Notes For All Chapters Hindi Kritika Class 9
परिचय
- लेखक का नाम: जगदीश चंद्र माथुर।
- पाठ का प्रकार: यह एक एकांकी (एक幕 नाटक) है, जिसमें समाज की पुरानी सोच, लड़की की शिक्षा और शादी के मुद्दे पर व्यंग्य है।
- मुख्य विषय: लड़की को देखने आए रिश्तेदारों के सामने उमा का साहस और रीढ़ की हड्डी (बैकबोन) का महत्व। एकांकी लड़कियों की शिक्षा, स्वतंत्रता और समाज की दोगली सोच पर जोर देती है।
- एकांकी का उद्देश्य: समाज में लड़कियों को वस्तु की तरह न देखना, उनकी शिक्षा का सम्मान करना और पुरुषों की कमजोरी पर व्यंग्य करना।
- शीर्षक की सार्थकता: ‘रीढ़ की हड्डी’ का अर्थ है साहस और मजबूती। उमा शंकर की कमजोरी पर कहती है कि उसमें रीढ़ की हड्डी नहीं है, यानी साहस नहीं। शीर्षक उमा के साहस और शंकर की कायरता को दर्शाता है।
- मुख्य पात्र: रामस्वरूप (उमा के पिता), प्रेमा (उमा की माँ), उमा (बेटी), रतन (नौकर), गोपाल प्रसाद (लड़के के पिता), शंकर (लड़का)।
- पृष्ठभूमि: कमरा सजा हुआ है, क्योंकि लड़की देखने वाले आने वाले हैं।
कथावस्तु का सार
- रामस्वरूप अपनी बेटी उमा की शादी तय करने के लिए घर सजाते हैं। वे उमा की बी.ए. की पढ़ाई छिपाते हैं और कहते हैं कि वह सिर्फ मैट्रिक पास है।
- गोपाल प्रसाद और उनका बेटा शंकर आते हैं। वे पुरानी सोच वाले हैं, लड़की को पढ़ी-लिखी नहीं चाहते। रामस्वरूप और गोपाल पुराने जमाने की तारीफ करते हैं।
- उमा चुप नहीं रहती, वह सामने आकर शंकर के पुराने व्यवहार (हॉस्टल में तांक-झांक) का खुलासा करती है। वह कहती है कि शंकर में रीढ़ की हड्डी नहीं है।
- गोपाल प्रसाद गुस्से में चले जाते हैं, क्योंकि रामस्वरूप ने उमा की पढ़ाई छिपाई थी। एकांकी खत्म होती है, जब प्रेमा उमा को रोते देखती है और रतन मक्खन लाने की बात करता है।
- संदेश: लड़कियों को शिक्षा और साहस से अपनी बात कहनी चाहिए। समाज की पुरानी सोच बदलनी चाहिए।
मुख्य पात्र और उनकी विशेषताएँ
1. रामस्वरूप (उमा के पिता):
- अधेड़ उम्र के, पुरानी सोच वाले, लेकिन बेटी को पढ़ाया। शादी के लिए पढ़ाई छिपाते हैं, जो उनकी विवशता दिखाता है।
- समाज के दबाव में झुकते हैं, लेकिन उमा के साहस से हैरान होते हैं।
- विशेषताएँ: डरपोक, दोगला व्यवहार, पुराने जमाने की तारीफ करने वाला।
2. प्रेमा (उमा की माँ):
- व्यस्त गृहिणी, घरेलू कामों में लगी। उमा को समझाती है, लेकिन उसकी जिद से हार जाती है।
- विशेषताएँ: सहनशील, पारंपरिक, लेकिन बेटी की चिंता करती।
3. उमा (बेटी):
- मुख्य पात्र, बी.ए. पास, साहसी और स्वतंत्र। शंकर की कमजोरी पर व्यंग्य करती है।
- विशेषताएँ: मुँहफट, साहसी, अपनी इज्जत की रक्षा करती। वह समाज की दोगली सोच पर प्रहार करती है।
4. रतन (नौकर):
- हास्य पैदा करने वाला, गलतफहमी करता है। घर के काम करता है।
- विशेषताएँ: सरल, हँसमुख, लेकिन कम समझ वाला।
5. गोपाल प्रसाद (शंकर के पिता):
- पुरानी सोच वाला, शादी को ‘बिजनेस’ मानता। लड़की को कम पढ़ी चाहता है।
- विशेषताएँ: गुस्सैल, दोगला, पुराने जमाने की तारीफ करने वाला।
6. शंकर (लड़का):
- कमजोर, कायर। हॉस्टल में तांक-झांक करता था, लेकिन पकड़े जाने पर भाग गया।
- विशेषताएँ: रीढ़ की हड्डी नहीं, डरपोक, चुप रहने वाला।
मुख्य घटनाएँ
- घर की सजावट: रामस्वरूप और रतन तख्त, दरी, हरमोनियम सजाते हैं। प्रेमा मदद करती है।
- उमा की जिद: उमा मुँह फुलाए है, क्योंकि पिता उसकी पढ़ाई छिपा रहे हैं। माँ समझाती है।
- गोपाल और शंकर का आना: वे पुराने जमाने की बातें करते हैं। उमा को देखने की बात होती है।
- उमा का सामना: उमा आकर शंकर के पुराने व्यवहार का खुलासा करती है। वह शंकर को ‘रीढ़ की हड्डी’ न होने पर ताना मारती है।
- रिश्ता टूटना: गोपाल गुस्से में जाते हैं, क्योंकि उमा बी.ए. पास है। रामस्वरूप हैरान रहते हैं।
- अंत: प्रेमा उमा को रोते देखती है, रतन मक्खन लाने की बात करता है।

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