Notes For All Chapters Hindi Sparsh Class 9
परिचय
- व्यक्ति का नाम: बचेंद्री पाल (1954 में जन्म)।
- जन्म: उत्तरांचल के चमोली जिले में बंपा गाँव में 24 मई 1954 को हुआ।
- परिवार: माँ का नाम हंसादेई नेगी, पिता का नाम किशन सिंह पाल। बचेंद्री तीसरी संतान हैं। परिवार गरीब था, पिता पढ़ाई का खर्च नहीं उठा पाते थे।
- शिक्षा: आठवीं के बाद सिलाई-कढ़ाई करके पढ़ाई का खर्च जुटाया। प्रिंसिपल की मदद से आगे पढ़ी। संस्कृत से एम.ए. और बी.एड. किया।
- रुचि: बचपन से पहाड़ों पर चढ़ने का शौक। भाई छोटे भाई को उकसाता था, लेकिन बचेंद्री को रोकता था, जो उन्हें बुरा लगता था। स्कूल जाने के लिए 5-6 मील पहाड़ चढ़ना-उतरना पड़ता था।
- उपलब्धि: एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला। इंडियन माउंटेन फाउंडेशन ने महिलाओं की खोज की, बचेंद्री शामिल हुईं। ट्रेनिंग में 7500 मीटर ऊँची मान चोटी पर चढ़ीं।
- पाठ का प्रकार: यह बचेंद्री पाल की किताब “एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा” का अंश है। इसमें एवरेस्ट चढ़ाई का रोमांचक वर्णन है, जैसे पाठक खुद चढ़ रहा हो।
- पाठ का उद्देश्य: बचेंद्री के साहस, समर्पण और जोखिमों को दिखाना। लक्ष्य के प्रति निष्ठा पर जोर।
पाठ का सार
- बचेंद्री एवरेस्ट अभियान दल में शामिल हुईं। 7 मार्च को दिल्ली से काठमांडू गईं। अग्रिम दल रास्ता साफ करने गया।
- नमचे बाजार से एवरेस्ट (सागरमाथा) देखा। बेस कैंप से चढ़ाई शुरू। ग्लेशियर, हिम-विदर (दरारें) और बर्फ के खतरे झेले।
- कैंप 2, 3 और 4 में रुककर अभ्यास किया। हिमस्खलन में साथी दब गए, लेकिन बचेंद्री बच गईं।
- अंतिम चढ़ाई: ल्होत्से फेस पर खतरा, लेकिन साहस से शिखर पर पहुँचीं। भारतीय झंडा फहराया। नीचे उतरते समय थकान और खतरा।
- संदेश: जोखिमों के बावजूद लक्ष्य पाना संभव। साहस और टीम वर्क महत्वपूर्ण।
मुख्य घटनाएँ (एवरेस्ट यात्रा का विवरण)
शुरुआत: अभियान दल काठमांडू गया। नमचे बाजार से एवरेस्ट देखा। शेरपा लोग मददगार।
बेस कैंप: 17 अप्रैल को पहुँचे। खुम्बू ग्लेशियर पर चढ़ाई। हिम-विदर (दरारें) में सीढ़ियाँ लगाईं।
कैंप 1 और 2: बर्फ के बड़े टुकड़ों से खतरा। हिमस्खलन में 13 साथी दब गए, 1 की मौत। बचेंद्री बच गईं।
कैंप 3: ल्होत्से फेस पर चढ़ाई। ऑक्सीजन कम, सिरदर्द। नौसिखिया होने पर डर, लेकिन आगे बढ़ीं।
कैंप 4: साउथ कोल पर। ठंड और हवा से परेशानी। अंगुली की जाँच की।
अंतिम चढ़ाई: 22 मई रात 7:45 बजे शुरू। अँधेरा, ठंड। शिखर पर 23 मई सुबह 6:20 बजे पहुँचीं। झंडा फहराया, फोटो ली।
उतराई: थकान से गिरने का खतरा। साथी की मदद से नीचे आईं।
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Excellent work
Very nice
आंध्र प्रदेश राज्य में अक्षर छठवीं कक्षा से सीखते हैं मुख्यतः ग्रामीण छात्रों के लिए यह नए पाठ्यपुस्तक ज्यादातर कठिनाई है