Notes For All Chapters Hindi Kshitij Class 9
परिचय
सुमित्रानंदन पंत कौन थे?
- जन्म: सन् 1900 में उत्तरांचल (अब उत्तराखंड) के अल्मोड़ा जिले के कौसानी गाँव में।
- शिक्षा: बनारस और इलाहाबाद में।
- स्वाधीनता आंदोलन में योगदान: महात्मा गांधी के आह्वान पर कॉलेज छोड़ा।
- मृत्यु: सन् 1977 में।
- छायावादी कविता के प्रमुख स्तंभ।
- काव्य रचना का समय: 1916 से 1977 तक।
- पुरस्कार: साहित्य अकादमी पुरस्कार, भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार, सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार।
प्रमुख कृतियाँ:
- वीणा, ग्रंथि, गुंजन, ग्राम्या, पल्लव, युगांत, स्वर्ण किरण, स्वर्णधूलि, कला और बूढ़ा चाँद, लोकायतन, चिदंबरा।
काव्य की विशेषताएँ:
विषय-वस्तु:
- प्रकृति और मनुष्य के गहरे संबंधों का चित्रण।
- छायावाद, प्रगतिवाद, और अरविंद दर्शन से प्रभावित।
शैली:
- सटीक शब्द-चयन के कारण शब्द शिल्पी के रूप में प्रसिद्ध।
- आधुनिक हिंदी कविता को नई अभिव्यक्ति और काव्यभाषा दी।
प्रभाव:
- उनकी कविताएँ प्रकृति की सुंदरता और भावनाओं को जीवंत करती हैं।
- ग्राम श्री कविता में गाँव की प्राकृतिक सुषमा और समृद्धि का मनोहारी चित्रण।
ग्राम श्री: कविता का सार
पृष्ठभूमि:
- ग्राम श्री कविता में पंत ने गाँव की प्राकृतिक सुंदरता और समृद्धि का वर्णन किया है।
- खेतों की हरियाली, फूलों-पेड़ों की शोभा, और गंगा की रेती कवि को रोमांचित करती है।
- यह कविता प्रकृति के सौंदर्य और ग्रामीण जीवन की समृद्धि को दर्शाती है।
कविता का भाव:
- कवि गाँव को एक खूबसूरत और जीवंत चित्र के रूप में प्रस्तुत करता है।
- खेतों में लहलहाती फसलें, फूलों से सजे पेड़, और गंगा की रेत की सुंदरता का वर्णन।
- प्रकृति और ग्रामीण जीवन की शांति, सौंदर्य, और समृद्धि को कवि ने भावपूर्ण ढंग से व्यक्त किया है।
- गाँव को मरकत डिब्बे (पन्ने के डिब्बे) की तरह खुला और आकर्षक बताया गया है।
कविता: ग्राम श्री (मुख्य अंश और भाव)
1. खेतों की हरियाली:
पंक्तियाँ:
फैली खेतों में दूर तलक मखमल की कोमल हरियाली,
लिपटीं जिससे रवि की किरणें चाँदी की सी उजली जाली!
- भाव: खेतों की हरियाली मखमल जैसी कोमल है, जिसमें सूरज की किरणें चाँदी की जाली की तरह चमकती हैं।
2. फसलें और फूल:
पंक्तियाँ:
रोमांचित सी लगती वसुधा आई जौ गेहूँ में बाली,
अरहर सनई की सोने की किंकिणियाँ हैं शोभाशाली!
- भाव: जौ और गेहूँ की फसलें धरती को रोमांचित करती हैं। अरहर और सनई की फसलें सोने की करधनी जैसी सुंदर लगती हैं।
3. प्रकृति की विविधता:
पंक्तियाँ:
उड़ती भीनी तैलाक्त गंध फूली सरसों पीली पीली,
लो, हरित धरा से झाँक रही नीलम की कलि, तीसी नीली!
- भाव: सरसों की पीली फसलें और तीसी की नीली कली प्रकृति की रंगीन विविधता को दर्शाती हैं।
4. फूल और तितलियाँ:
पंक्तियाँ:
रंग रंग के फूलों में रिलमिल हँस रही सखियाँ मटर खड़ी,
फिरती हैं रंग रंग की तितली रंग रंग के फूलों पर सुंदर।
- भाव: मटर के खेतों में फूल सखियों की तरह हँस रहे हैं, और रंग-बिरंगी तितलियाँ फूलों पर मंडराती हैं।
5. पेड़ और फल:
पंक्तियाँ:
अब रजत स्वर्ण मंजरियों से लद गई आम्र तरु की डाली,
फूले आडू, नींबू, दाड़िम, आलू, गोभी, बैंगन, मूली!
- भाव: आम के पेड़ फूलों से लदे हैं, और आडू, नींबू, अनार, और सब्जियाँ गाँव की समृद्धि को दर्शाती हैं।
6. गंगा की रेती:
पंक्तियाँ:
बालू के साँपों से अंकित गंगा की सतरंगी रेती
सुंदर लगती सरपत छाई तट पर तरबूजों की खेती।
- भाव: गंगा की रेत पर बालू के साँप जैसे निशान और तरबूजों की खेती सुंदरता को बढ़ाते हैं।
7. प्रकृति की शांति:
पंक्तियाँ:
मरकत डिब्बे सा खुला ग्राम- जिस पर नीलम नभ आच्छादन-
निरुपम हिमांत में स्निग्ध शांत निज शोभा से हरता जन मन!
- भाव: गाँव पन्ने के डिब्बे जैसा खुला और सुंदर है, जो नीले आकाश से ढका है और अपनी शांति से सबके मन को मोह लेता है।
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