Notes For All Chapters Hindi Kshitij Class 9
परिचय
राजेश जोशी कौन हैं?
- जन्म: सन् 1946 में मध्य प्रदेश के नरसिंहगढ़ जिले में।
- शिक्षा: पूरी करने के बाद पत्रकारिता शुरू की और कुछ समय तक अध्यापन (शिक्षण) किया।
- मृत्यु: दस्तावेज़ में उल्लेख नहीं, इसलिए माना जाता है कि वे जीवित हैं।
- नई कविता के प्रमुख कवि, जिन्होंने सामाजिक और मानवीय मुद्दों पर लिखा।
- पुरस्कार: माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार, मध्य प्रदेश शासन का शिखर सम्मान, साहित्य अकादमी पुरस्कार।
रचनाएँ:
- काव्य-संग्रह: एक दिन बोलेंगे पेड़, मिट्टी का चेहरा, नेपथ्य में हँसी, दो पंक्तियों के बीच।
- अन्य रचनाएँ: कहानियाँ, नाटक, लेख, टिप्पणियाँ, नाट्य रूपांतर, और लघु फिल्मों के लिए पटकथा।
- अनुवाद: भर्तृहरि की कविताओं की अनुरचना (भूमि का कल्पतरू यह भी), मायकोवस्की की कविता का अनुवाद (पतलून पहिना बादल)।
- उनकी कविताओं का अनुवाद भारतीय भाषाओं (हिंदी, अन्य) और विदेशी भाषाओं (अंग्रेज़ी, रूसी, जर्मन) में प्रकाशित।
काव्य की विशेषताएँ:
विषय-वस्तु:
- सामाजिक और आर्थिक समस्याएँ, जैसे बाल श्रम।
- जीवन के संकटों में भी आस्था और मानवता की खोज।
- स्थानीय बोली, मिजाज, और मौसम का समावेश।
शैली:
- आत्मीयता और लयात्मकता।
- सरल और प्रभावशाली भाषा।
- मनुष्यता को बचाने का निरंतर संघर्ष।
प्रभाव:
उनकी कविताएँ सामाजिक जागरूकता पैदा करती हैं।
बच्चे काम पर जा रहे हैं कविता में बच्चों से बचपन छीनने की पीड़ा और सामाजिक-आर्थिक विडंबना को दर्शाया गया है।
बच्चे काम पर जा रहे हैं: कविता का सार
पृष्ठभूमि:
- कविता में बाल श्रम की समस्या को गहरी संवेदना के साथ उठाया गया है।
- कवि बच्चों के बचपन, खेल, और शिक्षा से वंचित होने की पीड़ा व्यक्त करता है।
- यह कविता समाज की उदासीनता और आर्थिक असमानता पर सवाल उठाती है।
- कवि इसे केवल विवरण के रूप में नहीं, बल्कि एक गंभीर सवाल के रूप में प्रस्तुत करता है: काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?
कविता का भाव:
- कवि कोहरे से ढँकी सड़क पर बच्चों को काम पर जाते देखता है, जो उनके लिए भयानक दृश्य है।
- वह समाज से पूछता है कि क्या बच्चों के खेलने, पढ़ने, और आनंद लेने के सभी अवसर खत्म हो गए हैं।
- कवि बताता है कि सारी चीजें (खिलौने, किताबें, मैदान) मौजूद हैं, फिर भी बच्चे काम पर जा रहे हैं, जो समाज की सबसे बड़ी विडंबना है।
- यह कविता सामाजिक असमानता और बाल श्रम के खिलाफ चेतना जगाती है।
कविता: बच्चे काम पर जा रहे हैं (मुख्य अंश और भाव)
1. बाल श्रम का भयानक दृश्य:
पंक्तियाँ:
कोहरे से ढँकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं
सुबह सुबह
बच्चे काम पर जा रहे हैं
हमारे समय की सबसे भयानक पंक्ति है यह
- भाव: कोहरे में बच्चे सुबह-सुबह काम पर जा रहे हैं, जो कवि के लिए बेहद दुखद और भयानक है। यह समाज की असफलता को दर्शाता है।
2. सवाल का रूप:
पंक्तियाँ:
भयानक है इसे विवरण की तरह लिखा जाना
लिखा जाना चाहिए इसे सवाल की तरह
काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?
- भाव: कवि कहता है कि बच्चों का काम पर जाना केवल तथ्य नहीं, बल्कि एक गंभीर सवाल है, जिसका जवाब समाज को देना चाहिए।
3. बचपन का अभाव:
पंक्तियाँ:
क्या अंतरिक्ष में गिर गई हैं सारी गेंदें
क्या दीमकों ने खा लिया है सारी रंग बिरंगी किताबों को
क्या काले पहाड़ के नीचे दब गए हैं सारे खिलौने
- भाव: कवि व्यंग्यात्मक रूप से पूछता है कि क्या बच्चों के खेलने और पढ़ने के सारे साधन नष्ट हो गए हैं, जो उन्हें काम पर जाना पड़ रहा है।
4. सामाजिक विडंबना:
पंक्तियाँ:
पर दुनिया की हजारों सड़कों से गुजरते हुए
बच्चे, बहुत छोटे छोटे बच्चे
काम पर जा रहे हैं।
- भाव: सारी चीजें (खिलौने, किताबें, मैदान) मौजूद होने के बावजूद बच्चे काम पर जा रहे हैं, जो समाज की सबसे बड़ी त्रासदी है।
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