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हिंदी Notes Class 11 Hindi Chapter 14 वे आँखें

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Notes For All Chapters Hindi Aroh Class 11

कविता का सारांश

यह कविता पंत जी के प्रगतिशील दौर की कविता है। इसमें विकास की विरोधाभासी अवधारणाओं पर करारा प्रहार किया गया है। युग-युग से शोषण के शिकार किसान का जीवन कवि को आहत करता है। दुखद बात यह है कि स्वाधीन भारत में भी किसानों को केंद्र में रखकर व्यवस्था ने निर्णायक हस्तक्षेप नहीं किया। यह कविता दुश्चक्र में फैसे किसानों के व्यक्तिगत एवं पारिवारिक दुखों की परतों को खोलती है और स्पष्ट रूप से विभाजित समाज की वर्गीय चेतना का खाका प्रस्तुत करती है।

कवि कहता है कि किसान की अंधकार की गुफा के समान आँखों में दुख की पीड़ा भरी हुई है। इन आँखों को देखने से डर लगता है। वह किसान पहले स्वतंत्र था। उसकी आँखों में अभिमान झलकता था। आज सारे संसार ने उसे अकेला छोड़ दिया है। उसकी आँखों में लहलहाते खेत झलकते हैं जिनसे अब उसे बेदखल कर दिया गया है। उसे अपने बेटे की याद आती है जिसे जमींदार के कारिंदों ने लाठियों से पीटकर मार डाला। कर्ज के कारण उसका घर बिक गया। महाजन ने ब्याज की कौड़ी नहीं छोड़ी तथा उसके बैलों की जोड़ी भी नीलाम कर दी। उसकी उजरी गाय भी अब उसके पास नहीं है।

किसान की पत्नी दवा के बिना मर गई और देखभाल के बिना दुधर्मुही बच्ची भी दो दिन बाद मर गई। उसके घर में बेटे की विधवा पत्नी थी, परंतु कोतवाल ने उसे बुला लिया। उसने कुएँ में कूदकर अपनी जान दे दी। किसान को पत्नी का नहीं, जवान लड़के की याद बहुत पीड़ा देती थी। जब वह पुराने सुखों को याद करता है तो आँखों में चमक आ जाती है, परंतु अगले ही क्षण सच्चाई के धरातल पर आकर पथरा जाती है।

व्याख्या एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1. अधिकार की गुहा सरीखी
उन अखिों से डरता है मन,
भरा दूर तक उनमें दारुण
दैन्य दुख का नीरव रांदन!

वह स्वाधीन किसान रहा,
अभिमान भरा अखिों में इसका,
छोड़ उसे मंझधार आज
संसार कगार सदृश बह खिसका।

शब्दार्थ

गुहा-गुफा। सरीखी-समान। दारुण-निर्दय, कठोर। दैन्य-दीनता। नीरव-शब्द रहित। रोदन-रोना। स्वाधीन-स्वतंत्र। अभिमान-गर्व। मैंझधार-समस्याओं के बीच। कगार-किनारा। सदृश-समान।

प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘वे आँखें’ से लिया गया है। इसके रचयिता सुमित्रानंदन पंत हैं। इस कविता में, कवि ने भारतीय किसान के भयंकर शोषण व दयनीय दशा का वर्णन किया है।

व्याख्या-कवि कहता है कि शोषित किसान की गड्ढों में धैसी हुई आँखें अँधेरी गुफा के समान दिखती हैं जिनसे मन में अज्ञात भय उत्पन्न होता है। ऐसा लगता है कि उनमें बहुत दूर तक कोई कष्टप्रद दयनीयता व दुख का मौन रुदन भरा हुआ है। उसकी आँखों में भयानक गरीबी का दुख व्याप्त है। किसान का अतीत अच्छा था। वह सदैव स्वाधीन था। उसके पास अपने खेत थे। उसकी आँखों में स्वाभिमान झलकता था, परंतु आज वह अकेला पड़ गया है। संसार ने उसे समस्याओं के बीच में छोड़कर किनारे की तरह बहकर उससे दूर चला गया है।

विशेष-
1. किसान की उपेक्षा का मार्मिक चित्रण है।
2. ‘अंधकार की गुह गुहा सरीखी’ में उपमा अलंकर है।
3. ‘दारुण दैन्य दुख’ में अनुप्रास अलंकार है।
4. ‘ कगार सदृश ‘ में उपमा अलंकार।
5. भाषा में लाक्षणिकता है।
6. संस्कृतनिष्ठ खड़ी बोली है।
7. भाषा में प्रवाह है।

● अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1. कवि किसके बारे में बात कर रहा है?
2. कवि को किससे डर लगता है तथा क्यों?
3. पहले किसान की दशा कैसी थी? अब उसमें क्या परिवर्तन आ गया है?
4. किसान की आँखों के विषय में कवि क्या कहता है?

उत्तर-

1. कवि उस शोषित किसान के बारे में बात कर रहा है जिसकी आँखें गड्ढों में धंस चुकी हैं और वे अँधेरी गुफा के समान डरावनी प्रतीत हो रही हैं।
2. कवि को किसान की आँखों से डर लगता है, क्योंकि उनमें गहरी निराशा, हताशा व उदासीनता भरी है।
3. पहले किसान की दशा अच्छी थी। वह अपनी खेती का मालिक था। उसमें आत्मगर्व भरा था। आज उसकी हालत खराब है। उसकी दीन दशा के कारण समाज ने उससे मुँह मोड़ लिया है। उसका साथ देने वाला कोई नहीं है।
4. कवि कहता है कि किसान की आँखें अँधेरी गुफा के समान दिखती हैं। इनको देखने से मन में अज्ञात भय उत्पन्न होता है। ऐसा लगता है जैसे उनमें बहुत दूर तक कष्टप्रद दयनीयता का भाव व दुख का रुदन भरा पड़ा है। कुल मिलाकर कवि का मानना है कि किसान की आँखों में भयानक गरीबी का दुख व्याप्त है।

2. लहराते वे खेत द्वगों में
हुआ बेदखल वह अब जिनसे,
हसती थी उसके जीवन की
हरियाली जिनके तृन-तृन से !

आँखों ही में घूमा करता
वह उसकी अखिों का तारा,
कारकुनों की लाठी से जो
गया जवानी ही में मारा।

शब्दार्थ

लहराते-लहलहाते, झूमते। दृग-ऑख। बेदखल-अधिकार से वचित। तृन-तिनका। आँखों का तारा-बहुत प्यारा। कारकुन-जमींदार के कारिंदे।

प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘वे आँखें’ से लिया गया है इसके रचयिता सुमित्रानंदन पंत हैं। इस कविता में, कवि ने भारतीय किसान के भयंकर शोषण व दयनीय दशा का वर्णन किया है।

व्याख्या-किसान अपने अतीत की याद करता है। उसकी आँखों के समक्ष खेत लहलहाते नजर आते हैं जबकि अब उन खेतों से उसे बेदखल कर दिया गया है अर्थात् जमींदारों ने उसकी जमीन हड़प ली है। कभी इन खेतों के तिनके-तिनके में कभी हरियाली लहराती थी तथा उसके जीवन को सुखमय बनाती थी। आज वह सब कुछ खत्म हो गया है।

किसान की आँखों में उसके प्यारे पुत्र का चित्र घूमता रहता है। उसे वह दृश्य याद आता है। जब उसके जवान बेटे को जमींदार के कारिंदों ने लाठियों से पीट-पीटकर मार डाला था। यह बड़े दुख की बात थी।

विशेष-
1. इन पंक्तियों में जमींदार के अत्याचारों का वर्णन है।
2. ‘लहराते खेत’ तथा जमींदारों की लाठी से पिटकर मरे पुत्र में दृश्य बिंब साकार हो उठता है।
3. ‘तृन-तृन’ में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार है।
4. ‘जीवन की हरियाली’ में रूपक अलंकार है।
5. ‘आँखों में घूमना’, ‘आँखों का तारा’ मुहावरे का सार्थक प्रयोग है।
6. भाषा में लाक्षणिकता है।
7. संस्कृतनिष्ठ खड़ी बोली है।

● अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1. ‘वह’ कौन है? उसके साथ क्या हुआ था?
2. खेती के कारण किसान का जीवन कैसा था?
3. ‘अखों का तारा’ कौन था? वह किसान की आँखों के सामने क्यों घूमता है?
4. कारकुनों ने क्या किया था?

उत्तर-
1. ‘वह’ भारतीय किसान है। उसकी जमीन को जमींदारों ने कानून का सहारा लेकर हड़प लिया था।
2. खेती के कारण किसान का जीवन खुशहाल था। खेतों में हरियाली लहराती थी। किसान की जरूरतें पूरी हो जाती थीं।
3. ‘आँखों का तारा’ किसान का जवान बेटा था। उसकी हत्या जमींदार के कारिंदों ने पीट-पीटकर कर दी थी। किसान की आँखों में वह दृश्य घूमता रहता है।
4. कारकुन जमींदार के कारिंदे होते थे। वे जमीन पर कब्जा करने का काम करते थे। उन्होंने किसान के जवान बेटे की लाठियों से पीट-पीटकर हत्या की थी।

3. बिका दिया घर द्वार,
महाजन ने न ब्याज की कड़ी छोड़ी,
रह-रह आँखों में चुभती वह
कुक हुई बरधों की जोड़ी !

उजरी उसके सिवा किसे कब
पास दुहाने आने देती?
अह, आँखों में नाचा करती
उजड़ गई जो सुख की खेती !

शब्दार्थ

महाजन-साहूकार, ऋणदाता। कौड़ी-एक पैसा। कुर्क-नीलाम। बरधों की जोड़ी-बैलों की जोड़ी। उजरी-उजली। सिवा-बिना। दुहाने-दूध दुहने के लिए। अह-आह। आँखों में नाचना-बार-बार सामने आना।

प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘वे ऑखें’ से लिया गया है। इसके रचयिता सुमित्रानंदन पंत हैं। इस कविता में, कवि ने भारतीय किसान के भयंकर शोषण व दयनीय दशा का वर्णन किया है।

व्याख्या-कवि किसान की दयनीय दशा का वर्णन करता है। किसान कर्ज में डूब गया। महाजन ने धन व ब्याज की वसूली के लिए किसान की स्थायी संपत्ति को नीलाम कर दिया। उसे घर से बेघर कर दिया, परंतु अपने ऋण के ब्याज की पाई-पाई चुका ली। किसान को सर्वाधिक पीड़ा तब हुई जब बैलों की जोड़ी को भी नीलाम कर दिया गया। यह बात उसकी आँखों में आज भी चुभती है। उसके रोजगार का साधन छीन लिया गया।

किसान के पास दुधारू गाय उजली (जिसे वह प्यार से उजरी कहता था) थी वह उसके सिवाय किसी और को अपने पास दूध दुहने नहीं आने देती थी। मजबूरी के कारण किसान को उसे बेचना पड़ा। इन सब बातों को याद करके किसान बहुत व्यथित होता है। ये सारे दृश्य उसकी आँखों के सामने नाचते हैं। उसकी सुखभरी खेती उजड़ चुकी है, अत: वह निराश व हताश है।

विशेष-
1. किसान पर महाजनों के अत्याचारों का सजीव वर्णन है।
2. कुकीं व गरीबी के कारण बैल व गाय बेचने का दृश्य कारुणिक है।
3. ‘घर-द्वार’, ‘की कौड़ी’, ‘ने न’, ‘किसे कब’ में अनुप्रास अलंकार है।
4. ‘रह-रह’ में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार है।
5. ‘आँखों में चुभना’, ‘आँखों में नाचना’ आदि मुहावरों का सार्थक प्रयोग है।
6. देशज शब्द ‘बरधों’ का सटीक प्रयोग है।
7. ग्रामीण परिवेश साकार हो उठा है।

● अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1. महाजन ने किसान पर क्या-क्या अत्याचार किए?
2. महाजन ने बैलों की जोड़ी का क्या किया?
3. उजरी कौन थी? किसान उसे इतना याद क्यों करता है?
4. किसान की सुख की खेती क्यों उजड़ गई?

उत्तर-
1. महाजन ने किसान से अपने ऋण की वसूली के लिए उसके खेत, घर तक नीलाम कर दिए। ब्याज की वसूली के लिए उसने किसान को बेघर कर दिया तथा कौड़ी-कौड़ी वसूल ली।
2. महाजन ने कर्ज न चुका पाने की दशा में मजबूर किसान के बैलों की जोड़ी को नीलाम करवा दिया। यह बात किसान के दिल को कचोटती है।
3. उजरी किसान की प्रिय दुधारू गाय थी। वह किसान के अतिरिक्त किसी दूसरे व्यक्ति को अपने पास दूध दुहने के लिए आने नहीं देती थी। इस कारण किसान को उसकी याद बहुत आती है।
4. किसान ने लगान चुकाने के लिए महाजन से कर्ज लिया। इसके बाद वह अपना कर्ज चुका नहीं पाया। उसका सब कुछ नीलाम कर दिया गया, इसलिए उसके सुख की खेती उजड़ गई।

4. बिना दवा-दपन के घरनी
स्वरगा चली,-अखं आती भर,
देख-रेख के बिना दुधमुही
बिटिया दो दिन बाद गई मर!

घर में विधवा रही पताहू,
लछमी थी, यद्यपि पति घातिन,
पकडु मॅाया, कोतवाल ने,
डूब कुएँ में मरी एक दिन।

शब्दार्थ

दवा-दर्पन-दवा आदि। घरनी-पत्नी। स्वरग-स्वर्ग। दुधमुँही-नन्हीं। पतोहू-पुत्रवधू। लछमी-लक्ष्मी। घातिन-मारने वाली।

प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘वे आँखें’ से लिया गया है इसके रचयिता सुमित्रानंदन पंत हैं। इस कविता में, कवि ने भारतीय किसान के भयंकर शोषण व दयनीय दशा का वर्णन किया है।

व्याख्या-किसान की पारिवारिक स्थिति का वर्णन करते हुए कवि बताता है कि उसकी पत्नी दवा-दारू के अभाव में मर गई। उसके पास संसाधनों की इतनी कमी थी कि वह उसका इलाज भी नहीं करा सका। यह सोचकर उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं। पत्नी की मृत्यु के बाद उस पर आश्रित किसान की नन्हीं बच्ची भी दो दिन बाद मर गई।

किसान के घर में उसकी विधवा पुत्रवधू बची हुई थी। उसका नाम लक्ष्मी था, परंतु उसे पति को मारने वाला समझा जाता था। समाज में पति की मृत्यु होने पर उसकी पत्नी को हत्या का जिम्मेदार मान लिया जाता है। एक दिन कोतवाल ने उसे बुलवाकर उसकी इज्जत लूटी। लाज के कारण उसने कुएँ में कूदकर आत्महत्या कर ली। इस प्रकार से किसान का पूरा परिवार ही बिखर गया था।

विशेष-
1. किसान की गरीबी, शोषण व लाचारी का सजीव वर्णन है।
2. ‘आँखें भर आना’ मुहावरे का सार्थक प्रयोग है।
3. घरनी, स्वरग, लछमी आदि तद्भव शब्दों का प्रयोग भाषा को सहजता प्रदान करता है।
4. अनुप्रास अलंकार है-दवा-दर्पन, दो दिन।
5. पति की हत्या के बाद नारी के प्रति समाज के कटु दृष्टिकोण का पता चलता है।
6. खड़ी बोली है।
7. पुलिस के अत्याचार का वर्णन है।

● अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1. किसान की पत्नी व बच्ची की मृत्यु का वक्या कारण था?
2. किसान की आँखें भर आने का क्या कारण था?
3. किसान की पतोहू को क्या कहा जाता था? क्यों?
4. किसान की पतोहू ने आत्महत्या क्यों की?

उत्तर-
1. किसान की आर्थिक हालत दयनीय थी। उसकी पत्नी बीमार थी। वह उसका इलाज नहीं करवा पाया। इस कारण उसकी मृत्यु हो गई। उसकी बेटी नवजात थी जो माँ के दूध पर आश्रित थी। माँ के मरने के बाद वह भी दो दिन बाद मर गई।
2. आर्थिक अभावों की वजह से किसान अपनी पत्नी की बीमारी का इलाज नहीं कर पाया, जिसकी वजह से वह मर गई। अपनी इस विवशता को सोचकर उसकी आँखें भर आती हैं।
3. किसान की पतोहू को ‘पति घातिन’ कहा जाता था, क्योंकि उसके पति की हत्या कारकूनों ने कर दी थी। समाज इस हत्या के लिए पतोहू को दोषी मानता है।
4. किसान की पुत्रवधू पर कोतवाल की बुरी नीयत थी। उसने उसे थाने में बुलवाया तथा उसका शारीरिक शोषण किया। इस कलंक व विवशता के कारण उसने कुएँ में कूदकर आत्महत्या कर ली।

5. खेर, पैर की जूती, जोरू
न सही एक, दूसरी आती,
पर जवान लड़के की सुध कर
साँप लौटते, फटती छाती।

पिछले सुख की स्मृति आँखों में
क्षण भर एक चमक हैं लाती,
तुरत शून्य में गड़ वह चितवन
तीखी नोंक सदृश बन जाती।

शब्दार्थ

पैर की जूती-उपेक्षित। जोरू-पत्नी। सुधकर-याद करना। साँप लोटते-अत्यधिक व्याकुल होना। फटती छाती-बहुत दुख होना। स्मृति-याद। चमक लाना-खुशी लाना। चितवन-दृष्टि। शून्य-आकाश। सदृश-समान।

प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘वे ऑखें’ से लिया गया है इसके रचयिता सुमित्रानंदन पंत हैं। इस कविता में कवि ने भारतीय किसान के भयंकर शोषण व दयनीय दशा का वर्णन किया है।

व्याख्या-किसान को अपनी पत्नी की मृत्यु पर विशेष शोक नहीं है। वह उसे पैर की जूती के समान समझता है। यदि एक नहीं रहती तो दूसरी से विवाह करके लाया जा सकता है, परंतु उसे अपने जवान बेटे की याद आने पर बहुत कष्ट होता है। उसकी छाती पर साँप लौट जाते हैं तथा छाती फटने लगती है। उसे बेटे की मृत्यु का असहनीय कष्ट है।
किसान जब पिछले खुशहाल जीवन को याद करता है तो उसकी आँखों में एक क्षण के लिए प्रसन्नता की चमक आती है, परंतु अगले ही क्षण जब वह सच्चाई के धरातल पर सोचता है, वर्तमान में झाँकता है तो उसकी नजर शून्य में अटककर गड़ जाती है, वह विचार शून्य होकर टकटकी लगाकर देखता है और उसकी नजर तीखी नोक के समान चुभने वाली हो जाती है।

विशेष-
1. पत्नी के प्रति किसान की मानसिकता घटिया है। वह पुत्र को अधिक महत्त्व देता है।
2. साँप लोटना, छाती फटना, पैर की जूती आदि मुहावरों का सजीव प्रयोग है।
3. ‘तीखी नोक सदृश’ में उपमा अलंकार है।
4. खड़ी बोली है।
5. ग्रामीण परिवेश का चित्रण है।

● अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1. पैर की जूती किसे कहा गया है? इससे क्या सिदध होता है?
2. किसान के मन में सर्वाधिक दुख किसका है?
3. किसान की आँखों में चमक आने का कारण बताइए।
4. वास्तविकता का आभास होने पर किसान को कैसा अनुभव होता है?

उत्तर-
1. प्रस्तुत काव्यांश में पत्नी को ‘पैर की जूती’ कहा गया है। इससे यह सिद्ध होता है कि तत्कालीन समाज में स्त्रियों की दश्ग बहुत दयनीय थी।
2. किसान के मन में सर्वाधिक दुख अपने जवान बेटे की मृत्यु का है। उसकी याद आते ही उसकी छाती पर साँप लोटने लगते हैं। वह ही खेती में उसका एकमात्र सहारा था तथा आँखों का तारा था।
3. जब किसान अपने पुराने दिनों की याद करता है तो उसकी आँखों में चमक आ जाती है। लहलहाते खेत, घर-द्वार, बैल, गाय, जवान बेटा आदि सभी सुखदायी थे।
4. वास्तविकता का आभास होने पर किसान को सुखद यादें तीखी नोक के समान उसके दिल में चुभने लगती हैं। उसके मन में आक्रोश उमड़ आता है।

● काव्य-सौंदर्य संबंधी प्रश्न

अंधकार की गुहा सरीखी
उन आँखों से डरता है मन,
भरा दूर तक उनमें दारुण
दैन्य दुख की नीरव रोदन।

वह स्वाधीन किसान रहा,
अभिमान भरा आँखों में इसका,
छोड़ उसे माँझधार आज
संसार कगार सदृश बह खिसका।

प्रश्न
1. भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
2. शिल्प-सौदर्य पर प्रकाश डालिए।

उत्तर-
1. इस अंश में कवि ने किसान की दयनीय दशा का वर्णन किया है। वह हताश व उदासीन है। समाज द्वारा उसकी उपेक्षा करना सर्वथा अनुचित है।
2. ● ‘अंधकार की गुहा सरीखी’ में उपमा
● ‘दारुण दैन्य दुख’ में अनुप्रास अलंकार है। अलंकार है।
● ‘संसार कगार सदृश’ में उपमा अलंकार है।
● संस्कृतनिष्ठ खड़ी बोली का प्रयोग है।
● करुण रस है।
● भाषा में लाक्षणिकता है।
● ‘संसार’ में विशेषण विपर्यय अलंकार है।

2. लहराते वे खेत द्वगों में
हुआ बदलखल वह अब जिनसे,
हँसती थी उसके जीवन की
गया जवानी ही में मारा।

आँखों ही में घूमा करता
वह उसकी अखिों का तारा,
कारकुनों की लाठी से जो
हरियाली जिनके तृन-तृन से।

प्रश्न
1. भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
2. शिल्प–सौदर्य पर प्रकाश डालिए।

उत्तर-
1. इन पंक्तियों में जमींदारों के अत्याचारों का सजीव वर्णन है। जमींदार किसानों की जमीन पर कब्जा करते हैं तथा विरोध करने पर युवाओं की हत्या तक कर दी जाती है।
2. ● ‘तृन-तृन’ में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार है।
● ‘जीवन की हरियाली’ में रूपक अलंकार है।
● ‘हँसना’ प्रसन्नता का परिचायक है।
● भाषा में लाक्षणिकता है।
● ‘आँखों का तारा’ व ‘आँखों में घूमना’ मुहावरे
● कारकूनों द्वारा लाठी से मारे जाने से दृश्य बिंब का सशक्त प्रयोग है। साकार हुआ है।

3.बिका दिया घर द्वार,
महाजन ने न ब्याज की कड़ी छोड़ी,
रह-रह आँखों में चुभती वह अह,
कुर्क हुई बरधों की जोड़ी।

उजरी उसके सिवा किसे कब
पास दुहाने आने देती?
अखिों में नाचा करती
उजड़ गई जो सुख की खेती।

प्रश्न
1. भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
2. शिल्प–सौदर्य पर प्रकाश डालिए।

उत्तर-
1. इस काव्यांश में महाजनी शोषण का मर्मस्पर्शी चित्र है। किसान से कर्ज वसूली के लिए उसके खेत, घर, आदि बिकवा दिया जाता है। ब्याज की वसूली के लिए बैल तक नीलाम करवाए जाते हैं।
2. ● बैलों की कुकी जैसे दृश्य कारुणिक हैं।
● ‘किसे कब’ में अनुप्रास अलंकार है।
● ‘रह-रह’ में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार हैं।
● ‘बरधों’ शब्द से ग्रामीण परिवेश प्रस्तुत हो जाता है।
● खड़ी बोली में प्रभावी अभिव्यक्ति है।
● मिश्रित शब्दावली है।
● ‘उजरी ….. देती?’ में प्रश्न अलंकार है।
● ‘आँखों में चुभना’ व ‘आँखों में नाचना’ मुहावरे का सटीक प्रयोग है।

4. बिना दवा-दपन के घरनी
स्वरग चली, अखें आती भर,
देख-रेख के बिना दुधर्मुही
बिटिया दो दिन बाद गई मर।

घर में विधवा रही पतोहू,
लछमी थी, यद्यपि पति घातिन,
पकड़ माया, कोतवाल ने,
डूब कुएँ में मरी एक दिन।

प्रश्न
भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
शिल्प–सौदर्य पर प्रकाश डालिए।

उत्तर-
1. इस काव्यांश में किसान की फटेहाली, विवशता व शोषण का सजीव चित्रण है। अभाव के कारण पत्नी व बच्ची की मृत्यु, पुलिस द्वारा पुत्रवधू का शोषण होना, फिर उसका आत्महत्या करना आदि परिस्थितियाँ किसान की लाचारी को व्यक्त करती हैं। पति की मृत्यु के लिए पत्नी को दोषी मानना भी समाज की रुग्ण मानसिकता का परिचायक है।
2. ● करुण रस की अभिव्यक्ति हुई है।
● ‘आँखें भर आना’ मुहावरे का सार्थक प्रयोग है।
● खड़ी बोली है।
● अनुप्रास अलंकार है-दवा-दर्पन, दो दिन, में मरी। भाषा प्रवाहमयी है।
● घरनी, स्वरग, लछमी, कोतवाल, पतोहू आदि शब्द ग्रामीण परिवेश को व्यक्त करते हैं।

Comments

  1. Roshni Dekate says:
    September 11, 2024 at 2:25 pm

    Very nice and easy note

    Reply

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Study in Australia: Australia is known for its vibrant student life and world-class education in fields like engineering, business, health sciences, and arts. Major student hubs include Sydney, Melbourne, and Brisbane. Top universities: University of Sydney, University of Melbourne, ANU, UNSW.

Study in Canada: Canada offers affordable education, a multicultural environment, and work opportunities for international students. Top universities: University of Toronto, UBC, McGill, University of Alberta.

Study in the UK: The UK boasts prestigious universities and a wide range of courses. Students benefit from rich cultural experiences and a strong alumni network. Top universities: Oxford, Cambridge, Imperial College, LSE.

Study in Germany: Germany offers high-quality education, especially in engineering and technology, with many low-cost or tuition-free programs. Top universities: LMU Munich, TUM, University of Heidelberg.

Study in the USA: The USA has a diverse educational system with many research opportunities and career advancement options. Top universities: Harvard, MIT, Stanford, UC Berkeley.

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