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रजनी Question Answer Hindi Chapter 6 Class 11 हिन्दी Aroh

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Rajni Question Answer

पाठ के साथ

प्रश्न 1: रजनी ने अमित के मुददे को गंभीरता से लिया, क्योंकि-

(क) वह अमित से बहुत स्नेह करती थी।

(ख) अमित उसकी मित्र लीला का बटा था।

(ग) वह अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने की सामथ्य रखती थी।

(घ) उस अखबार की सुखियों में आने का शौक था।

उत्तर-
(ग) वह अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने की सामथ्र्य रखती थी।

प्रश्न 2: जब किसी का बच्चा कमज़ोर होता है, तभी उसके माँ-बाप दयूशन लगवाते हैं। अगर लगे कि कोई टीचर लूट रहा है, तो उस टीचर से न ले ट्यूशन, किसी और के पास चले जाएँ. यह कोई मजबूरी तो है नहीं-प्रसंग का उल्लेख करते हुए बताएँ कि यह संवाद आपको किस सीमा तक सही या गलत लगता है, तर्क दीजिए।

उत्तर- रजनी ट्यूशन के रैकेट के बारे में निदेशक के पास जाती है। उसे बताती है कि बच्चों को जबरदस्ती ट्यूशन करने के लिए कहा जाता है। ऐसे लोगों के बारे में बोर्ड क्या कर रहा है? निदेशक ने इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया। वे सहज भाव से कहते हैं कि ट्यूशन करने में कोई मजबूरी नहीं है। कमजोर बच्चे को ट्यूशन पढ़ना पड़ता है। अगर कोई अध्यापक उन्हें लूटता है तो वे दूसरे के पास चले जाएँ।
शिक्षा निदेशक का यह जवाब बहुत घटिया व गैरजिम्मेदाराना है। वे ट्यूशन को बुरा नहीं मानते। उन्हें इसमें गंभीरता नज़र नहीं आती। वे बच्चों के शोषण को नहीं रोकना चाहते। ऐसी बातें कहकर वह अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ना चाहता है।

प्रश्न 3: तो एक और आदोलन का मसला मिल गया-फुसफुसाकर कही गई यह बात-

(क) किसने किस प्रसंग में कही?

(ख) इससे कहने वाले की किस मानसिकता का पता चलता है?

उत्तर-
(क) यह बात रजनी के पति रवि ने पेरेंट्स मीटिंग के दौरान कही। रजनी ने कम वेतन पर काम करने वाले अध्यापकों को भी आंदोलन करने के लिए कहती है। उन्हें एकजुट होकर अन्याय करनेवालों का पर्दाफाश करना चाहिए।
(ख) इस कथन से रवि की उदासीन मानसिकता का पता चलता है। इस तरह के व्यक्ति अन्याय के खिलाफ कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करता। ये स्वार्थी प्रवृत्ति के होते हैं तथा अपने तक ही सीमित रहते हैं।

प्रश्न 4: रजनी धारावाहिक की इस कड़ी की मुख्य समस्या क्या है? क्या होता अगर-

(क) अमित का पर्चा सचमुच खराब होता।

(ख) संपादक रजनी का साथ न देता।

उत्तर-
रजनी धारावाहिक की इस कड़ी की मुख्य समस्या शिक्षा का व्यवसायीकरण है। स्कूल के अध्यापक बच्चों को ज़बरदस्ती ट्यूशन पढ़ने के लिए विवश करते हैं तथा ट्यूशन न लेने पर वे उनको कम अंक देते हैं।

(क) यदि अमित का पर्चा खराब होता तो यह समस्या सामने नहीं आती और न ही रजनी इसे आंदोलन का रूप दे पाती। बच्चों और अभिभावकों को ट्यूशन के शोषण से पीड़ित होना पड़ता।
(ख) यदि संपादक रजनी का साथ न देता तो यह समस्या सीमित लोगों के बीच ही रह जाती। कम संख्या का बोर्ड पर कोई असर नहीं होता। आंदोलन पूरी ताकत से नहीं चल पाता और सफलता संदिग्ध रहती।

पाठ के आस-पास

प्रश्न 1: गलती करने वाला तो है ही गुनहगार, पर उसे बदश्त करने वाला भी कम गुनहगार नहीं होता-इस संवाद के संदर्भ में आप सबसे ज्यादा किसे और क्यों गुनहगार मानते हैं?

उत्तर- इस संवाद के संदर्भ में हम सबसे ज्यादा, अत्याचार करनेवाले को दोषी मानते हैं, क्योंकि सामान्य रूप से चल रहे संसार में भी बहुत से कष्ट, दुख और तकलीफें हैं। अत्याचारी उन्हें अपने कारनामों से और बढ़ा देता है। वह स्वयं ऊपर से खुश दिखाई देता है, पर उसकी आत्मा तो जानती ही है कि वह गलती कर रहा है। उसके द्वारा जिसे सताया जा रहा है वह भी कष्ट उठा रहा है और उसकी आत्मा भी कष्ट उठाती है। इसलिए वह कष्ट से मुक्त होने के उपाय सोचता है, पर ऐसा कर नहीं पाती। ज्यादातर यही होता है। अतः अत्याचारी ही कष्ट का प्रथम कारण होने की वजह से अधिक दोषी है।

प्रश्न 2: स्त्री के चरित्र की बनी बनाई धारणा से रजनी का चेहरा किन मायनों में अलग है?

उत्तर- रजनी आम स्त्रियों से अलग है। आम स्त्री सहनशील होती है, वह डरपोक होती है। वह अन्याय का विरोध नहीं करती तथा संघर्षों से दूर रहना चाहती है। रजनी इन सबके विपरीत जुझारू, संघर्षशील व बहादुर है। वह अपने सामने हो रहे अन्याय को नहीं सहन कर सकती। वह अपने पति तक को खरी-खोटी सुनाती है तथा अधिकारियों की खिंचाई करती है। यह ट्यूशन के विरोध में जन-आंदोलन खड़ा कर देती है।

प्रश्न 3: पाठ के अंत में मीटिंग के स्थान का विवरण कोष्ठक में दिया गया है। यदि इसी दृश्य को फिल्माया तो आप कौन-कौन-से निर्देश देंगे?

उत्तर- इस दृश्य को फ़िल्माते समय हम निम्नलिखित निर्देश देंगे –

स्टेज के पीछे बैनर लगा हो तथा उस पर एजेंडा लिखा होना चाहिए।
स्टेज पर माइक व कुर्सी की व्यवस्था होनी चाहिए।
रजनी को संवाद याद होने चाहिए।
तालियाँ समयानुसार बजनी चाहिए।

प्रश्न 4: इस पटकथा में दृश्य-संख्या का उल्लेख नहीं है। मगर गिनती करें तो सात दृश्य हैं। आप किस आधार पर इन दृश्यों को अलग करेंगे?

उत्तर- पटकथा में दृश्य-संख्या नहीं है, परंतु दृश्य अलग-अलग दिए गए हैं। हम सभी दृश्यों को स्थान के आधार पर अलग-अलग करेंगे।

भाषा की बात

प्रश्न 1: निम्नलिखित वाक्यों के रेखांकित अंश में जो अर्थ निहित हैं उन्हें स्पष्ट करते हुए लिखिए-

(क) वरना तुम तो मुझे काट ही देतीं।

(ख) अमित जब तक तुम्हारे भोग नहीं लगा लता, हमलोग खा थोड़े ही सकते हैं।

(ग) बस-बस मैं समझ गया।

उत्तर-
(क) यहाँ काट ही देतीं का अर्थ है-बुरी तरह परेशान कर देतीं या जीना हराम कर देतीं। यह वाक्यांश शाब्दिक अर्थ से हटकर अर्थ प्रकट कर रहा है।
(ख) भोग लगाना-अर्थात् अमित रजनी आंटी का इतना मान रखता है, उन्हें इतना स्नेह-आदर देता है कि अपने घर में बननेवाली हर चीज़ सबसे पहले उन्हें खिलाकर आता है फिर स्वयं खाता है। अतः यह प्रयोग मान देने के अर्थ में हुआ है। थोड़े ही अर्थात् खा नहीं सकते या खा नहीं पाते ! जिस प्रकार भगवान को भोग लगाना और उसके बाद खाना हमारा स्वयं का ही बनाया हुआ नियम है, वैसे ही अमित रजनी आंटी को खिलाकर ही खाता है।
(ग) इस वाक्य में बस-बस का अर्थ यह है कि और अधिक बोलने की आवश्यकता नहीं है मैं सबकुछ समझ चुका हूँ। ज्यादा स्पष्टीकरण नहीं चाहता।

कोड मिक्सिंग/कोड स्विचिग

प्रश्न 1: कोई रिसर्च प्रोजेक्ट है क्या? क्हेरी द्वटरेस्टिग सब्जेक्ट।
ऊपर दिए गए संवाद में दो पंक्तियाँ हैं पहली पंक्ति में रेखांकित अंश हिंदी से अलग अंग्रेजी भाषा का है जबकि शेष हिंदी भाषा का है। दूसरा वाक्य पूरी तरह अंग्रेजी में है। हम बोलते समय कई बार एक ही वाक्य में दो भाषाओं (कोड) का इस्तेमाल करते हैं। यह कोड मिक्सिंग कहलाता है। जबकि एक भाषा में बोलते-बोलते दूसरी भाषा का इस्तेमाल करना कोड स्विचिंग कहलाता है। पाठ में से कोड मिक्सिंग और कोड स्विचिंग के तीन-तीन उदाहरण चुनिए और हिंदी भाषा में रूपांतरण करके लिखिए।

उत्तर-

कोड मिक्सिंग

(क) नाइंटी फाइव तो तेरे पक्के हैं।
(ख) मैथ्स में ही पूरे नंबर आ सकते हैं।
(ग) सॉरी मैडम, ईयरली एक्जाम्स की कॉपियाँ तो हम नहीं दिखाते हैं।

हिदी रूपांतरण

(क) पंचानवे तो तेरे पक्के हैं।
(ख) गणित में ही तो पूरे अंक आ सकते हैं।
(ग) क्षमा कीजिए, बहन जी, वार्षिक परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाएँ तो हम लोग नहीं दिखाते हैं।

कोड स्विचिंग

(क) आई मीन व्हॉट आई से। नियम का जरा भी ख्याल होता तो इस तरह की हरकतें नहीं होतीं स्कूल में।
(ख) कोई रिसर्च प्रोजेक्ट है क्या? व्हेरी इंटरेस्टिंग सब्जेक्ट।
(ग) विल यू प्लीज गेट आउट ऑफ दिस रूम। ….. मेमसाहब को बाहर ले जाओ।

हिंदी रूपां

(क) मैं जो कह रही हूँ वह सच है। नियम.।
(ख) कोई रिसर्च प्रोजेक्ट है क्या? बहुत रोचक विषय है।
(ग) कृपया आप इस कमरे से बाहर चले जाए। …… मेमसाहब…… ।

बोधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1: ‘रजनी’ पाठ का प्रतिपाद्य बताइए।

उत्तर- यह पाठ शिक्षा के व्यवसायीकरण, ट्यूशन के रैकेट, अधिकारियों की उदासीनता तथा आम जनता द्वारा अन्याय का विरोध आदि के बारे में बताता है। यह हमें अन्याय का विरोध करने की प्रेरणा देता है। यह पाठ सिखाता है कि यदि अन्याय को नहीं रोका गया तो वह बढ़ता जाएगा। अन्याय का विरोध समाज को साथ लेकर हो सकता है, क्योंकि आम आदमी की सहभागिता के बिना सामाजिक, प्रशासनिक व राजनैतिक व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन संभव नहीं है।

प्रश्न 2: गणित के टीचर के खिलाफ अन्य बच्चों ने आवाज क्यों नहीं उठाई?

उत्तर- गणित का अध्यापक बच्चों को जबरदस्ती ट्यूशन पर आने के लिए कहता था। ऐसा न करने पर उनके अंक तक काट देता था। दूसरे बच्चों ने उसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई, क्योंकि उन्हें लगता था कि ऐसा करने पर अगली कक्षाओं में भी उनके साथ भेदभाव किया जाएगा। अध्यापक उनका भविष्य बिगाड़ देगा और उसका कुछ नहीं बिगड़ेगा। इस डर से अमित व उसकी माँ भी रजनी को विरोध करने से रोकना चाहते थे।

प्रश्न 3: रजनी संपादक से क्या सहायता माँगती है?

उत्तर- रजनी संपादक को ट्यूशन की समस्या बताती है तथा उसे अखबार में छापने का आग्रह करती है। वह उनसे कहती है कि 25 तारीख की पेरेंट्स मीटिंग की खबर भी प्रकाशित करें। इससे सब लोगों तक खबर पहुँच जाएगी। व्यक्तिगत तौर पर हम कम लोगों से संपर्क कर पाएँगे।

प्रश्न 4: शिक्षा बोर्ड और प्राइवेट स्कूलों के बीच क्या संबंध होता है?

उत्तर- शिक्षा बोर्ड शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए प्राइवेट स्कूलों को 90% सहायता देकर मान्यता देता है। यह सहायता स्कूलों के रखरखाव, अध्यापक और विद्यार्थियों के स्तर को ऊँचा उठाने के लिए दी जाती है। शिक्षा बोर्ड के नियमों का पालन करना प्राइवेट स्कूल का कर्तव्य है। शिक्षा बोर्ड सिलेबस बनाता है, वार्षिक परीक्षा बोर्ड करवाता है।

प्रश्न 5: सरकारी कार्यालयों की व्यवस्था पर टिप्पणी कीजिए।

उत्तर- सरकारी कार्यालयों में आम आदमी को परेशान किया जाता है। यहाँ हर कदम पर भ्रष्टाचार है। अफसर अंदर खाली बैठे रहते हैं, परंतु बाहर ‘बिजी” होने का संदेश दिया जाता है। चपरासी भी रिश्वत लेकर ही मुलाकातियों को साहब से मिलने भेजता है। अधिकारी का रवैया काम को टालने वाला होता है। उसे जनता से कोई लेना-देना नहीं होता।

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