Notes For All Chapters Hindi Kshitij Class 9
परिचय
माखनलाल चतुर्वेदी कौन थे?
- जन्म: सन् 1889 में मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई गाँव में।
- 16 वर्ष की उम्र में शिक्षक बने, बाद में शिक्षण छोड़कर पत्रकारिता शुरू की।
- प्रभा, कर्मवीर, और प्रताप पत्रिकाओं का संपादन किया।
- मृत्यु: सन् 1968 में।
- वे देशभक्त कवि और प्रखर पत्रकार थे।
- स्वाधीनता आंदोलन में सक्रिय भागीदारी, कई बार जेल गए।
- उपनाम: एक भारतीय आत्मा, जिसके नाम से उन्होंने कविताएँ भी लिखीं।
- पुरस्कार: पद्मभूषण और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित।
प्रमुख कृतियाँ:
- हिम किरीटनी, साहित्य देवता, हिम तरंगिनी, वेणु लो गूँजे धरा।
काव्य की विशेषताएँ:
विषय-वस्तु:
- राष्ट्रीय भावना, स्वतंत्रता की चेतना, देश के लिए त्याग और बलिदान।
- भक्ति, प्रेम, और प्रकृति से संबंधित कविताएँ।
शैली:
- भाव को शिल्प से अधिक महत्व।
- परंपरागत छंदों का प्रयोग, रचना के अनुकूल शब्द-चयन।
प्रभाव:
- उनकी रचनाएँ स्वाधीनता संग्राम के दौरान प्रेरणा स्रोत थीं।
- कैदी और कोकिला कविता विशेष रूप से लोकप्रिय, जो ब्रिटिश शासन के अत्याचारों का मार्मिक चित्रण करती है।
कैदी और कोकिला: कविता का सार
पृष्ठभूमि:
- यह कविता ब्रिटिश उपनिवेशवाद के शोषण और स्वाधीनता सेनानियों के साथ जेल में किए गए दुर्व्यवहार को दर्शाती है।
- कवि जेल में एकाकी और उदास है। वह कोयल की कूक सुनकर अपने दुख, आक्रोश, और स्वतंत्रता की चाह व्यक्त करता है।
- कवि कहता है कि यह समय मधुर गीत गाने का नहीं, बल्कि मुक्ति का गीत सुनाने का है।
- कोयल की चीख को कवि पूरे देश को कारागार के रूप में देखने का प्रतीक मानता है।
कविता का भाव:
- कवि कोयल से पूछता है कि वह क्यों चीख रही है और क्या संदेश ला रही है।
- जेल की काली दीवारों, अत्याचारों, और यातनाओं का वर्णन करता है।
- ब्रिटिश शासन को अंधकार (तम) और क्रूरता का प्रतीक बताता है।
- कोयल की चीख को स्वतंत्रता की पुकार और देश के दर्द से जोड़ता है।
- कवि को कोयल की स्वतंत्रता से ईर्ष्या होती है, क्योंकि वह जेल में कैद है।
कविता: कैदी और कोकिला (मुख्य अंश और भाव)
1. प्रश्न और दुख:
पंक्तियाँ:
क्या गाती हो? क्यों रह-रह जाती हो? कोकिल बोलो तो!
क्या लाती हो? संदेशा किसका है? कोकिल बोलो तो!
भाव: कवि कोयल से पूछता है कि वह क्या गा रही है और क्यों बार-बार रुक रही है। वह जानना चाहता है कि कोयल का गीत किसका संदेश ला रहा है।
2. जेल की यातनाएँ:
पंक्तियाँ:
ऊँची काली दीवारों के घेरे में, डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में,
जीने को देते नहीं पेट-भर खाना, मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना!
भाव: कवि जेल की कठोर परिस्थितियों का वर्णन करता है। ऊँची काली दीवारें, अपराधियों के बीच रहना, भूख, और तड़प का जीवन।
3. ब्रिटिश शासन का अत्याचार:
पंक्तियाँ:
क्या? देख न सकती जंजीरों का गहना? हथकड़ियाँ क्यों? यह ब्रिटिश राज का गहना,
कोल्हू का चर्रक चूँ? जीवन की तान, गिट्टी पर अँगुलियों ने लिखे गान!
भाव: हथकड़ियों को ब्रिटिश शासन का गहना (अत्याचार का प्रतीक) कहा गया। कोल्हू और गिट्टी पर काम करना स्वतंत्रता सेनानियों की यातना को दर्शाता है।
4. कोयल की चीख:
पंक्तियाँ:
क्या हुई बावली? अर्द्धरात्रि को चीखी, कोकिल बोलो तो!
किस दावानल की ज्वालाएँ हैं दीखीं? कोकिल बोलो तो!
भाव: कोयल की अर्द्धरात्रि की चीख को कवि देश के दुख और स्वतंत्रता की पुकार से जोड़ता है। यह चीख जंगल की आग (दावानल) जैसे अत्याचारों का प्रतीक है।
5. कवि की ईर्ष्या:
पंक्तियाँ:
तुझे मिली हरियाली डाली, मुझे नसीब कोठरी काली!
तेरा नभ-भर में संचार, मेरा दस फुट का संसार!
भाव: कवि को कोयल की स्वतंत्रता से ईर्ष्या है। कोयल खुले आकाश में उड़ती है, जबकि कवि जेल की कोठरी में कैद है।
6. विद्रोह का आह्वान:
पंक्तियाँ:
चुपचाप, मधुर विद्रोह-बीज इस भाँति बो रही क्यों हो? कोकिल बोलो तो!
भाव: कवि कोयल के गीत को विद्रोह का बीज मानता है, जो स्वतंत्रता के लिए प्रेरित करता है।
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