशभूषा के आधार पर तय होते हैं। आपकी समझ से यह उचित है अथवा अनुचित, विचार व्यक्त करें।
उत्तर:वेशभूषा के आधार पर किसी के आचार-व्यवहार का मूल्यांकन करना अनुचित है। व्यक्ति का सच्चा मूल्य उसके गुण, व्यवहार और विचारों से आँका जाना चाहिए, न कि उसके पहनावे से। बाहरी रूप केवल दिखावा है, जबकि वास्तविकता व्यक्ति के चरित्र और कर्मों में झलकती है। इसलिए हमें किसी के भेष से नहीं, बल्कि उसके स्वभाव और आचरण से पहचान बनानी चाहिए।
प्रश्न 10:यात्रा-वृत्तांत के आधार पर तिब्बत की भौगोलिक स्थिति का शब्द-चित्र प्रस्तुत करें। वहाँ की स्थिति आपके राज्य/शहर से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:तिब्बत की भौगोलिक स्थिति अत्यंत ऊँचाई और कठिन पर्वतीय मार्गों से भरी है। वहाँ बर्फ़ से ढके शिखर, संकीर्ण घाटियाँ और निर्जन स्थान हैं। ऊँचाई के कारण वहाँ की जलवायु बहुत ठंडी है। कुछ क्षेत्रों में हरियाली नहीं के बराबर है।
मेरे राज्य/शहर में मैदान हैं, जहाँ खेती योग्य भूमि, पेड़-पौधे और आबादी अधिक है। वहाँ का वातावरण तिब्बत की तुलना में संतुलित और जीवनोपयोगी है।
प्रश्न 11:आपने भी किसी स्थान की यात्रा अवश्य की होगी। यात्रा के दौरान हुए अनुभवों को लिखकर प्रस्तुत करें।
उत्तर:मैंने परिवार के साथ जयपुर की यात्रा की थी। वहाँ के किले, महल और ऐतिहासिक इमारतें बहुत सुंदर लगीं। हवा महल, आमेर किला और जंतर-मंतर देखकर मुझे भारत की प्राचीन कला और स्थापत्य पर गर्व हुआ। यात्रा के दौरान नए लोगों से मिलने, नई जगह देखने और इतिहास जानने का अवसर मिला। यह यात्रा मेरे लिए ज्ञानवर्धक और आनंददायक अनुभव रही।
प्रश्न 12:यात्रा-वृत्तांत गद्य साहित्य की एक विधा है। आपकी इस पाठ्यपुस्तक में कौन-कौन सी विधाएँ हैं? प्रस्तुत विधा उनसे किन मायनों में अलग है?
उत्तर:इस पाठ्यपुस्तक में कहानी, निबंध, संस्मरण, आत्मकथा और यात्रा-वृत्तांत जैसी विभिन्न गद्य विधाएँ हैं।
यात्रा-वृत्तांत इन सबसे इसलिए अलग है क्योंकि इसमें लेखक यात्रा के दौरान देखे गए स्थानों, लोगों, रीति-रिवाजों और अनुभवों का वास्तविक व वर्णनात्मक चित्रण करता है। यह विधा पाठक को ऐसा अनुभव कराती है मानो वह स्वयं उस यात्रा में सम्मिलित हो। इसमें भाषा वर्णनात्मक, रोचक और यथार्थपूर्ण होती है, जबकि अन्य विधाएँ कल्पना, घटना या विचारों पर आधारित होती हैं।

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