Notes For All Chapters Hindi Sparsh Class 9
कवि परिचय
- नाम: अरुण कमल
- जन्म: 15 फ़रवरी 1954, नासरीगंज, रोहतास (बिहार)
- वर्तमान में पटना विश्वविद्यालय में प्राध्यापक हैं।
- इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
- अरुण कमल ने केवल कविता ही नहीं लिखी, बल्कि कई पुस्तकों और रचनाओं का अनुवाद भी किया है।
प्रमुख रचनाएँ
कविता संग्रह:
- अपनी केवल धार
- सबूत
- नए इलाके में
- पुतली में संसार
आलोचनात्मक कृति:
- कविता और समय
अनुवाद कार्य:
- मायकोव्यस्की की आत्मकथा और जंगल बुक का हिंदी अनुवाद किया।
- हिंदी के युवा कवियों की कविताओं का अंग्रेज़ी अनुवाद ‘वॉयसेज़ (Voices)‘ नाम से प्रकाशित हुआ।
काव्य-शैली और विशेषताएँ
- नए बिंब और बोलचाल की भाषा का प्रयोग करते हैं।
- खड़ी बोली के विभिन्न लय-छंदों का कुशल प्रयोग किया है।
- इनकी कविताएँ आपबीती (स्वयं का अनुभव) और जगबीती (सामाजिक जीवन) दोनों का सुंदर मिश्रण हैं।
- जीवन के विविध पहलुओं का चित्रण करते हैं, जिससे भाषा में भी विविधता आती है।
- कविताओं में शोषण के प्रति आक्रोश और मानवीय समाज की आकांक्षा स्पष्ट दिखाई देती है।
- समाज की वास्तविकताओं को सीधी, सादी भाषा में गहराई से प्रस्तुत करते हैं।
प्रस्तुत कविताएँ
(1) नए इलाके में
विषय-वस्तु
- यह कविता एक ऐसे व्यक्ति के अनुभव को व्यक्त करती है जो तेज़ी से बदलती दुनिया में अपने पुराने अनुभवों के सहारे रास्ता खोजने की कोशिश करता है।
- परंतु उसे बार-बार रास्ता भूलना पड़ता है, क्योंकि सब कुछ लगातार बदल रहा है।
- कविता यह संदेश देती है कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है।
- इस बदलती दुनिया में केवल वर्तमान क्षण को पहचानकर ही जीया जा सकता है, स्मृतियों पर निर्भर नहीं रहा जा सकता।
प्रमुख भाव
- कवि जब नए बनते इलाकों में जाता है, तो पुराने निशान (पीपल का पेड़, ढहा हुआ घर, खाली ज़मीन) उसे अब नहीं मिलते।
- अब हर जगह नए मकान, नई सड़कें बन रही हैं।
- कवि कहता है कि इस परिवर्तनशील जीवन में स्मृति का भरोसा नहीं।
- “एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया” – यह पंक्ति आधुनिक जीवन की तेज़ गति और अस्थिरता का प्रतीक है।
- कवि समय की कमी और जीवन की अनिश्चितता की ओर संकेत करता है।
संदेश
- यह कविता हमें बताती है कि जीवन में सब कुछ बदलता रहता है।
- इसलिए पुरानी यादों में उलझने के बजाय नए समय को स्वीकारना चाहिए।
(2) खुशबू रचते हैं हाथ
विषय-वस्तु
- इस कविता में कवि ने सामाजिक विषमता और अन्याय को उजागर किया है।
- वह दिखाते हैं कि समाज में वे लोग जो खुशबू और सौंदर्य रचते हैं (जैसे अगरबत्ती बनाने वाले मजदूर), वही लोग गंदगी और अभाव में जीवन बिताते हैं।
- यह विडंबना है कि जो दूसरों के जीवन में सुंदरता भरते हैं, उनके अपने जीवन में दुःख, गंदगी और गरीबी है।
प्रमुख भाव
- कविता में “खुशबू रचते हैं हाथ” की पुनरावृत्ति से श्रमिकों की मेहनत और उनकी अनदेखी पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
- कवि ने विभिन्न प्रकार के हाथों का चित्रण किया है -उभरी नसोंवाले, घिसे नाखूनोंवाले, कटे-पिटे, जख्मों से भरे हुए, परंतु फिर भी खुशबू रचते हाथ।
- ये हाथ देश की मशहूर अगरबत्तियाँ बनाते हैं – केवड़ा, गुलाब, खस, रातरानी की।
- परंतु ये मजदूर गंदे मुहल्लों और बदबूदार गलियों में रहते हैं।
संदेश
- यह कविता श्रमिकों की कठिन परिस्थितियों, उपेक्षा और शोषण की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करती है।
- कवि समाज से प्रश्न करता है कि जो लोग देश को सुंदर बना रहे हैं, वे खुद इतने उपेक्षित क्यों हैं?
- कविता समाज में समानता और संवेदनशीलता की आवश्यकता का संदेश देती है।
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