Notes For All Chapters Hindi Sanchayan Class 9
लेखिका परिचय
- महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य की प्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका थीं।
- वे छायावाद युग की प्रमुख कवयित्रियों में गिनी जाती हैं।
- उन्होंने मनुष्य और पशु-पक्षियों के बीच प्रेम, करुणा और संवेदना के सुंदर संबंधों को अपनी रचनाओं में व्यक्त किया।
- “गिल्लू” उनकी ऐसी ही हृदयस्पर्शी कहानी है जो इंसान और एक छोटे जीव (गिलहरी) के स्नेहपूर्ण संबंध को दर्शाती है।
कहानी का सार (सारांश)
यह कहानी लेखिका महादेवी वर्मा और एक छोटी गिलहरी के बच्चे “गिल्लू” के बीच बने आत्मीय संबंध की है।
1. गिल्लू से पहली मुलाकात
- एक दिन लेखिका ने देखा कि दो कौवे गमले के पास किसी छोटे जीव को चोंच मार रहे हैं।
- पास जाकर देखा तो वह गिलहरी का छोटा बच्चा था जो अपने घोंसले से गिर पड़ा था।
- उसके शरीर पर कौवों की चोंच के घाव थे और वह निश्चेष्ट पड़ा था।
- सबने कहा कि वह बच नहीं पाएगा, पर लेखिका का करुणामय हृदय उसे ऐसे ही छोड़ नहीं सका।
- उन्होंने उसे अपने कमरे में लाकर मरहम-पट्टी की, दूध-पानी पिलाने का प्रयास किया।
- कुछ ही दिनों में वह स्वस्थ हो गया और उसकी नीली आँखें, फूलदार पूँछ और चंचलता सबको भाने लगीं।
2. गिल्लू का नया घर और नामकरण
- लेखिका ने फूलों की डलिया में रुई बिछाकर खिड़की पर गिल्लू का घर बना दिया।
- वहीं वह दो साल तक रहा।
- सब उसे प्यार से ‘गिल्लू’ कहने लगे।
- वह खिड़की पर झूले की तरह लटकता और कमरे के अंदर-बाहर झाँकता रहता।
3. लेखिका के साथ गिल्लू का स्नेह
- गिल्लू को लेखिका से अत्यधिक लगाव था।
- जब वे लिखने बैठतीं तो वह परदे पर दौड़कर उनका ध्यान आकर्षित करता।
- कभी-कभी लेखिका उसे लिफाफे में रख देतीं; वह वहीं से झाँककर उन्हें काम करते देखता।
- भूख लगने पर ‘चिक-चिक’ करके संकेत देता।
- उसका प्रिय भोजन काजू था।
4. गिल्लू को मिली स्वतंत्रता
- जब वसंत आया, बाहर की गिलहरियाँ जाली के पास आकर आवाज़ देने लगीं।
- गिल्लू भी बाहर झाँकता तो लेखिका को लगा कि उसे मुक्त करना आवश्यक है।
- उन्होंने खिड़की की जाली का एक कोना खोल दिया।
- गिल्लू बाहर जाकर अन्य गिलहरियों के साथ खेलने लगा, पर हर दिन शाम चार बजे वापस आकर अपने झूले में झूलने लगता था।
- वह अत्यंत समझदार और अनुशासित था।
5. गिल्लू का प्रेम और समझदारी
- जब लेखिका भोजन करने जातीं, तो गिल्लू उनकी थाली में बैठना चाहता।
- उन्होंने उसे थाली के पास बैठना सिखाया और वह वहीं बैठकर थाली से एक-एक चावल उठाकर खाने लगा।
- जब लेखिका अस्पताल में थीं, तब गिल्लू बहुत उदास रहा।
- उसने अपना पसंदीदा भोजन काजू भी नहीं खाया, बल्कि उन्हें झूले में जमा कर रखा।
- जब लेखिका लौटीं, तो उन्होंने पाया कि उसने काजू संजोकर रखे थे, जो उसके प्रेम और प्रतीक्षा का प्रतीक था।
6. लेखिका की बीमारी में गिल्लू की सेवा
- जब लेखिका बीमार थीं, तो गिल्लू उनके सिरहाने बैठकर उनके बालों को सहलाता था।
- उसका व्यवहार एक सच्ची परिचारिका (नर्स) जैसा था।
- गर्मी में वह सुराही पर लेटकर खुद को ठंडा रखता, पर लेखिका के पास से दूर नहीं जाता था।
7. गिल्लू का अंतिम समय
- गिलहरियों की आयु लगभग दो वर्ष होती है।
- धीरे-धीरे गिल्लू ने खाना बंद कर दिया और एक रात अपने अंतिम समय मेंवह अपने झूले से उतरकर लेखिका के बिस्तर पर आया औरअपनी ठंडी उँगलियों से लेखिका की उँगली पकड़ ली,वही उँगली जिसे उसने बचपन में भी पकड़ा था।
- लेखिका ने उसे गर्म रखने का प्रयास किया, पर भोर की पहली किरण के साथ वह सदा के लिए सो गया।
8. गिल्लू की स्मृति
- लेखिका ने सोनजुही की लता के नीचे गिल्लू को समाधि दी,क्योंकि वह जगह गिल्लू को सबसे अधिक प्रिय थी।
- लेखिका को विश्वास है कि वसंत के किसी दिन वही गिल्लू जुही के फूल के रूप में फिर खिल जाएगा।

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