Solutions For All Chapters Sparsh Class 9
प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1: निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) पहले पद में भगवान और भक्त की जिन-जिन चीजों से तुलना की गई है, उनका उल्लेख कीजिए।
उत्तर: पहले पद में भगवान और भक्त की तुलना दीपक और बाती, चंद्र और चकोर, कमल और भँवर, मोती और धागा, सुहागन और सजन से की गई है।
(ख) पहले पद की प्रत्येक पंक्ति के अंत में तुकांत शब्दों के प्रयोग से नाद-सौंदर्य आ गया है. जैसे पानी, समानी आदि। इस पद में से अन्य तुकांत शब्द छाँटकर लिखिए।
उत्तर: तुकांत शब्द: बाती-जाती, चकोर-रोर, भँवर-खंवर, धागा-आगा, सजन-जन।
(ग) पहले पद में कुछ शब्द अर्थ की दृष्टि से परस्पर संबद्ध हैं। ऐसे शब्दों को छाँटकर लिखिए-
उदाहरण: दीपक – बाती
उत्तर:
चंद्र – चकोर
कमल – भँवर
मोती – धागा
सुहागन – सजन
(घ) दूसरे पद में कवि ने ‘गरीब निवाजु’ किसे कहा है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: दूसरे पद में कवि ने ‘गरीब निवाजु’ भगवान को कहा है, क्योंकि वे गरीबों और दीन-दुखियों के रक्षक हैं, जो उनकी रक्षा और कल्याण करते हैं।
(ङ) दूसरे पद की ‘जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: इस पंक्ति का आशय है कि जिसे संसार तुच्छ समझता है, उस दीन-हीन पर भगवान अपनी कृपा बरसाते हैं और उसकी रक्षा करते हैं।
(च) ‘रैदास’ ने अपने स्वामी को किन-किन नामों से पुकारा है?
उत्तर: रैदास ने अपने स्वामी को ‘गुसईआ’ और ‘गरीब निवाजु’ नामों से पुकारा है।
(छ) निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए-
मोरा, चंद, बाती, जोति, बरै, राती, छत्रु, धरै, छोति, तुहीं, गुसईआ
उत्तर:
मोरा – मौर
चंद – चंद्र
बाती – बत्ती
जोति – ज्योति
बरै – जलता है
राती – रात
छत्रु – शत्रु
धरै – रखता है
छोति – छूत
तुहीं – तू ही
गुसईआ – गुसाई (प्रभु)
2. नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
प्रश्न (क): जाकी अँग-अँग बास समानी
उत्तर: इस पंक्ति का भाव है कि भक्त के प्रत्येक अंग में भगवान की भक्ति की सुगंध समाई हुई है, जैसे दीपक की बाती में तेल की सुगंध होती है।
प्रश्न (ख): जैसे चितवत चंद चकोरा
उत्तर: इस पंक्ति का भाव है कि जैसे चकोर चंद्रमा को एकटक देखता है, वैसे ही भक्त अपने भगवान को पूर्ण श्रद्धा और प्रेम से देखता है।
प्रश्न (ग): जाकी जोति बरै दिन राती
उत्तर: इस पंक्ति का भाव है कि भक्त की ज्योति (भक्ति) दिन-रात भगवान के प्रेम में जलती रहती है, जैसे दीपक की बाती निरंतर जलती है।
प्रश्न (घ): ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै
उत्तर: इस पंक्ति का भाव है कि हे भगवान, तुम्हारे बिना भक्त का कोई सहारा नहीं है, केवल तुम ही उसकी रक्षा और देखभाल कर सकते हो।
प्रश्न (ङ): नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै
उत्तर: इस पंक्ति का भाव है कि मेरा भगवान नीच को भी उच्च बना देता है और वह किसी से नहीं डरता, क्योंकि वह सभी का कल्याण करता है।
प्रश्न 3: रैदास के इन पदों का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: रैदास के पदों का केंद्रीय भाव भगवान के प्रति गहरी भक्ति और समर्पण है। वे भगवान को भक्त का एकमात्र सहारा बताते हैं, जो नीच को भी उच्च बनाता है। भक्त और भगवान का संबंध दीपक-बाती, चंद्र-चकोर जैसे अटूट प्रेम से दर्शाया गया है।
योग्यता-विस्तार
प्रश्न 1: भक्त कवि कबीर, गुरु नानक, नामदेव और मीराबाई की रचनाओं का संकलन कीजिए।
उत्तर: पाठ से भक्त कवियों की रचनाओं का संकलन निम्नलिखित है (पाठ में रैदास के पद दिए गए हैं, लेकिन निर्देशानुसार अन्य कवियों की मुख्य रचनाएँ):
- कबीर: साखी, सबद, पद (भजन, ज्ञान, वैराग्य पर), कबीर ग्रंथावली।
- गुरु नानक: जपजी साहिब, वरन भजन, गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित पद।
- नामदेव: अभंग, पद (विष्णु भक्ति पर), गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित रचनाएँ।
- मीराबाई: पद, भजन (कृष्ण भक्ति पर), मीरा के पद संग्रह।

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