Main Menu
  • School
    • Close
    • CBSE English Medium
    • CBSE Hindi Medium
    • UP Board
    • Bihar Board
    • Maharashtra Board
    • MP Board
    • Close
  • English
    • Close
    • English Grammar for School
    • Basic English Grammar
    • Basic English Speaking
    • English Vocabulary
    • English Idioms & Phrases
    • Personality Enhancement
    • Interview Skills
    • Close
  • Sarkari Exam Prep
    • Close
    • All Govt Exams Preparation
    • MCQs for Competitive Exams
    • Notes For Competitive Exams
    • NCERT Syllabus for Competitive Exam
    • Close
  • Study Abroad
    • Close
    • Study in Australia
    • Study in Canada
    • Study in UK
    • Study in Germany
    • Study in USA
    • Close
हिन्दी Class 11 || Menu
  • MCQ Hindi Class 11
  • Important Questions Hindi Class 11
  • Revision Notes Hindi Class 11
  • Sample Papers Hindi Class 11
  • Previous Year Papers Hindi Class 11
  • Question Answer Hindi Class 11
  • Books Hindi Class 11
  • Hindi Class 11

हिन्दी Notes Class 11 Chapter 11 Hindi घर की याद

Advertisement

Notes For All Chapters Hindi Aroh Class 11 CBSE

कविता का सारांश

इस कविता में घर के मर्म का उद्घघाटन है। कवि को जेल-प्रवास के दौरान घर से विस्थापन की पीड़ा सालती है। कवि के स्मृति-संसार में उसके परिजन एक-एक कर शामिल होते चले जाते हैं। घर की अवधारणा की सार्थक और मार्मिक याद कविता की केंद्रीय संवेदना है। सावन के बादलों को देखकर कवि को घर की याद आती है। वह घर के सभी सदस्यों को याद करता है। उसे अपने भाइयों व बहनों की याद आती है। उसकी बहन भी मायके आई होगी। कवि को अपनी अनपढ़, पुत्र के दुख से व्याकुल, परंतु स्नेहमयी माँ की याद आती है। वह पत्र भी नहीं लिख सकती।

कवि को अपने पिता की याद आती है जो बुढ़ापे से दूर हैं। वे दौड़ सकते हैं, खिलखिलाते हैं। वो मौत या शेर से नहीं डरते। उनकी वाणी में जोश है। आज वे गीता का पाठ करके, दंड लगाकर जब नीचे परिवार के बीच आए होंगे, तो अपने पाँचवें बेटे को न पाकर रो पड़े होंगे। माँ ने उन्हें समझाया होगा। कवि सावन से निवेदन करता है कि तुम खूब बरसो, किंतु मेरे माता-पिता को मेरे लिए दुखी न होने देना। उन्हें मेरा संदेश देना कि मैं जेल में खुश हूँ। मुझे खाने-पीने की दिक्कत नहीं है। मैं स्वस्थ हूँ। उन्हें मेरी सच्चाई मत बताना कि मैं निराश, दुखी व असमंजस में हूँ। हे सावन! तुम मेरा संदेश उन्हें देकर धैर्य बँधाना। इस प्रकार कवि ने घर की अवधारणा का चित्र प्रस्तुत किया है।

व्याख्या एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1. आज पानी गिर रहा है,
बहुत पानी गिर रहा है,
रात भर गिरता रहा है,
प्राण-मन धिरता रहा है,
बहुत पानी गिर रहा हैं,
घर नजर में तिर रहा है,
घर कि मुझसे दूर है जो,
घर खुशी का पूर हैं जो,

घर कि घर में चार भाई,
मायके में बहिन आई,
बहिन आई बाप के घर,
हाय रे परिताप के घर।
घर कि घर में सब जुड़े हैं,
सब कि इतने कब जुड़े हैं,
चार भाई चार बहिन,
भुजा भाई प्यार बहिन,

शब्दार्थ–
गिर रहा-बरसना। प्राण-मन धिरना-प्राणों और मन में छा जाना। तिरना-तैरना। नजर-निगाह। खुशी का पूर-खुशी का भडार। परिताप-कष्ट।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘घर की याद’ से लिया गया है। इसके रचयिता भवानी प्रसाद मिश्र हैं। यह कविता जेल प्रवास के दौरान लिखी गई। एक रात लगातार बारिश हो रही थी तो कवि को घर की याद आती है तो वह अपनी पीड़ा व्यक्त करता है।
व्याख्या-कवि बताता है कि आज बहुत तेज बारिश हो रही है। रातभर वर्षा होती रही है। ऐसे में उसके मन और प्राण घर की याद से घिर गए। बरसते हुए पानी के बीच रातभर घर कवि की नजरों में घूमता रहा। उसका घर बहुत दूर है, परंतु वह खुशियों का भंडार है। उसके घर में चार भाई हैं। बहन मायके में यानी पिता के घर आई है। यहाँ आकर उसे दुख ही मिला, क्योंकि उसका एक भाई जेल में बंद है। घर में आज सभी एकत्र होंगे। वे सब आपस में जुड़े हुए हैं। उसके चार भाई व चार बहने हैं। चारों भाई भुजाएँ हैं तथा बहनें प्यार हैं। भाई भुजा के समान कर्मशील व बलिष्ठ हैं तथा बहनें स्नेह की भंडार हैं।

विशेष-
1. सावन के महीने का स्वाभाविक वर्णन है।
2. घर की याद आने के कारण स्वाभाविक अलंकार है।
3. ‘पानी गिर रहा है’ में यमक अलंकार तथा आवृत्ति होने से अनुप्रास अलंकार है।
4. ‘घर नजर में तिर रहा है’ में चाक्षुष बिंब है।
5. खड़ी बोली में सहज अभिव्यक्ति है।
6. ‘भुजा भाई’ में उपमा व अनुप्रास अलंकार हैं।
7. प्रश्न शैली का सुंदर प्रयोग है।
8. संयुक्त परिवार का आदर्श उदाहरण है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1. ‘पानी गिरने’ से कवि क्या कहना चाहता है?
2. बरसात से कवि के हृदय पर क्या प्रभाव हुआ?
3. ‘भुजा भाई प्यार बहिनें’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
4. मायके में आई बहन को क्या कष्ट हुआ होगा?

उत्तर –
1. कवि ने पानी गिरने के दो अर्थ दिए हैं। पहले अर्थ में यहाँ वर्षा हो रही है। दूसरे अर्थ में, बरसात को देखकर कवि को घर की याद आती है तथा इस कारण उसकी आँखों से आँसू बहने लगे हैं।
2. बरसात के कारण कवि को अपने घर की याद आ गई। वह स्मृतियों में खो गया। जेल में वह अकेलेपन के कारण दुखी है। वह भावुक होकर रोने लगा।
3. कवि ने भाइयों को भुजाओं के समान कर्मशील व बलिष्ठ बताया है। वे एक-दूसरे के गरीबी व सहयोगी हैं। उसकी बहनें स्नेह का भंडार हैं।
4. सावन के महीने में ससुराल से बहन मायके आई। वहाँ सबको देखकर वह खुश होती है, परंतु एक भाई के जेल में होने के कारण वह दुखी भी है।

2. और माँ बिन-पढ़ी मोरी,
दु:ख में वह गढ़ी मेरी
माँ कि जिसकी गोद में सिर,
रख लिया तो दुख नहीं फिर,
माँ कि जिसकी स्नेह-धारा,
का यहाँ तक भी पसारा,
उसे लिखना नहीं आता,
जो कि उसका पत्र पाता।

पिता जी जिनको बुढ़ापा,
एक क्षण भी नहीं व्यापा,
जो अभी भी दौड़ जाएँ
जो अभी भी खिलखिलाएँ,
मौत के आगे न हिचकें,
शर के आगे न बिचकें,
बोल में बादल गरजता,
काम में झझ लरजता,

शब्दार्थ–

गढ़ी-डूबी। स्नेह-प्रेम। पसारा-फैलाव। पत्र-चिट्ठी। व्यापा-फैला हुआ। खिलखिलाएँ-खुलकर हँसना। हिचकें-संकोच करना। बिचकें-डरें। बोल-आवाज। झांझा-तूफान। लरजता-काँपता।

प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘घर की याद’ से लिया गया है। इसके रचयिता भवानी प्रसाद मिश्र हैं। यह कविता जेल प्रवास के दौरान लिखी गई। एक रात लगातार बारिश हो रही थी तो कवि को घर की याद आती है तो वह अपनी पीड़ा व्यक्त करता है। इस काव्यांश में पिता व माँ के बारे में बताया गया है।

व्याख्या-सावन की बरसात में कवि को घर के सभी सदस्यों की याद आती है। उसे अपनी माँ की याद आती है। उसकी माँ अनपढ़ है। उसने बहुत कष्ट सहन किया है। वह दुखों में ही रची हुई है। माँ बहुत स्नेहमयी है। उसकी गोद में सिर रखने के बाद दुख शेष नहीं रहता अर्थात् दुख का अनुभव नहीं होता। माँ का स्नेह इतना व्यापक है कि जेल में भी कवि उसको अनुभव कर रहा है। वह लिखना भी नहीं जानती। इस कारण उसका पत्र भी नहीं आ सकता। कवि अपने पिता के बारे में बताता है कि वे अभी भी चुस्त हैं। बुढ़ापा उन्हें एक क्षण के लिए भी आगोश में नहीं ले पाया है। वे आज भी दौड़ सकते हैं तथा खूब खिल-खिलाकर हँसते हैं। वे इतने साहसी हैं कि मौत के सामने भी हिचकते नहीं हैं तथा शेर के आगे डरते नहीं है। उनकी वाणी में ओज है। उसमें बादल के समान गर्जना है। जब वे काम करते हैं तो उनसे तूफ़ान भी शरमा जाता है अर्थात् वे तेज गति से काम करते हैं।

विशेष–
1. माँ के स्वाभाविक स्नेह तथा पिता के साहस व जीवनशैली का सुंदर व स्वाभाविक वर्णन है।
2. माँ की गोद में सिर रखने से चाक्षुष बिंब साकार हो उठता है।
3. पिता के वर्णन में वीर रस का आनंद मिलता है।
4. ‘अभी भी’ की आवृत्ति में अनुप्रास अलंकार है।
5. ‘बोल में बादल गरजता’ तथा ‘काम में झंझा लरजता’ में उपमा अलंकार है।
6. खड़ी बोली है।
7. भाषा सहज व सरल है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1. माँ के बारे में कवि क्या बताता है?
2. कवि को माँ का पत्र क्यों नहीं मिल पाता?
3. कवि के पिता की चार विशेषताएँ बताइए।
4. ‘पिता जी को बुढ़ापा नहीं व्यापा’-आशय स्पष्ट करें।

उत्तर –
1. माँ के बारे में कवि बताता है कि वह दुखों में रची हुई है। वह निरक्षर है। वह बच्चों से बहुत स्नेह करती है।
2. कवि को माँ का पत्र इसलिए नहीं मिल पाता, क्योंकि वह अनपढ़ है। निरक्षर होने के कारण वह पत्र भी नहीं लिख सकती।
3. कवि के पिता की चार विशेषताएँ हैं-
(क) उन पर बुढ़ापे का प्रभाव नहीं है।
(ख) वे खुलकर हँसते हैं।
(ग) वे दौड़ लगाते हैं।
(घ) उनकी आवाज में गर्जना है।
4. कवि अपने पिता के विषय में बताता है कि वे सदैव हँसते रहते हैं, व्यायाम करते हैं। वे जिंदादिल हैं तथा मौत से नहीं घबराते। ये सभी लक्षण युवावस्था के हैं। अत: कवि के पिता जी पर बुढ़ापे का कोई असर नहीं है।

3. आज गीता पाठ करके,
दंड दो सौ साठ करके,
खूब मुगदर हिला लेकर,
मूठ उनकी मिला लेकर,
जब कि नीचे आए होंगे,
नैन जल से छाए होंगे,
हाय, पानी गिर रहा है,
घर नजर में तिर रहा हैं,

चार भाई चार बहिनें
भुजा भाई प्यार बहिनें
खेलते या खड़े होंगे,
नजर उनकी पड़े होंगे।
पिता जी जिनको बुढ़ापा,
एक क्षण भी नहीं व्यापा,
रो पड़े होंगे बराबर,
पाँचवें का नाम लेकर,

शब्दार्थ–
दंड-व्यायाम का तरीका। मुगदर-व्यायाम करने का उपकरण। मूठ-पकड़ने का स्थान। नैन-नयन। तिर-तिरना। क्षण-पल। व्यापा-फैला।

प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘घर की याद’ से लिया गया है। इसके रचयिता भवानी प्रसाद मिश्र हैं। यह कविता जेल प्रवास के दौरान लिखी गई। एक रात लगातार बारिश हो रही थी तो कवि को घर की याद आती है तो वह अपनी पीड़ा व्यक्त करता है।

व्याख्या-कवि अपने पिता के विषय में बताता है कि आज वे गीता का पाठ करके, दो सौ साठ दंड-बैठक लगाकर, मुगदर को दोनों हाथों से हिलाकर व उनकी मूठों को मिलाकर जब वे नीचे आए होंगे तो उनकी आँखों में पानी आ गया होगा। कवि को याद करके उनकी आँखें नम हो गई होंगी। कवि को घर की याद सताती है। घर में चार भाई व चार बहनें हैं जो सुरक्षा व प्यार में बँधे हैं। उन्हें खेलते या खड़े देखकर पिता जी को पाँचवें की याद आई होगों और वे जिन्हें कभी बुढ़ापा नहीं व्यापा था, कवि का नाम लेकर रो पड़े होंगे।

विशेष–
1. पिता के संस्कारी रूप, स्वस्थ शरीर व भावुकता का वर्णन है।
2. दृश्य बिंब है।
3. संयुक्त परिवार का आदर्श रूप प्रस्तुत है।
4. भाषा सहज व सरल है।
5. ‘भुजा भाई’ में उपमा व अनुप्रास अलंकार है।
6. खड़ी बोली में प्रभावपूर्ण अभिव्यक्ति है।
7. शांत रस है।
8. मुक्त छंद है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1. कवि अपने पिता की दिनचर्या के बारे में क्या बताता है?
2. पिता की औाँखें भीगने का क्या कारण रहा होगा?
3. कवि ने भाई-बहन के बारे में क्या बताया है?
4. कवि के पिता क्यों रोने लगे होंगे?

उत्तर –
1. कवि के पिता गीता का पाठ करते हैं तथा दो सौ साठ दंड लगाकर मुगदर हिलाते हैं। फलस्वरूप उनका शरीर मजबूत बन गया है तथा गीता पाठ के कारण मन साहसी हो गया है।
2. कवि के पिता गीता पाठ व व्यायाम करके नीचे आए होंगे तो उन्हें अपने छोटे पुत्र भवानी की याद आई होगी। वह उस समय जेल में था। इस वियोग के कारण उनकी आँखों में पानी आ गया होगा।
3. कवि ने बताया कि उसके चार भाई व चार बहनें हैं, जो इकट्ठे रहते हैं।
4. कवि के पिता ने जब सभी भाई-बहनों को खड़े या खेलते देखा होगा तो उन्हें पाँचवें पुत्र भवानी की याद आई होगी। वे उसका नाम लेकर रो पड़े होंगे।

4.पाँचवाँ मैं हूँ अभागा,
जिसे सोने पर सुहागा,
पिता जी कहते रहे हैं,
प्यार में बहते रह हैं,

आज उनके स्वर्ण बेटे,
लगे होंगे उन्हें हेटे,
क्योंकि मैं उन पर सुहागा
बाँधा बैठा हूँ अभागा,

शब्दार्थ–
अभागा-भाग्यहीन। सोने पर सुहागा-वस्तु या व्यक्ति का दूसरों से बेहतर होना। प्यार में बहना-भाव-विभोर होना। स्वर्ण-सोना। हेटे—तुच्छ।

प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘घर की याद’ से लिया गया है। इसके रचयिता भवानी प्रसाद मिश्र हैं। यह कविता जेल प्रवास के दौरान लिखी गई। एक रात लगातार बारिश हो रही थी तो कवि को घर की याद आती है, तो वह अपनी पीड़ा व्यक्त करता है।
वह पिता के प्यार के बारे में बताता है।

व्याख्या-कवि कहता है कि वह उनका भाग्यहीन पाँचवाँ पुत्र है। वह उनके साथ नहीं है, परंतु पिता जी को सबसे प्यारा है। जब भी कभी कवि के बारे में चर्चा चलती है तो वे भाव-विभोर हो जाते हैं। आज उन्हें अपने सोने जैसे बेटे तुच्छ लगे होंगे, क्योंकि उनका सबसे प्यारा बेटा उनसे दूर जेल में बैठा है। .

विशेष–
1. पिता को भवानी से बहुत लगाव था।
2. ‘सोने पर सुहागा’ मुहावरे का सुंदर प्रयोग है।
3. भाषा सहज व सरल है।
4. खड़ी बोली है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1. कवि स्वयं को क्या कहता है? तथा क्यों?
2. कवि स्वयं को अभागा क्यों कहता है?
3. पिता अपने पाँचों बेटों को क्या मानते हैं?
4. पिता को आज अपने बेटे हीन क्यों लग रहे होंगे?

उत्तर –
1. कवि स्वयं को अभागा कहता है, क्योंकि वह परिवार के सदस्यों-भाइयों, बहनों, और वृद्ध माता-पिता के सानिध्य से दूर है। उसे उनके प्यार की कमी खल रही है।
2. कवि स्वयं को इसलिए अभागा कहता है, क्योंकि वह जेल में बंद है। सावन के अवसर पर सारा परिवार इकट्ठा हुआ है और वह उनसे दूर है।
3. पिता अपने चार बेटों को सोने के समान तथा पाँचवें को सुहागा मानते हैं।
4. पिता अपने चार बेटों को सोने के समान मानते थे तथा पाँचवें को सुहागा। आज उनका पाँचवाँ बेटा जो उन्हें सबसे प्यारा लगता है, जेल में उनसे दूर बैठा है। अत: उसके बिना चारों बेटे उन्हें हीन लग रहे होंगे।

5. और माँ ने कहा होगा,
दुख कितना बहा होगा,
आँख में किसलिए पानी
वहाँ अच्छा है भवानी
वह तुम्हारी मन समझकर,
और अपनापन समझकर,

गया है सो ठीक ही है,
यह तुम्हारी लीक ही है,
पाँव जो पीछे हटाता,
कोख को मेरी लजाता,
इस तरह होआो न कच्चे,
रो पड़गे और बच्चे,

शब्दार्थ–
लीक-परंपरा। पाँव पीछे हटान-कर्तव्य से हटना। कोख को लजाना-माँ को लज्जित करना। कच्चे-कमजोर।

प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘घर की याद’ से लिया गया है। इसके रचयिता भवानी प्रसाद मिश्र हैं। यह कविता जेल प्रवास के दौरान लिखी गई है। एक रात लगातार बारिश हो रही थी तो कवि को घर की याद आती है। ऐसे में वह अपनी पीड़ा कविता के माध्यम से व्यक्त करता है। इस काव्यांश में कवि की माँ पिता को समझाती है।

व्याख्या-माँ ने पिता जी को समझाया होगा। ऐसा करते समय उसके मन में भी बहुत दु:ख बहा होगा। वह कहती है कि भवानी जेल में बहुत अच्छा है। तुम्हें आँसू बहाने की जरूरत नहीं है। वह आपके दिखाए मार्ग पर चला है और इसे अपना उद्देश्य बनाकर गया है। यह ठीक है। यह तुम्हारी ही परंपरा है। यदि वह आगे बढ़कर वापस आता तो यह मेरे मातृत्व के लिए लज्जा की बात होती। अत: तुम्हें अधिक कमजोर होने की जरूरत नहीं है। यदि तुम रोओगे तो बच्चे भी रोने लगेंगे।

विशेष–
1. माँ द्वारा धैर्य बँधाने का स्वाभाविक वर्णन है।
2. लीक पर चलना, पाँव पीछे हटाना, कोख लजाना, कच्चा होना आदि मुहावरों का साभिप्राय प्रयोग है।
3. संवाद शैली है।
4. खड़ी बोली में सशक्त अभिव्यक्ति है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1. माँ ने भवानी के पिता को क्या सांत्वना दी?
2. ‘वह तुम्हारा मन समझकर”-का आशय स्पष्ट कीजिए।
3. माँ की कोख कवि के किस कार्य से-लज्जित होती?
4.  ‘यह तुम्हारी लीक ही है’-का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर –
1. माँ ने भवानी के पिता को कहा कि भावुक होकर आँखें नम मत करो, वह जेल में ठीक है। भवानी तुम्हारी मन की बात समझकर ही आजादी की लड़ाई में कूदा है तथा तुम्हारी परंपरा का निर्वाह किया है। अत: दुख जताने की आवश्यकता नहीं है।
2. इसका अर्थ है कि भवानी के पिता देशभक्त थे। वह ब्रिटिश सत्ता को खत्म करना चाहते थे। इसी भाव को समझकर भवानी ने स्वाधीनता आंदोलन में भाग लिया।
3. यदि कवि देश के सम्मान व रक्षा के कार्य से अपने कदम पीछे हटा लेता तो माँ की कोख लजा जाती।
4. आशय है कि माँ पिता जी को समझाती है कि भवानी तुम्हारे ही आदशों पर चलकर जेल गया है। तुम भी भारत । माता को परतंत्र नहीं देख सकते हो। वह भी अंग्रेजी शासन का विरोध करते हुए जेल गया है। यह आपकी ही तो परंपरा है।

6. पिता जी ने कहा होगा,
हाय, कितना सहा होगा,
कहाँ, मैं रोता कहाँ हूँ
धीर मैं खोता, कहाँ हूँ
हे सजील हरे सावन,
हे कि मरे पुण्य पावन,

तुम बरस लो वे न बरसें
पाँचवें को वे न तरसें,
मैं मजे में हूँ सही है,
घर नहीं हूँ बस यही है,
किंतु यह बस बड़ा बस हैं,
इसी बस से सब विरस हैं,

शब्दार्थ–

धीर खोना-धैर्य खोना। पुण्य पावन-अति पवित्र। बस-नियंत्रण, केवल। विरस-रसहीन, फीका।

प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘घर की याद’ से लिया गया है। इसके रचयिता भवानी प्रसाद मिश्र हैं। यह कविता जेल प्रवास के दौरान लिखी गई। एक रात लगातार बारिश हो रही थी तो कवि को घर की याद आती है। ऐसे में वह अपनी पीड़ा कविता के माध्यम से व्यक्त करता है।

व्याख्या-माँ की बातें सुनकर पिता ने कहा होगा कि मैं रो नहीं रहा हूँ और न ही धैर्य खो रहा हूँ। यह बात कहते हुए उन्होंने सारी पीड़ा मन में समेटी होगी। कवि सावन को संबोधित करते हुए कहता है कि हे सजीले हरियाले सावन! तुम अत्यंत पवित्र हो। तुम चाहे बरसते रहो, परंतु मेरे माता-पिता की आँखों से आँसू न बरसें। वे अपने पाँचवें बेटे की याद करके दुखी न हों। वह मजे में है, इसमें कोई संदेह नहीं है। इसमें केवल इतना ही अंतर है कि मैं घर पर नहीं हूँ। वह घर के वियोग को मामूली मान रहा है, परंतु यह कोई साधारण घटना नहीं है। इस वियोग से मेरा जीवन दुखमय बन गया है। मैं अलगाव का नरक भोग रहा हूँ।

विशेष–
1. पिता की भावुकता का सजीव वर्णन है।
2. सावन को दूत बनाने की प्राचीन परंपरा को प्रयोग किया गया है।
3. संवाद शैली है।
4. ‘पुण्य पावन’ में अनुप्रास अलंकार है।
5. ‘बस’ शब्द में यमक अलंकार है। इसके दो अर्थ हैं-केवल व नियंत्रण।
6. खड़ी बोली है।
7. क्त छद है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1. माँ की बात पर पिता ने अपनी व्यथा को किस प्रकार छिपाने का प्रयास किया?
2. कवि ने किसे क्या कहा?
3. भवानी का जीवन विरस, क्यों है?
4. कवि सावन से अपने माता-पिता के लिए क्या कहता है?

उत्तर –
1. माँ की बात पर पिता ने कहा कि वह रो नहीं रहा है और न ही वह धैर्य खो रहा है। इस तरह उन्होंने अपनी व्यथा छिपाने का प्रयास किया।
2. कवि ने सावन को यह संदेश देने को कहा कि वह मजे में है। घरवाले उसकी चिंता न करें। वह सिर्फ घर से दूर है।
3. भवानी का जीवन रसहीन है, क्योंकि वह घर से दूर है। पारिवारिक स्नेह के अभाव में वह स्वयं को अकेला महसूस कर रहा है।
4. कवि सावन से कहता है कि तुम चाहे जितना बरस लो, लेकिन ऐसा कुछ करो कि मेरे माता-पिता मेरे लिए न तरसें तथा आँसू न बहाएँ।

7. किंतु उनसे यह न कहना,
उन्हें देते धीर रहना,
उन्हें कहना लिख रहा हूँ,
उन्हें कहना पढ़ रहा हूँ,
काम करता हूँ कि कहना,
नाम करता हूँ कि कहना,
मत करो कुछ शोक कहना,

और कहना मस्त हूँ मैं,
कातने में व्यस्त हूँ मैं,
वजन सत्तर सेर मेरा,
और भोजन ढेर मरा,
कूदता हूँ खेलता हूँ,
दु:ख डटकर ठेलता हूँ,
यों न कहना अस्त हूँ मैं,

शब्दार्थ–
धीर-धैर्य। शोक-दुख। डटकर ठेलना-तल्लीनता से हटाना। मस्त-अपने में मग्न रहना। अस्त-निराश।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘घर की याद’ से लिया गया है। इसके रचयिता भवानी प्रसाद मिश्र हैं। यह कविता जेल प्रवास के दौरान लिखी गई। एक रात लगातार बारिश हो रही थी तो कवि को घर की याद आती है। ऐसे में वह अपनी पीड़ा कविता के माध्यम व्यक्त करता है।

व्याख्या-कवि सावन से कहता है कि तुम मेरे माता-पिता से मेरे कष्टों के बारे में न बताना। तुम उन्हें धैर्य देते हुए यह कहना कि यह कहना जेल में भी पढ़ रहा है। साहित्य लिख रहा है। वह यहाँ काम करता है तथा परिवार, देश का नाम रोशन कर रहा है। उसे अनेक लोग चाहते हैं। उनसे शोक न करने की बात कहना। उन्हें यह भी बताना कि मैं यहाँ सुखी हूँ। मैं यहाँ सूत कातने में व्यस्त रहता हूँ। मेरा वजन सत्तर सेर है। मैं ढेर सारा भोजन करता हूँ, खेलता-कूदता हूँ तथा दुख को अपने नजदीक आने नहीं देता। मैं यहाँ मस्त रहता हूँ, परंतु उन्हें यह न कहना कि मैं डूबते सूर्य-सा निस्तेज हो गया हूँ।

विशेष–
1. कवि के संदेश का सुंदर वर्णन है।
2. सावन का मानवीकरण किया गया है।
3. ‘कहना’ शब्द की आवृत्ति मनमोहक बनी है।
4. ‘काम करता’, ‘कि कहना’ में अनुप्रास अलंकार है।
5. खड़ी बोली है।
6. ‘डटकर ठेलना’, ‘अस्त होना’ मुहावरे का सुंदर प्रयोग है।
7. भाषा में प्रवाह है।
8. प्रसाद गुण है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1. कवि जेल की मानसिक यातना को क्यों छिपाना चाहता है?
2. यहाँ कौन किससे क्यों कह रहा है?
3. कवि अपने पुत्र धर्म का निर्वाह कैसे कर रहा है?
4. कवि जेल में कौन-कौन-सा कार्य करता है?

उत्तर –
1. कवि जेल की मानसिक यातनाओं को अपने माता-पिता से छिपाना चाहता है, ताकि उसके वृद्ध माता-पिता अपने पाँचवें बेटे के लिए चिंतित न हों।
2. यहाँ कवि सावन को संबोधित कर रहा है ताकि वह अपने माता-पिता को उसका संदेश दे सके।
3. कवि जेल में उदास है। उसे परिवार की याद आ रही है, फिर भी वह झूठ बोल रहा है; क्योंकि वह अपने परिजनों को दुखी नहीं करना चाहता। इस प्रकार कवि अपने पुत्र धर्म का निर्वाह कर रहा है।
4. कवि जेल में लिखता है, पढ़ता है, काम करता है, सूत कातता है तथा खेलता-कूदता है। इस प्रकार से कवि दुखों का डटकर मुकाबला करता है।

8. हाय रे, ऐसा न कहना,
है कि जो वैसा न कहना,
कह न देना जागता हूँ,
आदमी से भागता हूँ
कह न देना मौन हूँ मैं,
खुद न समझू कौन हूँ मैं,

देखना कुछ बक न देना,
उन्हें कोई शक न देना,
हे सजीले हरे सावन,
हे कि मरे पुण्य पावन,
तुम बरस लो वे न बरसें,
पाँचवें को वे न तरसों।

शब्दार्थ–
मौन-चुपचाप बक देना-फिजूल की बात कहना। शक-संदेह। पावन-पवित्र।

प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘घर की याद’ से लिया गया है। इसके रचयिता भवानी प्रसाद मिश्र हैं। यह कविता जेल प्रवास के दौरान लिखी गई। एक रात लगातार बारिश हो रही थी तो कवि को घर की याद आती है। ऐसे में वह अपनी पीड़ा कविता के माध्यम से व्यक्त करता है।

व्याख्या-कवि सावन को सावधान करते हुए कहता है कि मेरे परिजनों को मेरी सच्चाई न बताना। उन्हें यह न बताना कि मैं देर रात तक जागता रहता हूँ, आम व्यक्ति से दूर भागता हूँ मैं चुपचाप रहता हूँ। यह भी न बताना कि चिंता में डूबकर मैं स्वयं को भूल जाता हूँ। तुम सावधानी से बातें कहना। उन्हें कोई शक न होने देना कि मैं दुखी हूँ। हे सावन! तुम पुण्य कार्य में लीन हो, तुम स्वयं बरसकर धरती को प्रसन्न करो, परंतु मेरे माता-पिता की आँखों में आँसू न बहने देना, उन्हें मेरी याद न आने देना।

विशेष–
1. कवि अपनी व्यथा को अपने तक सीमित रखना चाहता है।
2. ‘आदमी से भागता हूँ में कवि की पीड़ा का वर्णन है।
3. ‘पाँचवें’ शब्द से अभिव्यक्त होने वाली करुणा मर्मस्पर्शी है।
4. सावन का मानवीकरण किया है।
5. ‘सावन’ के लिए सजीले, हरे, पुण्य, पावन आदि विशेषणों का प्रयोग है।
6. ‘बक’ व ‘शक’ शब्द भाषा को प्रभावी बनाते हैं।
7. ‘पुण्य पावन’ में अनुप्रास अलंकार है।
8. खड़ी-बोली में प्रभावी अभिव्यक्ति है।
9. संवाद शैली है।
10. प्रसाद गुण है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1. कवि सावन से क्या आग्रह करता है? और क्यों?
2. कवि की वास्तविक दशा कैसी है?
3. कवि ने सावन को क्या उपमा दी है?
4. कवि सावन को क्या चेतावनी देता है?

उत्तर –
1. कवि सावन से आग्रह करता है कि वह उसके माता-पिता व परिजनों को उसकी वास्तविकता के बारे में न बताए ताकि वे अपने प्रिय पुत्र की दशा से दुखी न हों।
2. कवि निराश है। वह रातभर जागता रहता है। निराशा के कारण वह आदमी के संपर्क से दूर भागता है। वह चुप रहता है तथा स्वयं की पहचान भी भूल चुका है।
3. कवि ने सावन को ‘सजीले’, ‘हरे’, ‘पुण्य-पावन’ की उपमा दी है, क्योंकि वह सावन को संदेशवाहक बनाकर अपने माता-पिता तक संदेश भेजना चाहता है।
4. कवि सावन को चेतावनी देता है कि वह उसके परिजनों के सामने फिजूल में न बोले तथा कवि के बारे में सही तरीके से बताए ताकि उन्हें कोई शक न हो।

काव्य-सौंदर्य संबंधी प्रश्न

1. पिता जी जिनको बुढ़ापा,
एक क्षण भी नहीं व्यापा,
जो अभी भी दौड़ जाएँ
जो अभी भी खिलखिलाएँ,

मौत के आगे न हिचकें,
शर के आगे न बिचकें,
बोल में बादल गरजता,
काम में झझ लरजता,

प्रश्न
1. भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
2. शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालें।

उत्तर –
1. इस काव्यांश में कवि ने अपने पिता की विशेषताएँ बताई हैं। वे सहज स्वभाव के हैं तथा शरीर से स्वस्थ हैं। वे जिदादिल हैं। उनकी आवाज में गंभीरता है तथा काम में तीव्रता है।
2. बोल, हिचकना, बिचकना, लरजना स्थानीय शब्दों के साथ मौत, शेर आदि विदेशी शब्दों का प्रयोग किया गया है।
(i) चित्रात्मकता है।
(ii) वीर रस की अभिव्यक्ति है।
(iii) ‘अभी भी’ की आवृति में अनुप्रास है।
(iv) ‘बोल में बादल गरजता’ तथा ‘काम में झझा लरजता’ में उपमा अलंकार है।
(v) खड़ी बोली में सहज अभिव्यक्ति है।
(vi) भाषा में प्रवाह है।
(vii) प्रसाद गुण है।

Comments

  1. Sunita Chandak says:
    October 16, 2024 at 4:39 pm

    Kavi bhawani prashad jail kyu gay thay

    Reply
  2. Dhruv panwar says:
    September 29, 2024 at 10:11 am

    Ye bhut hi acha ha please app ke bare ma bhi bata do………..

    Reply

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

CBSE Delhi Question Answer of Chapters in PDF

Free Sample Papers and Previous Years' Question Papers for CBSE Exams from the Official CBSE Academic Website (CBSE.nic.in) in Delhi, Rajasthan, Uttar Pradesh and Bihar

सभी कक्षा के अध्याय के प्रश्न उत्तर in Hindi PDF Download

सभी Kaksha के Paath के Prashn Uttar, Objective Question, सैंपल पेपर, नोट्स और प्रश्न पत्र Download Free in PDF for Hindi Medium

क्लास की बुक (पुस्तक), MCQ, नोट्स, एनसीईआरटी समाधान इन हिंदी पीडीएफ – PDF FREE Download

सभी पाठ के एनसीईआरटी समाधान, सैंपल पेपर, नोट्स, प्रश्न पत्र के मुफ्त पीडीएफ डाउनलोड करे

Advertisement

Maharashtra Board Marathi & English Medium

Just Launched! Access Maharashtra Board Exam MCQs, Previous Year Papers, Textbooks, Solutions, Notes, Important Questions, and Summaries—available in both Marathi and English mediums—all in one place Maharashtra Board

Android APP

सरकारी Exam Preparation

Sarkari Exam Preparation Youtube

CBSE – दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान & हरियाणा Board हिंदी माध्यम

कक्षा 6 to 8 हिंदी माध्यम
कक्षा 9 & 10 हिंदी माध्यम
कक्षा 11 हिंदी माध्यम

State Board

यूपी बोर्ड 6,7 & 8
बिहार बोर्ड हिंदी माध्यम

CBSE Board

Mathematics Class 6
Science Class 6
Social Science Class 6
हिन्दी Class 6
सामाजिक विज्ञान कक्षा 6
विज्ञान कक्षा 6

Mathematics Class 7
Science Class 7
SST Class 7
सामाजिक विज्ञान कक्षा 7
हिन्दी Class 7

Mathematics Class 8
Science Class 8
Social Science Class 8
हिन्दी Class 8

Mathematics Class 9
Science Class 9
English Class 9

Mathematics Class 10
SST Class 10
English Class 10

Mathematics Class XI
Chemistry Class XI
Accountancy Class 11

Accountancy Class 12
Mathematics Class 12

Learn English
English Through हिन्दी
Job Interview Skills
English Grammar
हिंदी व्याकरण - Vyakaran
Microsoft Word
Microsoft PowerPoint
Adobe PhotoShop
Adobe Illustrator
Learn German
Learn French
IIT JEE

Study Abroad

Study in Australia: Australia is known for its vibrant student life and world-class education in fields like engineering, business, health sciences, and arts. Major student hubs include Sydney, Melbourne, and Brisbane. Top universities: University of Sydney, University of Melbourne, ANU, UNSW.

Study in Canada: Canada offers affordable education, a multicultural environment, and work opportunities for international students. Top universities: University of Toronto, UBC, McGill, University of Alberta.

Study in the UK: The UK boasts prestigious universities and a wide range of courses. Students benefit from rich cultural experiences and a strong alumni network. Top universities: Oxford, Cambridge, Imperial College, LSE.

Study in Germany: Germany offers high-quality education, especially in engineering and technology, with many low-cost or tuition-free programs. Top universities: LMU Munich, TUM, University of Heidelberg.

Study in the USA: The USA has a diverse educational system with many research opportunities and career advancement options. Top universities: Harvard, MIT, Stanford, UC Berkeley.

Privacy Policies, Terms and Conditions, About Us, Contact Us
Copyright © 2025 eVidyarthi and its licensors. All Rights Reserved.