भ्रान्तो बालः
1. एकपदेन उत्तरं लिखत-
(एक शब्द में उत्तर लिखें)
(क) कः तन्द्रालुः भवति ? (कौन आलसी होता है?)
उत्तर: बालकः (बालक)
(ख) बालकः कुत्र व्रजन्तं मधुकरम् अपश्यत् ? (बालक ने भँवरे को कहाँ जाते हुए देखा?)
उत्तर: उद्याने (उद्यान में)
(ग) के मधुसंग्रहव्यग्राः अभवन् ? (कौन मधु संग्रह में व्यस्त थे?)
उत्तर: मधुकराः (भँवरे)
(घ) चटकः कया तृणशलाकादिकम् आददाति ? (चटक तिनके आदि को किससे लेता है?)
उत्तर: चञ्च्वा (चोंच से)
(ङ) चटकः कस्य शाखायां नीडं रचयति ? (चटक किसकी शाखा पर घोंसला बनाता है?)
उत्तर: वृक्षस्य (वृक्ष की)
(च) बालकः कीदृशं श्वानं पश्यति ? (बालक कैसा कुत्ता देखता है?)
उत्तर: पलायमानम् (भागता हुआ)
(छ) श्वा कीदृशे दिवसे पर्यटति ? (कुत्ता किस प्रकार के दिन में विचरण करता है?)
उत्तर: उष्णे (गर्म)
2. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत-
(निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संस्कृत भाषा में लिखें)
(क) बालः कदा क्रीडितुम् अगच्छत् ? (बालक कब खेलने गया?)
उत्तर: बालः प्रभाते क्रीडितुम् अगच्छत्। (बालक प्रभात में खेलने गया।)
(ख) बालस्य मित्राणि किमर्थं त्वरमाणा अभवन् ? (बालक के मित्र किस लिए जल्दी में थे?)
उत्तर: बालस्य मित्राणि क्रीडनार्थं त्वरमाणा अभवन्। (बालक के मित्र खेलने के लिए जल्दी में थे।)
(ग) मधुकरः बालकस्य आह्वानं केन कारणेन तिरस्कृतवान् ? (भँवरे ने बालक के बुलावे को किस कारण से अस्वीकार किया?)
उत्तर: मधुकरः बालकस्य आह्वानं मधुसंग्रहस्य व्यग्रतायाः कारणेन तिरस्कृतवान्। (भँवरे ने बालक के बुलावे को मधु संग्रह की व्यस्तता के कारण अस्वीकार किया।)
(घ) बालकः कीदृशं चटकम् अपश्यत् ? (बालक ने कैसा चटक देखा?)
उत्तर: बालकः नीडरचनायां व्यग्रं चटकम् अपश्यत्। (बालक ने घोंसला बनाने में व्यस्त चटक देखा।)
(ङ) बालकः चटकाय क्रीडनार्थं कीदृशं लोभं दत्तवान् ? (बालक ने चटक को खेलने के लिए कैसा लालच दिया?)
उत्तर: बालकः चटकाय क्रीडनार्थं स्वादून् भक्ष्यकवलान् लोभं दत्तवान्। (बालक ने चटक को खेलने के लिए स्वादिष्ट भोजन के टुकड़ों का लालच दिया।)
(च) खिन्नः बालकः श्वानं किम् अकथयत् ? (उदास बालक ने कुत्ते से क्या कहा?)
उत्तर: खिन्नः बालकः श्वानं क्रीडनार्थं संनादति इति अकथयत्। (उदास बालक ने कुत्ते से कहा कि वह खेलने के लिए आए।)
(छ) भग्नमनोरथः बालः किम् अचिन्तयत् ? (निराश बालक ने क्या सोचा?)
उत्तर: भग्नमनोरथः बालः सर्वं परिश्रमेणैव सिद्धति इति अचिन्तयत्। (निराश बालक ने सोचा कि सब कुछ परिश्रम से ही सिद्ध होता है।)
3. निम्नलिखितस्य श्लोकस्य भावार्थं हिन्दीभाषया लिखत-
(निम्नलिखित श्लोक का भावार्थ हिन्दी में लिखें)
यो मां पुत्रप्रीत्या पोषयति स्वामिनो गृहे तस्य।
रक्षानियोगकरणान्न मया भ्रष्टव्यमीषदपि॥
हिन्दी में भावार्थ:
इस श्लोक में कुत्ता अपनी निष्ठा और कर्तव्यनिष्ठा को व्यक्त करता है। वह कहता है कि जो स्वामी उसे पुत्र के समान प्रेम से पालता है, उसके प्रति वह अपनी रक्षा और सेवा के कर्तव्य में जरा भी चूक नहीं करेगा। यह श्लोक कर्तव्य और वफादारी के महत्व को दर्शाता है।
4. “भ्रान्तो बालः” इति कथायाः सारांश हिन्दीभाषया लिखत-
(“भ्रान्तो बालः” कथा का सारांश हिन्दी में लिखें)
हिन्दी में सारांश:
“भ्रान्तो बालः” कथा एक बालक की कहानी है, जो प्रभात में अपने मित्रों के साथ खेलने जाता है। वह उद्यान में मधु संग्रह में व्यस्त भँवरे को देखता है और उसे खेलने के लिए बुलाता है, पर भँवरा अपनी व्यस्तता के कारण मना कर देता है। फिर बालक चटक को घोंसला बनाते देखता है और उसे स्वादिष्ट भोजन का लालच देता है, पर चटक भी अपने कार्य में व्यस्त रहता है। निराश होकर बालक एक भागते हुए कुत्ते से खेलने का अनुरोध करता है, पर कुत्ता भी अपने स्वामी की रक्षा के कर्तव्य के कारण मना कर देता है। अंत में, निराश और भग्नमनोरथ बालक यह समझता है कि परिश्रम और कर्तव्यनिष्ठा ही जीवन में सफलता और सिद्धि के आधार हैं। यह कथा परिश्रम, कर्तव्य और आत्मानुशासन का महत्व सिखाती है।
5. स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-
(मोटे शब्दों के आधार पर प्रश्न बनाएँ)
(क) स्वादूनि भक्ष्यकवलानि ते दास्यामि। (मैं तुम्हें स्वादिष्ट भोजन के कौर दूँगा।)
उत्तर: कीदृशानि भक्ष्यकवलानि ते दास्यामि। (तुम्हें कैसे (किस प्रकार के) भोजन के कौर दूँगा?)
(ख) चटकः स्वकर्माणि व्यग्रः आसीत्? (चिड़िया (चटक) अपने कामों में व्यस्त थी।)
उत्तर: चटकः कस्मिन् व्यग्रः आसीत्? (चिड़िया किसमें व्यस्त थी?)
(ग) कुक्कुरः मानुषाणां मित्रम् अस्ति। (कुत्ता मनुष्यों का मित्र है।)
उत्तर: कुक्कुरः केषां मित्रम् अस्ति? (कुत्ता किसका मित्र है?)
(घ) स महती वैदुषीं लब्धवान्। (उसने महान विद्या प्राप्त की थी।)
उत्तर: स कीदृशीं वैदुषीं लब्धवान्? (उसने कैसी विद्या प्राप्त की थी?)
(ङ) रक्षानियोगकरणात् मया न भ्रष्टव्यम् इति। (रक्षा के कार्य में नियुक्त होने के कारण मुझे भ्रष्ट नहीं होना चाहिए।)
उत्तर: कस्मात् मया न भ्रष्टव्यम् इति? (किस कारण से मुझे भ्रष्ट नहीं होना चाहिए?)
6. “एतेभ्यः नमः” इति उदाहरणमनुसृत्य नमः इत्यस्य योगे चतुर्थी विभक्तेः प्रयोगं कृत्वा पञ्चवाक्यानि रचयत-
(उदाहरण “एतेभ्यः नमः” के अनुसार नमः के साथ चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग करके पाँच वाक्य बनाएँ)
उत्तर:
गुरवे नमः। (गुरु को नमस्कार।)
मित्राय नमः। (मित्र को नमस्कार।)
मधुकराय नमः। (भँवरे को नमस्कार।)
चटकाय नमः। (चटक को नमस्कार।)
कुक्कुराय नमः। (कुत्ते को नमस्कार।)
7. ‘क’ स्तम्भे समस्तपदानि ‘ख’ स्तम्भे च तेषां विग्रहवाक्यानि दत्तानि तानि यथासमक्षं लिखत-
(स्तंभ ‘क’ में समस्त पद और स्तंभ ‘ख’ में उनके विग्रह वाक्य दिए गए हैं, उन्हें सामने के अनुसार लिखें)
उत्तर:


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