Notes For All Chapters Hindi Kshitij Class 9
परिचय
जन्म: 1893 में पंदहा गाँव, आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) में हुआ। पैतृक गाँव: कनैला।
मूल नाम: केदार पांडेय।
शिक्षा: काशी, आगरा और लाहौर में।
बौद्ध धर्म: 1930 में श्रीलंका जाकर बौद्ध धर्म अपनाया, तब नाम राहुल सांकृत्यायन पड़ा।
भाषाएँ: पालि, प्राकृत, अपभ्रंश, तिब्बती, चीनी, जापानी, रूसी आदि भाषाओं के जानकार।
उपाधि: महापंडित।
मृत्यु: 1963।
साहित्यिक योगदान: उपन्यास, कहानी, आत्मकथा, यात्रावृत्त, जीवनी, आलोचना, शोध और अनुवाद।
प्रमुख कृतियाँ:
- मेरी जीवन यात्रा (छह भाग)
- दर्शन-दिग्दर्शन
- बाइसवीं सदी
- वोल्गा से गंगा
- भागो नहीं दुनिया को बदलो
- दिमागी गुलामी
- घुमक्कड़ शास्त्र
कुल रचनाएँ: लगभग 150 पुस्तकें (दर्शन, राजनीति, धर्म, इतिहास, विज्ञान आदि विषयों पर)।
विशेष कार्य: लुप्तप्राय सामग्री का उद्धार।
यात्रावृत्त लेखन
राहुल जी का यात्रावृत्त लेखन में विशेष स्थान।
घुमक्कड़ शास्त्र: घुमक्कड़ी को जीवन का उद्देश्य बताया, मंजिल से ज्यादा यात्रा को महत्व दिया।
घुमक्कड़ी के लाभ:
- मनोरंजन
- ज्ञानवृद्धि
- अज्ञात स्थानों की जानकारी
- भाषा और संस्कृति का आदान-प्रदान
वर्णन शैली: भौगोलिक विवरण के साथ-साथ जन-जीवन की सुंदर झलक प्रस्तुत की।
तिब्बत यात्रा (1929-30)
- यात्रा का समय: 1929-30, नेपाल के रास्ते।
- वेश: भारतीयों को तिब्बत जाने की अनुमति नहीं थी, इसलिए भिखमंगे के छद्म वेश में यात्रा।
- विवरण: ल्हासा (तिब्बत की राजधानी) के रास्ते का रोचक और दुर्गम वर्णन।
- तिब्बती समाज: यात्रा से तत्कालीन तिब्बती समाज की जानकारी मिलती है।
ल्हासा की ओर
- रास्ता: नेपाल से तिब्बत का मुख्य व्यापारिक और सैनिक मार्ग।
- जगह-जगह सैनिक चौकियाँ और परित्यक्त चीनी किले।
- किलों में कुछ हिस्सों में किसानों ने बसेरा बनाया।
तिब्बती संस्कृति:
- जाति-पाँति और छुआछूत का कोई बंधन नहीं।
- महिलाएँ परदा नहीं करतीं।
- अपरिचित व्यक्ति भी घर में प्रवेश कर सकता है, चाय बनवाने के लिए सामग्री दे सकता है।
- चाय बनाने की प्रक्रिया: मक्खन, सोडा-नमक के साथ चोङी में कूटकर मिट्टी के बरतन (खोटी) में परोसी जाती।
राहदारी: चीनी किले से निकलते समय राहदारी की माँग, लेखक ने चिटें दीं।
थोङ्ला डाँड़ा:
- सबसे खतरनाक और ऊँचा (16-17 हजार फीट)।
- निर्जन क्षेत्र, डकैतों का खतरा।
- हथियार का कोई कानून नहीं, लोग पिस्तौल और बंदूक लिए चलते।
- पिछले साल थोङ्ला के पास खून हुआ था।
यात्रा की कठिनाइयाँ:
- ऊँची चढ़ाई, सामान ढोना मुश्किल।
- अगला पड़ाव 16-17 मील दूर।
- लेखक ने घोड़े लिए, लेकिन उनका घोड़ा धीमा था, जिससे वे पिछड़ गए।
लङ्ङ्कोर:
- सुमति के परिचितों की वजह से ठहरने की अच्छी जगह।
- चाय, सत्तू और गरम थुक्पा खाया।
तिड्री का मैदान:
- पहाड़ों से घिरा, तिङी समाधि गिरि नामक छोटी पहाड़ी।s
- सुमति के कई यजमान, कपड़े की चिरी बत्तियों के गंडे बाँटते।
शेकर विहार:
- जागीरदारों और मठों का प्रभुत्व।
- खेती के लिए भिक्षु (नम्से) नियुक्त, जो जागीर का प्रबंधन करते।
- मंदिर में कन्जुर (बुद्धवचन) की 103 हस्तलिखित पोथियाँ, मोटे कागज पर।
- लेखक पुस्तकों में रम गए, सुमति को यजमानों से मिलने की अनुमति दी।

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