Notes For All Chapters Hindi Kshitij Class 9
परिचय
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना कौन थे?
- जन्म: सन् 1927 में उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में।
- शिक्षा: इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की।
- आजीविका: शुरू में संघर्ष किया, बाद में दिनमान के उपसंपादक और पराग (बाल पत्रिका) के संपादक बने।
- मृत्यु: सन् 1983 में आकस्मिक निधन।
- नई कविता के प्रमुख कवि।
- पुरस्कार: साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित।
प्रमुख कृतियाँ:
- कविता संग्रह: काठ की घंटियाँ, बाँस का पुल, एक सूनी नाव, गर्म हवाएँ, कुआनो नदी, जंगल का दर्द, खूंटियों पर टँगे लोग।
- अन्य रचनाएँ: उपन्यास, नाटक, कहानी, निबंध, और बाल साहित्य।
- दिनमान में चरचे और चरखे स्तंभ के लिए प्रसिद्ध।
काव्य की विशेषताएँ:
विषय-वस्तु:
- ग्रामीण संवेदना और शहरी मध्यवर्गीय जीवन का चित्रण।
- सामाजिक और मानवीय मुद्दों पर जोर।
भाषा:
- सहज, सरल, और लोक की महक लिए हुए।
- ग्रामीण और शहरी जीवन को जीवंत करने वाली।
प्रभाव:
- उनकी कविताएँ आम जन की भावनाओं को व्यक्त करती हैं।
- मेघ आए कविता में मेघों को दामाद (पाहुन) के रूप में चित्रित कर ग्रामीण उल्लास को दर्शाया गया है।
मेघ आए: कविता का सार
पृष्ठभूमि:
- कविता में मेघों के आने की तुलना ग्रामीण संस्कृति में दामाद (मेहमान) के आने से की गई है।
- मेघों के आगमन से गाँव में उल्लास और गतिशीलता का वातावरण बनता है, जैसे दामाद के आने पर होता है।
- प्रकृति के विभिन्न तत्वों (पेड़, नदी, लता, ताल) को मानवीय रूप देकर मेघों का स्वागत दिखाया गया है।
कविता का भाव:
- मेघ सज-धजकर (बन-ठन के) आते हैं, जैसे शहर से गाँव में मेहमान आता है।
- प्रकृति के तत्व (पेड़, नदी, लता) उत्साह और खुशी से उनका स्वागत करते हैं।
- मेघों की बरसात को प्रिया-प्रियतम के मिलन से जोड़ा गया है, जो खुशी के आँसू (बरसात) लाता है।
- कविता ग्रामीण संस्कृति और प्रकृति के सौंदर्य को जीवंत करती है।
कविता: मेघ आए (मुख्य अंश और भाव)
1. मेघों का आगमन:
पंक्तियाँ:
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,
दरवाज़े-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
- भाव: मेघ सज-धजकर दामाद की तरह आते हैं। हवा नाचती-गाती खबर लाती है, और गाँव की गलियों में दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगती हैं, जैसे मेहमान के स्वागत में।
2. प्रकृति का उत्साह:
पंक्तियाँ:
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरके।
- भाव: पेड़ उत्साह में झुककर मेघों को देखते हैं। आँधी और धूल मेहमान के स्वागत में भागती हैं। नदी शरमाकर घूँघट सरकाती है।
3. स्वागत और खुशी:
पंक्तियाँ:
बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की,
‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’-
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की,
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
- भाव: पीपल पेड़ बुजुर्ग की तरह मेघों का स्वागत करता है। लता उत्साहित होकर कहती है कि मेघ ने लंबे समय बाद गाँव की सुध ली। ताल पानी की परात लाकर खुश होता है।
4. मिलन और बरसात:
पंक्तियाँ:
क्षितिज अटारी गहराई दामिनि दमकी,
‘क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की’,
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।
- भाव: आकाश में बिजली चमकती है। मेघों का न बरसने का भ्रम टूटता है, और बरसात प्रिया-प्रियतम के मिलन के आँसुओं की तरह झर-झर बरसती है।

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