Solutions For All Chapters Sparsh Class 9
प्रश्न-अभ्यास
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) प्रेम का धागा टूटने पर पहले की भाँति क्यों नहीं हो पाता?
उत्तर: प्रेम का धागा टूटने पर पहले की भाँति नहीं हो पाता क्योंकि प्रेम विश्वास और भावनाओं का बंधन है, जो टूटने पर पुनः पूर्ण रूप से जुड़ नहीं पाता।
(ख) हमें अपना दुःख दूसरों पर क्यों नहीं प्रकट करना चाहिए? अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार कैसा हो जाता है?
उत्तर: हमें अपना दुःख दूसरों पर नहीं प्रकट करना चाहिए क्योंकि वे सहानुभूति के बजाय उपहास करते हैं। उनकी नजरों में हमारी कीमत कम हो जाती है।
(ग) रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य क्यों कहा है?
उत्तर: रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य कहा क्योंकि पंक जल कमल को खिलाता है, जो सौंदर्य और पवित्रता का प्रतीक है।
(घ) एक को साधने से सब कैसे सध जाता है?
उत्तर: एक को साधने से सब सध जाता है क्योंकि एक गुण, भक्ति या लक्ष्य को पूर्ण करने से अन्य सभी कार्य स्वतः पूर्ण हो जाते हैं।
(ङ) जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी क्यों नहीं कर पाता?
उत्तर: जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी नहीं कर पाता क्योंकि कमल को जीवन और पोषण के लिए जल आवश्यक है, सूर्य की गर्मी इसे मुरझा देती है।
(च) अवध नरेश को चित्रकूट क्यों जाना पड़ा?
उत्तर: अवध नरेश (राम) को चित्रकूट जाना पड़ा क्योंकि उन्होंने वनवास का वचन निभाने और पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए चित्रकूट में निवास किया।
(छ) ‘नट’ किस कला में सिद्ध होने के कारण ऊपर चढ़ जाता है?
उत्तर: ‘नट’ रस्सी पर चढ़ने की कला में सिद्ध होने के कारण ऊपर चढ़ जाता है।
(ज) ‘मोती, मानुष, चून’ के संदर्भ में पानी के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: पानी के बिना मोती अपनी चमक, मानुष अपनी शक्ति और चून अपनी बनावट खो देता है; पानी इनके लिए जीवन और सौंदर्य का आधार है।
2. निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।
उत्तर: इस दोहे का भाव है कि प्रेम का बंधन टूटने पर पहले जैसा नहीं जुड़ता; यदि जुड़ता भी है, तो उसमें गाँठ पड़ जाती है, जो पूर्णता को नष्ट कर देती है।
(ख) सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहैं कोय।
उत्तर: इस दोहे का भाव है कि लोग दूसरों का दुख सुनकर केवल मनोरंजन करते हैं, लेकिन कोई भी उस दुख को बाँटने या सहानुभूति देने को तैयार नहीं होता।
(ग) रहिमन मूलहिं सीचिबो, फूलै फलै अघाय।
उत्तर: इस दोहे का भाव है कि यदि पौधे की जड़ को सींचा जाए, तो वह फूलता-फलता है और प्रचुर मात्रा में फल देता है; यानी मूल कार्य पर ध्यान देना चाहिए।
(घ) दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।
उत्तर: इस दोहे का भाव है कि दोहों में कम शब्दों में गहन अर्थ समाहित होता है, जो विचारों को संक्षिप्त लेकिन प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करता है।
(ङ) नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत।
उत्तर: इस दोहे का भाव है कि हिरण सुरीले नाद के लिए अपनी जान दे देता है, जबकि मनुष्य धन के लालच में अपने जीवन को खतरे में डालता है।
(च) जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।
उत्तर: इस दोहे का भाव है कि छोटी चीजें (सुई) जहाँ उपयोगी होती हैं, वहाँ बड़ी चीजें (तलवार) बेकार हैं; यानी हर कार्य के लिए उचित साधन जरूरी है।
(छ) पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।
उत्तर: इस दोहे का भाव है कि पानी के बिना मोती अपनी चमक, मनुष्य अपनी शक्ति और आटा अपनी बनावट खो देता है; पानी इनके लिए आवश्यक है।
3. निम्नलिखित भाव को पाठ में किन पंक्तियों द्वारा अभिव्यक्त किया गया है-
(क) जिस पर विपदा पड़ती है वही इस देश में आता है।
उत्तर: इस भाव को पाठ की पंक्तियों द्वारा नहीं दिया गया है, क्योंकि पाठ में ऐसी कोई पंक्ति नहीं है जो इस भाव को स्पष्ट रूप से व्यक्त करती हो।
(ख) कोई लाख कोशिश करे पर बिगड़ी बात फिर बन नहीं सकती।
उत्तर: इस भाव को पाठ की पंक्ति “टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।” द्वारा अभिव्यक्त किया गया है।
(ग) पानी के बिना सब सूना है अतः पानी अवश्य रखना चाहिए।
उत्तर: इस भाव को पाठ की पंक्ति “पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।” द्वारा अभिव्यक्त किया गया है।
योग्यता-विस्तार
प्रश्न 1: ‘सुई की जगह तलवार काम नहीं आती’ तथा ‘बिन पानी सब सून’ इन विषयों पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर: इन विषयों पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित करने के लिए:
- सुई की जगह तलवार काम नहीं आती: इस दोहे का भाव है कि हर कार्य के लिए उचित साधन जरूरी है। परिचर्चा में विद्यार्थी उदाहरण देकर समझाएँ कि छोटे कार्यों के लिए छोटे साधन और बड़े कार्यों के लिए बड़े साधन उपयुक्त होते हैं।
- बिन पानी सब सून: इस दोहे का भाव है कि पानी जीवन का आधार है। परिचर्चा में पानी के महत्व, इसके संरक्षण और बिना पानी के जीवन की कठिनाइयों पर चर्चा करें।
प्रश्न 2: ‘चित्रकूट’ किस राज्य में स्थित है, जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर: पाठ के आधार पर, चित्रकूट वह स्थान है जहाँ अवध नरेश (राम) वनवास के दौरान गए थे। यह उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है।

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