Notes For All Chapters Hindi Kshitij Class 9
परिचय
जन्म: 1907, फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश।
शिक्षा: प्रयाग में।
पेशा: प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्राचार्या, लड़कियों की शिक्षा के लिए प्रयास।
मृत्यु: 1987।
साहित्यिक योगदान:
- छायावाद की प्रमुख कवयित्री।
- काव्य संग्रह: नीहार, रश्मि, नीरजा, यामा, दीपशिखा।
- गद्य रचनाएँ: अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएँ, पथ के साथी, श्रृंखला की कड़ियाँ (रेखाचित्र और संस्मरण)।
पुरस्कार: साहित्य अकादमी, ज्ञानपीठ, और पद्मभूषण।
विशेषताएँ:
- आजादी के आंदोलन और स्त्री जीवन की वास्तविकता से प्रेरित लेखन।
- शोषित, पीड़ित लोगों और पशु-पक्षियों के प्रति करुणा।
- सरल, स्पष्ट, चित्रात्मक और प्रभावपूर्ण भाषा-शैली।
पाठ: मेरे बचपन के दिन – बचपन, स्कूल, सहपाठियों, छात्रावास, और स्वतंत्रता आंदोलन के अनुभवों का संस्मरण।
मेरे बचपन के दिन
विषय:
- महादेवी जी के बचपन की स्मृतियाँ, स्कूल जीवन, और सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश।
- लड़कियों की स्थिति, स्वतंत्रता आंदोलन, और सांप्रदायिक सौहार्द का वर्णन।
शैली: सरल, भावपूर्ण, और सजीव।
मुख्य बिंदु
1. पारिवारिक पृष्ठभूमि:
- कई पीढ़ियों बाद परिवार में लड़की का जन्म, इसलिए विशेष खातिर।
- पहले लड़कियों को जन्म के बाद मार दिया जाता था।
- बाबा ने दुर्गा पूजा की, जिसके बाद महादेवी का जन्म हुआ।
- बाबा फारसी-उर्दू जानते थे, पिता ने अंग्रेजी पढ़ी, घर में हिंदी का वातावरण नहीं था।
- माँ ने हिंदी और पूजा-पाठ सिखाया, पंचतंत्र पढ़ाया।
- बाबा चाहते थे कि महादेवी विदुषी बने, संस्कृत पढ़ाई, लेकिन उर्दू-फारसी नहीं सीख पाईं।
2. शिक्षा:
- मिशन स्कूल में मन नहीं लगा, रोने लगीं, इसलिए स्कूल छोड़ा।
- क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में पाँचवीं कक्षा में दाखिला, वातावरण अच्छा।
- छात्रावास में चार लड़कियाँ एक कमरे में: सुभद्रा कुमारी (कवयित्री) सहपाठी।
- मेस में प्याज तक नहीं बनता था, हिंदू-ईसाई लड़कियाँ एक साथ खाती थीं।
3. कविता और सुभद्रा कुमारी:
- माँ मीरा के पद और प्रभाती गाती थीं, जिससे महादेवी ने ब्रजभाषा में कविता शुरू की।
- सुभद्रा खड़ी बोली में लिखती थीं, महादेवी ने भी वही अपनाया।
- सुभद्रा ने महादेवी की कविताएँ डेस्क से निकालकर सबको दिखाया, फिर दोनों की दोस्ती हुई।
- पेड़ की डाल पर बैठकर तुकबंदी, स्त्री दर्पण पत्रिका में कविताएँ छपती थीं।
- कवि सम्मेलनों में भाग, प्रायः प्रथम पुरस्कार (100 से अधिक पदक)।
- एक बार चाँदी का नक्काशीदार कटोरा मिला, सुभद्रा ने खीर की माँग की।
4. स्वतंत्रता आंदोलन:
- 1917 में क्रास्थवेट कॉलेज में दाखिला, तब गांधी जी का सत्याग्रह शुरू हुआ।
- आनंद भवन स्वतंत्रता आंदोलन का केंद्र, हिंदी का प्रचार-प्रसार।
- कवि सम्मेलन में हरिऔध, श्रीधर पाठक, रत्नाकर जैसे कवि अध्यक्ष।
- जेब खर्च से 1-2 आने देश के लिए बचाते, बापू को देते।
- कटोरा बापू को दे दिया, सुभद्रा ने मजाक किया, लेकिन महादेवी को गर्व था।
5. छात्रावास और सांप्रदायिक सौहार्द:
- सुभद्रा के जाने के बाद जेबुन्निसा (मराठी लड़की) रूममेट बनी।
- जेबुन डेस्क साफ करती, किताबें रखती, मराठी-हिंदी मिश्रित बोलती।
- उस्तानी जीनत बेगम मजाक में कहतीं: “देसी कौवा, मराठी बोली!”
- अवधी, बुंदेली, हिंदी, उर्दू बोलने वाली लड़कियाँ एक मेस में बिना विवाद खाती थीं।
6. जवारा के नवाब:
- नवाबी छिनने के बाद नवाब परिवार बँगले में रहता था।
- नवाब साहब की बेगम (ताई साहिबा) और उनके बच्चे माँ को चची जान कहते थे।
- जन्मदिन एक-दूसरे के घर मनाते, राखी बाँधने की परंपरा।
- ताई साहिबा ने छोटे भाई का नाम ‘मनमोहन’ रखा, जो बाद में प्रोफेसर और वाइस चांसलर बने।
- हिंदी, उर्दू, और अवधी का मिश्रित वातावरण, आपसी अपनापन।
- आज की स्थिति की तुलना में वह समय सपने जैसा लगता है।
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