स्वर्णकाकः (सुनहरा कौआ)
प्रश्न 1. एकपदेन उत्तरं लिखत-
(एक शब्द में उत्तर लिखें)
(क) प्रश्नः माता काम् आदिशत् ? (माता ने किसे आदेश दिया?)
उत्तर: दुहितरम् (पुत्री को)
(ख) प्रश्नः स्वर्णकाकः कान् अखादत् ? (स्वर्णकाक ने क्या खाया?)
उत्तर: तण्डुलान् (चावल)
(ग) प्रश्नः प्रासादः कीदृशः वर्तते ? (प्रासाद कैसा था?)
उत्तर: स्वर्णमयः (सुनहरा)
(घ) प्रश्नः गृहमागत्य तया का समुद्घाटिता ? (घर लौटकर उसने क्या खोला?)
उत्तर: मञ्जूषा (डिब्बा)
(ङ) प्रश्नः लोभाविष्टा बालिका कीदृशीं मञ्जूषां नयति ? (लोभी बालिका कैसी मञ्जूषा लेती है?)
उत्तर: बृहत्तमाम् (सबसे बड़ी)
1. (अ) अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत-
(निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संस्कृत भाषा में लिखें)
(क) निर्धनायाः वृद्धायाः दुहिता कीदृशी आसीत्? (गरीब वृद्धा की बेटी कैसी थी?)
उत्तर: निर्धनायाः वृद्धायाः दुहिता विनम्रा मनोदशा आसीत्। (गरीब वृद्धा की बेटी विनम्र स्वभाव की थी।)
(ख) बालिकया पूर्वं किं न दृष्टम् आसीत्? (लड़की ने पहले क्या नहीं देखा था?)
उत्तर: बालिकया पूर्वं स्वर्णकाकः न दृष्टः आसीत्। (लड़की ने पहले कभी स्वर्ण (सोने का) कौआ नहीं देखा था।)
(ग) रुदन्ती बालिकां काकः कथम् आश्वासयत्? (रोती हुई लड़की को कौए ने कैसे सांत्वना दी?)
उत्तर: ‘मा शुचः, अहं तुभ्यं तण्डुलमूल्यं दास्यामि’-इति कथयित्वा रुदन्ती बालिकां काकः आश्वासयत्। (‘मत रो, मैं तुम्हें चावल का मूल्य दूँगा’—ऐसा कहकर कौए ने रोती हुई लड़की को सांत्वना दी।)
(घ) बालिका किं दृष्ट्वा आश्चर्यचकिता जाता? (लड़की क्या देखकर आश्चर्यचकित हुई?)
उत्तर: स्वर्णमयं प्रसादं दृष्ट्वा बालिका आश्चर्यचकिता जाता। (सोने का महल देखकर लड़की आश्चर्यचकित हो गई।)
(ङ) बालिका केन सोपानेन स्वर्णभवनम् आससाद? (लड़की किस सीढ़ी से स्वर्ण भवन (सोने के महल) तक पहुँची? )
उत्तर: बालिका स्वर्णसोपानेन स्वर्णभवनम् आससाद। (लड़की सोने की सीढ़ी से स्वर्ण भवन तक पहुँची।)
(च) सा ताम्रस्थाली चयनाय किं तर्कं ददाति? (वह ताम्र (ताँबे की) थाली चुनने के लिए क्या तर्क देती है?)
उत्तर: ‘अहं निर्धना ताम्रस्थाल्यामेन भोजनं करिष्यामि’-ताम्रस्थाली चयनाय सा इदं तर्क ददाति। (वह कहती है—‘मैं गरीब हूँ, इसलिए ताँबे की थाली में ही भोजन करूँगी।’ यही तर्क वह देती है।)
(छ) गर्विता बालिका कीदृशं सोपानम् अचायत् कीदृशं च प्राप्नोत्? (घमंडी लड़की ने कैसी सीढ़ी चुनी और कैसी प्राप्त हुई?)
उत्तर: गर्विता बालिका स्वर्णमयं सोपानम् अचायत् परं सा ताम्रमयं सोपानमेव प्राप्नोत्। (घमंडी लड़की ने सोने की सीढ़ी चुनी, परन्तु उसे ताँबे की सीढ़ी ही मिली।)
प्रश्न 2. (क) अधोलिखितानां शब्दानां विलोमपदं पाठात् चित्वा लिखत-
(निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द पाठ से चुनकर लिखें)
(i) पश्चात् – पूर्वम्
👉 बाद में – पहले
(ii) हसितुम् – रोदितुम्
👉 हँसना – रोना
(iii) अधः – उपरि
👉 नीचे – ऊपर
(iv) श्वेतः – कृष्णः
👉 सफेद – काला
(v) सूर्यास्त – सूर्योदयः
👉 सूर्य का अस्त होना – सूर्य का उदय होना
(vi) सुप्तः – प्रबुद्धः
👉 सोया हुआ – जागा हुआ
(ख) सन्धिं कुरुत –
(i) नि + अवसत् = न्यवसत्
👉नीचे या भीतर निवास किया / रहा।
(ii) सूर्य + उदयः = सूर्योदयः
👉सूर्य का उदय / सूर्य का निकलना।
(iii) वृक्षस्य + उपरि = वृक्षस्योपारि
👉वृक्ष के ऊपर।
(iv) हि + अकारयत् = ह्यकारयत्
👉वास्तव में उसने करवाया / उसने सचमुच कराया।
(v) च + एकाकिनी = चैकाकिनी
👉और अकेली (स्त्री)।
(vi) इति + उक्त्वा = इत्युक्त्वा
👉ऐसा कहकर।
(vii) प्रति + अवदत् = प्रत्युवदत्
👉उत्तर दिया / प्रत्युत्तर में कहा।
(viii) प्र + उक्तम् = प्रोक्तम्
👉कहा गया / वर्णित किया गया।
(ix) अत्र + एव = अत्रैव
👉यहीं पर।
(x) तत्र + उपस्थिता = तत्रोपास्थिता
👉वहाँ उपस्थित हुई।
(xi) यथा + इच्छम् = यथेच्छम्
👉अपनी इच्छा के अनुसार / जैसा चाहो वैसा।
प्रश्न 3. स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत –
(मोटे शब्दों के आधार पर प्रश्न बनाएँ)
(क) ग्रामे निर्धना स्त्री अवसत्। (गाँव में एक गरीब स्त्री रहती थी।)
उत्तर: ग्रामे का अवसत्? (गाँव में कौन रहती थी?)
(ख) स्वर्णकाकं निवारयन्ती बालिका प्रार्थयत्। (सोने के कौए को रोकते हुए लड़की ने प्रार्थना की।)
उत्तर: कं निवारयन्ती बालिका प्रार्थयत्? (लड़की किसे रोकते हुए प्रार्थना कर रही थी?)
(ग) सर्योदयात् पूर्वमेव बालिका तत्रोपस्थिता। (सूर्योदय से पहले ही लड़की वहाँ उपस्थित हुई।)
उत्तर: कस्मात् पूर्वमेव बालिका तत्रोपस्थिता? (लड़की सूर्योदय से पहले ही क्यों उपस्थित हुई थी? / सूर्योदय से पहले ही कब उपस्थित हुई थी?)
(घ) बालिका निर्धनमातुः दुहिता आसीत्। (लड़की एक गरीब माँ की बेटी थी।)
उत्तर: बालिका कस्याः दुहिता आसीत्? (लड़की किसकी बेटी थी?)
(ङ) लुब्धा वृद्धा स्वर्णकाकस्य रहस्यमभिज्ञातवती। (लोभी वृद्धा ने सोने के कौए का रहस्य जान लिया।)
उत्तर: लुब्धा वृद्धा कस्य रहस्यमभिज्ञातवती? (लोभी वृद्धा ने किसका रहस्य जाना?)
प्रश्न 4. प्रकृति – प्रत्यय – संयोगं कुरुत-
(प्रकृति और प्रत्यय का संयोग करें)
(क) वि + लोकृ + ल्यप् = विलोक्य (देखकर)
(ख) नि + क्षिप् + ल्यप् = निक्षिप्य (रखकर / डालकर)
(ग) आ + गम् + ल्यप् = आगत्य (आकर)
(घ) दृश् + क्त्वा = दृष्ट्वा (देखकर)
(ङ) शी + क्त्वा = शयित्वा (सोकर)
(च) लघु + तमप् = लघुतमम् (सबसे छोटा / अति छोटा)
प्रश्न 5. प्रकृति-प्रत्यय-विभागं कुरुत-
(प्रकृति और प्रत्यय का विभाग करें)
(क) रोदितुम् = रुद् + तुमुन् (रोना / विलाप करना)
(ख) दृष्ट्वा = दृश् + क्त्वा (देखकर / देखने के बाद)
(ग) विलोक्य = वि + लोकृ + ल्यप् (देखकर / अवलोकन करके)
(घ) निक्षिप्य = नि + क्षिप् + ल्यप् (रखकर / डालकर / स्थापित करके)
(ङ) आगत्य = आ + गम् + ल्यप् (आकर / पहुँचकर)
(च) शयित्वा = शी + क्त्वा (सोकर / विश्राम करके)
(छ) लघुतमम् = लघु + तमप् (सबसे छोटा / अत्यन्त हल्का / अत्यन्त छोटा)
प्रश्न 6 अधोलिखितानि कथनानि कः/का, कं/कां च कथयति-
(निम्नलिखित कथन कौन, किससे कहता है)
| क्रमांक | कथनम् (वाक्य) | कः / का (किसने कहा) | कं / कां (किससे कहा) |
|---|---|---|---|
| (क) | पूर्वं प्रातराशः क्रियाताम्। (पहले नाश्ता तैयार किया जाए) | स्वर्णकाकः (स्वर्ण कौआ) | विनम्रां बालिकाम् (विनम्र लड़की) |
| (ख) | सूर्यातपे तण्डुलान् खगेभ्यो रक्ष। (धूप में चावल को पक्षियों से बचाओ) | प्रथमा माता (प्रथमा माता) | प्रथमां बालिकाम् (पहली लड़की) |
| (ग) | तण्डुलान् मा भक्षय। (चावल मत खाओ) | प्रथमा बालिका (पहली लड़की) | स्वर्णकाकम् (स्वर्ण कौआ) |
| (घ) | अहं तुभ्यं तण्डुलमूल्यं दास्यामि। (मैं तुम्हें चावल का मूल्य दूँगा) | स्वर्णकाकः (स्वर्ण कौआ) | प्रथमां बालिकाम् (पहली लड़की) |
| (ङ) | भो नीचकाक! अहमागता, मह्यं तण्डुलमूल्यं प्रयच्छ। (हे नीच कौआ! मैं आ गई हूँ, मुझे चावल का मूल्य दो) | द्वितीया बालिका (दूसरी लड़की) | स्वर्णकाकम् (स्वर्ण कौआ) |
प्रश्न 7. उदाहरणमनुसृत्य कोष्ठकगतेषु पदेषु पञ्चमीविभक्तेः प्रयोगं कृत्वा रिक्तस्थानानि पूरयत –
(उदाहरण के अनुसार कोष्ठक में दिए गए शब्दों में पञ्चमी विभक्ति का प्रयोग करके रिक्त स्थान भरें)
यथा – मूषकः बिलाद् बहिः निर्गच्छति (बिल)
जैसे – चूहा बिल से बाहर निकलता है।
(क) जनः ग्रामाद् बहिः आगच्छति। (ग्राम)
👉 मनुष्य गाँव से बाहर आता है।
(ख) नद्यः पर्वताद् निस्सरन्ति। (पर्वत)
👉 नदियाँ पहाड़ से निकलती हैं।
(ग) वृक्षात् पत्राणि पतन्ति। (वृक्ष)
👉 पेड़ से पत्ते गिरते हैं।
(घ) बालकः सिंहात् बिभेति। (सिंह)
👉 लड़का सिंह से डरता है।
(ङ) ईश्वरः क्लेशात् त्रायते। (क्लेश)
👉 भगवान कष्ट से रक्षा करते हैं।
(च) प्रभुः भक्तं पापत् निवारयति। (पाप)
👉 प्रभु भक्त को पाप से रोकते हैं।


Leave a Reply