जटायोः शौर्यम् (जटायु की वीरता)
1. एकपदेन उत्तरं लिखत-
(एक शब्द में उत्तर लिखें)
(क) आयतलोचना का अस्ति ? (आयतलोचना कौन है?)
उत्तर: सीता (सीता)
(ख) सा कं ददर्श ? (उसने किसे देखा?)
उत्तर: गृध्रम् (गिद्ध)
(ग) खगोत्तमः कीदृशीं गिरं व्याजहार ? (पक्षियों में श्रेष्ठ ने कैसी वाणी कही?)
उत्तर: शुभाम् (शुभ)
(घ) जटायुः काभ्यां रावणस्य गात्रे व्रणं चकार ? (जटायु ने किससे रावण के शरीर पर घाव किए?)
उत्तर: चरणाभ्याम् (पैरों से)
(ड) अरिन्दमः खगाधिपः कति बाहून् व्यपाहरत् ? (शत्रुदमन पक्षिराज ने कितनी भुजाएँ काटीं?)
उत्तर: दश (दस)
2. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत-
(निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संस्कृत भाषा में लिखें)
(क) “जटायो! पश्य” इति का वदति? (“जटायु! देखो” यह कौन कहता है?)
उत्तर : “जटायो! पश्य” इति सीता वदति। (“जटायु! देखो” – यह सीता कहती हैं।)
(ख) जटायुः रावणं किं कथयति? (जटायु रावण से क्या कहता है?)
उत्तर : जटायु रावणम् अकथयत् – “परदाराभिमर्शनात् नीचां मतिं निवर्तय। चीरः तत् न समाचरेत् यत् परः अस्य विगर्हयेत्।” (जटायु ने रावण से कहा – “अन्य का अपमान करने से नीच विचार मत करो। ऐसा काम मत करो जिससे कोई और इसे निंदा करे।”)
(ग) क्रोधवशात् रावणः किं कर्तुम् उद्यतः अभवत्? (क्रोध में रावण क्या करने के लिए तैयार हुआ?)
उत्तर : क्रोधवशात् रावणः वामेनाङ्केन वैदेही संपरिष्वज्य तलेन आशु जटायुम् अभिजघान पात? (क्रोध में रावण ने बाएँ हाथ से सीता को पकड़कर ज़मीन पर जटायु पर आक्रमण किया।)
(घ) पतगेश्वरः रावणस्य कीदृशं चापं सशरं बभज? (पक्षियों के राजा ने रावण का किस प्रकार का धनुष लिया?)
उत्तर : पतगेश्वरः रावणस्य मुक्तामणिविभूषितं सशरं चापं बभञ्ज। (पक्षियों के राजा ने रावण का रत्न-मोती से सजा हुआ धनुष लिया।)
(ङ) जटायुः केन वामबाहुं दंशति ? (जटायु ने किससे बायीं भुजाएँ काटीं?)
उत्तर : जटायुः तुण्डेन वामबाहून् व्यपाहरत्। (जटायु ने चोंच से बायीं भुजाएँ काटीं।)
प्रश्न 3. उदाहरणमनुसृत्य णिनि-प्रत्ययप्रयोगं कृत्वा पदानि रचयत यथा-
(“उदाहरण अनुसार ‘णिनि’ प्रत्यय जोड़कर नए शब्द बनाइए।”)
यथा: – गुण + णिनि = गुणिन् (गुणी)
दान + णिनि = दानिन् (दानी)
(क) कवच + णिनि = कवचिन् (कवच धारण करने वाला)
(ख) शर + णिनि = शरिन् (बाण धारण करने वाला)
(ग) कुशल + णिनि = कुशालिन् (कुशली/निपुण)
(घ) धन + णिनि = धनिन् (धनी)
(ङ) दण्ड + णिनि = दण्डिन (दण्ड धारण करने वाला)
प्रश्न 3. (अ) रावणस्य जटायोश्च विशेषणानि सम्मिलितरूपेण लिखितानि तानि पृथक्-पृथक् कृत्वा लिखत-
यथा: –
रावणः – जटायः
युवा – वृद्धः
उत्तर:
(क) सशरः (धनुषधारी) – (क) महाबलः (महाशक्ति वाला)
(ख) हताश्वः (मरा हुआ अश्व) – (ख) पतगसत्तमः (सबसे श्रेष्ठ पक्षी)
(ग) भग्नधन्वा (टूटे धनुष वाला) – (ग) महागृध्रः (बड़ा गरुड़ / महाकौवा)
(घ) क्रोधमूर्छितः (क्रोध से मुँह फेर लेने वाला) – (घ) खगाधिपः (क्रोधित – पक्षियों का अधिपति)
(ङ) सरथः (सारथी / रथचालक) – (ङ) पतगेश्वरः (पक्षियों का राजा)
(च) कवची (कवच / ढाल) – (छ) शरी (शरीर)
4. ‘क’ स्तम्भे लिखितानां पदानां पर्यायाः ‘ख’ स्तम्भे लिखिताः । तान् यथासमक्षं योजयत-
(‘क’ स्तंभ में लिखे हुए शब्दों के पर्यायवाची ‘ख’ स्तंभ में लिखे हुए हैं। उन्हें सही मिलान के अनुसार जोड़िए।”)
क | ख |
|---|---|
कवची (कवच पहनने वाला) | कवचधारी |
आशु (शीघ्र / तुरंत) | शीघ्रम् |
विरथः (रथविहीन / रथ न रखने वाला) | रथविहीनः |
पपात (गिर पड़ा / नीचे गिरा) | अपतत् |
भुवि (भूमि / पृथ्वी पर) | पृथिव्याम् |
पतगसत्तमः (पक्षियों में श्रेष्ठ / पक्षियों का श्रेष्ठ) | पक्षिश्रेष्ठः |
5. अधोलिखितानां पदानां / विलोमपदानि मञ्जूषायां दत्तेषु पदेषु चित्वा यथासमक्षं लिखत–
(नीचे दिए गए शब्दों के विपरीत अर्थ वाले शब्द मञ्जूषा (शब्द-संग्रह) में से चुनकर सामने लिखो।)
| क्रमांक | पदानि (शब्द) | विलोमपदानि (विपरीत शब्द) | हिन्दी अनुवाद |
|---|---|---|---|
| (क) | विलपन्ती | हसन्ती | विलपन्ती = रोने वाली, हसन्ती = हँसने वाली |
| (ख) | आर्य | अनार्य | आर्य = सज्जन / श्रेष्ठ व्यक्ति, अनार्य = दुष्ट / असभ्य व्यक्ति |
| (ग) | राक्षसेन्द्रेण | देवेन्द्रेण | राक्षसेन्द्रेण = राक्षसों के राजा द्वारा, देवेन्द्रेण = देवों के राजा (इन्द्र) द्वारा |
| (घ) | पापकर्मणा | पुण्यकर्मणा | पापकर्मणा = पाप करने वाले से, पुण्यकर्मणा = पुण्य करने वाले से |
| (ङ) | क्षिप्रम् | मन्दम् | क्षिप्रम् = शीघ्र, मन्दम् = धीमा |
| (च) | विगर्हयेत् | प्रशंसेत् | विगर्हयेत् = निन्दा करे, प्रशंसेत् = प्रशंसा करे |
| (छ) | वृद्धः | युवा | वृद्धः = बूढ़ा, युवा = जवान |
| (ज) | वामेन | दक्षिणेन | वामेन = बाएँ से, दक्षिणेन = दाएँ से |
| (झ) | अतिक्रम्य | अनतिक्रम्य | अतिक्रम्य = लाँघकर, अनतिक्रम्य = न लाँघकर / बिना लाँघे |
6. (अ) अधोलिखितानि विशेषणपदानि प्रयुज्य संस्कृतवाक्यानि रचयत —
(नीचे दिए गए विशेषण शब्दों का प्रयोग करके संस्कृत वाक्य बनाइए)
(क) शुभाम् – खगोत्तमः शुभां गिरं व्याजहार। (पक्षिराज ने शुभ वाणी कही।)
(ख) खगाधिप – खगाधिपः जटायुः रावणं प्रबोधितवान्। (पक्षिराज जटायु ने रावण को समझाया।)
(ग) हतसारथि – हतसारथिः रावणः क्रोधेन मूर्च्छितः। (सारथि मारा गया रावण क्रोध से मूर्च्छित हुआ।)
(घ) वामेन – जटायुः वामेन बाहुं तुण्डेन अपाहरत्। (जटायु ने बायीं भुजा चोंच से काटी।)
(ङ) कवची – कवची रावणः युद्धाय उद्यतः अभवत्। (कवचधारी रावण युद्ध के लिए तैयार हुआ।)
(उदाहरण के अनुसार समस्त शब्द बनाइए)
| क्रम | संस्कृत समास | हिन्दी अर्थ |
|---|---|---|
| (यथा) | त्रयाणां लोकानां समाहारः = त्रिलोकी | तीनों लोकों का समूह = त्रिलोकी |
| (i) | पञ्चानां वटानां समाहारः = पञ्चवटी | पाँच वट वृक्षों का समूह = पंचवटी |
| (ii) | सप्तानां पदानां समाहारः = सप्तपदी | सात पदों का समूह = सप्तपदी |
| (iii) | अष्टानां भुजानां समाहारः = अष्टभुजी | आठ भुजाओं का समूह = अष्टभुजी |
| (iv) | चतुर्णां मुखानां समाहारः = चतुर्मुखी | चार मुखों का समूह = चतुर्मुखी |



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