पर्यावरणम् (पर्यावरण)
1. एकपदेन उत्तरं लिखत-
(एक शब्द में उत्तर लिखें)
(क) मानवः कुत्र सुरक्षितः तिष्ठति ? (मनुष्य कहाँ सुरक्षित रहता है?)
उत्तर: पर्यावरणकुक्षौ (पर्यावरण की गोद में)
(ख) सुरक्षितं पर्यावरणं कुत्र उपलभ्यते स्म ? (सुरक्षित पर्यावरण कहाँ उपलब्ध था?)
उत्तर: वने (वन में)
(ग) आर्षवचनं किमस्ति ? (आर्षवचन क्या है?)
उत्तर: धर्मो रक्षति रक्षितः (धर्म रक्षित करता है यदि रक्षित किया जाए)
(घ) पर्यावरणरक्षणमपि कस्य अङ्गमिति ऋषयः प्रतिपादितवन्तः ? (पर्यावरण रक्षण किसका अंग है, जैसा कि ऋषियों ने प्रतिपादित किया?)
उत्तर: धर्मस्य (धर्म का)
(ङ) लोकरक्षा कया सम्भवति ? (लोक रक्षा किससे संभव है?)
उत्तर: पर्यावरणरक्षया (पर्यावरण रक्षा से)
(च) अजातशिशुः कुत्र सुरक्षितः तिष्ठति ? (अजन्मा शिशु कहाँ सुरक्षित रहता है?)
उत्तर: मातृगर्भे (माता के गर्भ में)
(छ) प्रकृतिः केषां संरक्षणाय यतते? (प्रकृति किनकी रक्षा के लिए प्रयत्न करती है?)
उत्तर: प्राणिनाम् (प्राणियों की)
प्रश्न 2.अधोलिखितानां प्रश्नानामुत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत –
(नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में लिखिए।)
(क) प्रकृतेः प्रमुखतत्त्वानि कानि सन्ति? (प्रकृति के मुख्य तत्व कौन-कौन से हैं?)
उत्तर: पृथिवी, जलं, तेजो, वायुकाशश्चेति प्रकृत्या प्रमुखतत्त्वानि सन्ति। (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश — ये प्रकृति के मुख्य तत्व हैं।)
(ख) स्वार्थान्धः मानवः किं करोति? (स्वार्थ से अंधा मनुष्य क्या करता है?)
उत्तर: स्वार्थान्धः मानवः पर्यावरणं नाशयति। (स्वार्थी मनुष्य पर्यावरण को नष्ट करता है।)
(ग) पर्यावरणे विकृते जाते किं भवति? (जब पर्यावरण दूषित हो जाता है, तब क्या होता है?)
उत्तर: पर्यावरणे विकृते जाते विविधाः रोगाः भीषणसमस्याश्च जायन्ते। (जब पर्यावरण दूषित होता है, तब अनेक रोग और भयंकर समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।)
(घ) अस्माभिः पर्यावरणस्य रक्षा कथं करणीया? (हमें पर्यावरण की रक्षा कैसे करनी चाहिए?)
उत्तर: वापीकूपतडागादिनिर्माणं कृत्वा, कुक्कुरसूकरसर्पनकुलादिस्थलचराणां, मत्स्यकच्छपमकरप्रभृतीनां जलचराणां रक्षणेन पर्यावरणस्य रक्षा करणीया। (तालाब, कुएँ, सरोवर आदि का निर्माण करके, कुत्ता, सूअर, साँप, नेवला जैसे स्थलीय जीवों तथा मछली, कछुआ, मगर आदि जलचरों की रक्षा करके पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए)
(ङ) लोकरक्षा कथं सम्भवति? (संसार की रक्षा कैसे संभव है?)
उत्तर: प्रकृतिरक्षयैव लोकरक्षा सम्भवति। (केवल प्रकृति की रक्षा से ही संसार की रक्षा संभव है।)
(च) परिष्कृतं पर्यावरणम् अस्मभ्यं किं किं ददाति? (स्वच्छ पर्यावरण हमें क्या-क्या देता है?)
उत्तर: परिष्कृतं पर्यावरणम् अस्मभ्यं सांसारिक जीवनसुखं, सद्विचारं, सत्यसङ्कल्पं, माङ्गलिकसामग्रीञ्च प्रददाति। (स्वच्छ पर्यावरण हमें सांसारिक जीवन का सुख, अच्छे विचार, सच्चे संकल्प और शुभ सामग्रियाँ प्रदान करता है।)
3. स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-
(मोटे शब्दों के आधार पर प्रश्न बनाएँ)
(क) वनवृक्षाः निर्विवेकं छिद्यन्ते। (वन के वृक्ष बिना सोच-विचार के काटे जा रहे हैं।)
उत्तर: के निर्विवेकं छिद्यन्ते? (कौन बिना विवेक के काटे जा रहे हैं?)
(ख) वृक्षकर्तनात् शुद्धवायुः न प्राप्यते। (वृक्षों को काटने से शुद्ध वायु प्राप्त नहीं होती।)
उत्तर: कस्मात् शुद्धवायुः न प्राप्यते? (किस कारण से शुद्ध वायु प्राप्त नहीं होती?)
(ग) प्रकृतिः जीवनसुखं प्रददाति। (प्रकृति जीवन का सुख प्रदान करती है।)
उत्तर: प्रकृतिः किं प्रददाति? (प्रकृति क्या प्रदान करती है?)
(घ) अजाताशिशुः मातृगर्भे सुरक्षितः तिष्ठति। (अजन्मा शिशु माँ के गर्भ में सुरक्षित रहता है।)
उत्तर: अजातशिशुः कुत्र सुरक्षितः तिष्ठति? (अजन्मा शिशु कहाँ सुरक्षित रहता है?)
(ङ) पर्यावरणरक्षणं धर्मस्य अङ्गम् अस्ति। (पर्यावरण का संरक्षण धर्म का एक अंग है।)
उत्तर: पर्यावरणरक्षणं कस्य अङ्गम् अस्ति। (पर्यावरण संरक्षण किसका अंग है?)
प्रश्न 4. उदाहरणमनुसृत्य पदरचनां कुरुत-
(उदाहरण के अनुसार पद रचना करें)
(क) यथा – जले चरन्ति इति = जलचराः (जो जल में चलते (या रहते) हैं — जलचर)
(i) स्थले चरन्ति इति = स्थलचराः (स्थल पर चलते हैं – स्थलचर)
(ii) निशायां चरन्ति इति = निशाचराः (रात में चलते हैं – निशाचर)
(iii) व्योम्नि चरन्ति इति = व्योमचराः (आकाश में चलते हैं – व्योमचर)
(iv) गिरौ चरन्ति इति = गिरिचराः (पर्वत पर चलते हैं – गिरिचर)
(v) भूमौ चरन्ति इति = भूमिचराः (भूमि पर चलते हैं – भूमिचर)
(ख) यथा – न पेयम् इति = अपेयम् (न पिया जाए – अपेय)
(i) न वृष्टिः इति = अवृष्टिः (न वर्षा – अवृष्टि)
(ii) न सुखम् इति = असुखम् (न सुख – असुख)
(iii) न भावः इति = अभावः (न भाव – अभाव)
(iv) न पूर्णः इति = अपूर्णः (न पूर्ण – अपूर्ण)
5. उदाहरणमनुसृत्य पदनिर्माणं कुरुत-
(उदाहरण के अनुसार पद निर्माण करें)
यथा – वि + कृ + क्तिन् = विकृति: (किसी चीज़ के स्वरूप या आकार में बदलाव)
(क) प्र + गम् + क्तिन् = प्रगति: (आगे बढ़ना)
(ख) दृश् + क्तिन् = दृष्टिः (देखने की क्षमता)
(ग) गम् + क्तिन् = गतिः (चलना या गति)
(घ) मन् + क्तिन् = मति: (बुद्धि)
(ङ) शम् + क्तिन् = शान्तिः (शांति)
(च) भी + क्तिन् = भीति: (भय / डर)
(छ) जन् + क्तिन् = जनति: (जन्म देती है)
(ज) भज् + क्तिन् = भक्ति: (भक्ति )
(झ) नी + क्तिन् = नीति: (नीति / सही मार्ग या नियम)
6. निर्देशानुसारं परिवर्तयत-
(निर्देश के अनुसार परिवर्तन करें)
यथा – स्वार्थान्धो मानवः अद्य पर्यावरणं नाशयति ( बहुवचने) ।
उत्तर: स्वार्थान्धाः मानवाः अद्य पर्यावरणं नाशयन्ति ।
हिन्दी –
स्वार्थी मानव आज पर्यावरण को नष्ट करता है। (बहुवचन में)
उत्तर: स्वार्थी मनुष्य आज पर्यावरण को नष्ट करते हैं।
(क) सन्तप्तस्य मानवस्य मङ्गलं कुतः? (बहुवचने)
उत्तर: सन्तप्तानां मानवानां मङ्गलं कुतः?
हिन्दी –
पीड़ित मनुष्य का मंगल कहाँ है? (बहुवचन में)
उत्तर: पीड़ित लोगों का मंगल कहाँ है?
(ख) मानवाः पर्यावरणकुक्षौ सुरक्षिताः भवन्तिं (एकवचने)
उत्तर: मानवः पर्यावरणकुक्षौ सुरक्षितः भवति।
हिन्दी –
मनुष्य पर्यावरण कक्ष में सुरक्षित हैं। (एकवचन में)
उत्तर : मनुष्य पर्यावरण कक्ष में सुरक्षित होता है।
(ग) वनवृक्षाः निर्विवेकं छिद्यन्ते (एकवचने)
उत्तर: वनवृक्षः निर्विवेक छिद्यते।
हिन्दी –
जंगल के वृक्ष अविवेक से काटे जाते हैं। (एकवचन में)
उत्तर : जंगल का वृक्ष अविवेक से काटा जाता है।
(घ) गिरिनिर्झराः निर्मलं जलं प्रयच्छन्ति। (द्विवचने)
उत्तर: गिरिनिर्झराः निर्मलं जलं प्रयच्छतः।
हिन्दी –
पहाड़ के झरने शुद्ध जल देते हैं। (द्विवचन में)
उत्तर : पहाड़ के झरने शुद्ध जल देते हैं।
(ङ) सरित् निर्मलं जलं प्रयच्छति (बहुवचने)
उत्तर: सरितः निर्मलं जलं प्रयच्छति।
हिन्दी –
नदी शुद्ध जल देती है। (बहुवचन में)
उत्तर : नदियाँ शुद्ध जल देती हैं।
6. (अ) पर्यावरणरक्षणाय भवन्तः किं करिष्यन्ति इति विषये पञ्च वाक्यानि लिखत-
(पर्यावरण की सुरक्षा के लिए आप क्या करेंगे, इस विषय पर पाँच वाक्य लिखिए।)
यथा – अहं विषाक्तम् अवकरं नदीषु न पातयिष्यामि ।
(क) अहं वृक्षारोपणं करिष्यामि।
(ख) अहं जलशुचितां करिष्यामि।
(ग) अहं ऊर्जासंरक्षणं करिष्यामि।
(घ) अहं उद्यानशुचितां करिष्यामि।
(ङ) अहं पर्यावरणसंरक्षणं करिष्यामि।
हिन्दी:
जैसे – मैं जहर वाले पदार्थ को नदियों में नहीं डालूँगा।
(क) मैं वृक्षारोपण करूँगा।
(ख) मैं जल शुद्धिकरण करूँगा।
(ग) मैं ऊर्जा संरक्षण करूँगा।
(घ) मैं उद्यान सफाई करूँगा।
(ङ) मैं पर्यावरण संरक्षण करूँगा।
प्रश्न 7. उदाहरणमनुसत्य उपसर्गान पृथक्कृत्वा लिखत –
(उदाहरण के अनुसार शब्दों से उपसर्ग अलग करके लिखिए।)
यथा – संरक्षणाय = सम्।
(i) प्रभवति (प्रकट होता है) = प्र
(ii) उपलभ्यते (प्राप्त होता है) = उप
(iii) निवसन्ति (रहते हैं) = नि
(iv) समुपहरन्ति (साथ में उठाते हैं) = सम् + उप
(v) वितरन्ति (बाँटते हैं ) = वि
(vi) प्रयच्छन्ति (प्रदान करते हैं) = प्र
(vii) उपगता (पास आते हैं) = उप
(viii) प्रतिभाति (दिखाई देता है) = प्रति
प्रश्न 7. (अ) उदाहरणमनुसत्य उपसर्गान पृथक्कृत्वा लिखत –
उदाहरण के अनुसार नीचे लिखे सभी शब्दों का विभाजन लिखिए।
यथा – तेजोवायुः = तेजः वायुः च।
(तेज और वायु।)
गिरिनिर्झराः = गिरयः निर्झराः च।
(पर्वत और झरने।)
(i) पत्रपुष्पे = पत्रम् पुष्पम् च।
(पत्ता और फूल।)
(ii) लतावृक्षौ = लता वृक्षः च।
(बेल और वृक्ष।)
(iii) पशुपक्षी = पशुः पक्षी च।
(पशु और पक्षी।)
(iv) कीटपतङ्गौ = कीटः पतङ्गः च।
(कीड़ा और पतंगा।)


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