Notes For All Chapters Hindi Kshitij Class 9
परिचय
जन्म: 1945 में नौनहीं राजगीर, जिला नालंदा, बिहार।
शिक्षा और पेशा: अंग्रेजी भाषा और साहित्य के प्राध्यापक।
राजनीतिक जीवन:
- 1977 में मुंगेर से बिहार विधानसभा के सदस्य निर्वाचित, मंत्री बने।
- 1995 से बिहार विधान परिषद के सभापति।
साहित्यिक योगदान:
- हिंदी, उर्दू, और अंग्रेजी में लेखन।
प्रमुख रचनाएँ:
- डोला बीबी का मज़ार
- अतीत का चेहरा
- लोगां
- एक नदी रेत भरी
डायरी विधा में अभिनव प्रयोग, नई प्रस्तुति, शैली और शिल्प।
विशेषता:
- राजनैतिक-सामाजिक अनुभवों के आधार पर आम आदमी के संघर्षों को साहित्य में व्यक्त किया।
- संघर्षरत आम आदमी और विशिष्ट व्यक्तियों पर डायरियाँ चर्चित और प्रशंसित।
साँवले सपनों की याद
पाठ का स्वरूप: डायरी शैली में लिखा संस्मरण।
लेखन का समय: जून 1987, प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी सालिम अली की मृत्यु के बाद।
विषय:
- सालिम अली की मृत्यु से उत्पन्न दुख और अवसाद।
- उनके व्यक्तित्व और प्रकृति के प्रति समर्पण का चित्रण।
- भाषा की रवानी और अभिव्यक्ति की दिल को छूने वाली शैली।
मुख्य बिंदु
1. सालिम अली का व्यक्तित्व:
- पक्षी विज्ञानी, जिनकी आँखों में पक्षियों की तलाश और सुरक्षा की रोशनी थी।
- कमजोर काया, कैंसर से मृत्यु (1987), लेकिन अंत तक समर्पण बरकरार।
- प्रकृति को अपने प्रभाव में लाने वाले व्यक्ति, न कि प्रकृति के प्रभाव में आने वाले।
- उनकी पत्नी तहमीना (स्कूल की सहपाठी) ने उनके कार्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
2. प्रकृति के प्रति दृष्टिकोण:
- सालिम अली का कहना था कि लोग पक्षियों, जंगलों, और झरनों को मानव की नजर से देखते हैं, जो गलत है।
- प्रकृति को उसकी नजर से देखने पर ही उसका मधुर संगीत और रोमांच अनुभव होता है।
- उन्होंने प्रकृति में एक रहस्यमयी, हँसती-खेलती दुनिया देखी और उसे अपने लिए गढ़ा।
3. स्मृतियों में वृंदावन:
- लेखक वृंदावन के साँवले पानी, बाँसुरी के जादू, और कृष्ण की रासलीला की कल्पना करते हैं।
- सालिम अली को वृंदावन के संगीतमय माहौल से जोड़ा, जो प्रकृति के साथ उनके गहरे जुड़ाव को दर्शाता है।
4. पर्यावरण के लिए प्रयास:
- सालिम अली ने केरल की साइलेंट वैली को बचाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से मुलाकात की।
- उनके द्वारा प्रस्तुत पर्यावरणीय खतरों के चित्र ने चौधरी चरण सिंह को भावुक कर दिया।
5. आत्मकथा:
- सालिम अली की आत्मकथा: फॉल ऑफ ए स्पैरो (हिंदी अनुवाद: एक गौरैया का गिरना)।
- बचपन में उनकी एयरगन से घायल गौरैया ने उनके जीवन को पक्षी अध्ययन की ओर मोड़ा।
6. सादगी और प्रभाव:
- सालिम अली सादा-दिल, खुला व्यक्तित्व, जो जटिल लोगों के लिए पहेली थे।
- डी.एच. लॉरेंस की तरह, वे नैसर्गिक जीवन के प्रतीक थे।
- उनकी तुलना एक अथाह सागर से, न कि एक टापू से, क्योंकि उनका प्रभाव व्यापक और गहरा था।
7. लेखक का दुख:
- सालिम अली की मृत्यु को एक पक्षी के अंतिम गीत के समान बताया, जो दोबारा नहीं गाया जा सकता।
- लेखक को विश्वास है कि सालिम अली अभी भी पक्षियों के सुराग में हैं और लौट आएंगे।
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