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समाजशास्त्र Class 11 || Menu
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समाजशास्त्र Important Questions Chapter 5 Samajshastra Class 11 Sociology Hindi Medium

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भारतीय समाजशास्त्री


Short Questions with Answers


1. समाजशास्त्र विषय की शुरुआत यूरोप में कब हुई?

उत्तर : यूरोप में समाजशास्त्र की शुरुआत लगभग 100 साल पहले हुई।

2. भारत में समाजशास्त्र की औपचारिक शिक्षा कब शुरू हुई?

उत्तर : भारत में यह 1919 में बंबई विश्वविद्यालय में शुरू हुई।

3. डी.पी. मुकर्जी का मुख्य योगदान क्या था?

उत्तर : उन्होंने भारतीय समाज और परंपरा के अध्ययन को आधुनिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया।

4. शरतचंद्र रॉय किस जनजातीय क्षेत्र में विशेषज्ञ थे?

उत्तर : वे छोटानागपुर क्षेत्र की जनजातियों के विशेषज्ञ थे।

5. अनन्तकृष्ण अय्यर का पहला कार्य कौन सा था?

उत्तर : उन्होंने कोचीन रजवाड़े के नृजातीय सर्वेक्षण में योगदान दिया।

6. घूर्ये ने भारतीय समाजशास्त्र में किसका अध्ययन किया?

उत्तर : उन्होंने जाति, जनजाति और प्रजाति का गहन अध्ययन किया।

7. घूर्ये का सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ कौन सा है?

उत्तर : उनका ग्रंथ “कास्ट एंड रेस इन इंडिया” प्रसिद्ध है।

8. भारत में पहला मानवविज्ञान विभाग किस विश्वविद्यालय में स्थापित हुआ?

उत्तर : यह कलकत्ता विश्वविद्यालय में स्थापित हुआ।

9. मैन इन इंडिया जर्नल की स्थापना किसने की?

उत्तर : इसकी स्थापना शरतचंद्र रॉय ने की।

10. डी.पी. मुकर्जी ने परंपरा के किस तत्व को क्रांतिकारी बताया?

उत्तर : उन्होंने अनुभव (अनुभवजन्य सिद्धांत) को परंपरा का क्रांतिकारी तत्व बताया।

11. घूर्ये ने भारतीय जनजातियों को किस रूप में देखा?

उत्तर : उन्होंने उन्हें ‘पिछड़े हुए हिंदू’ के रूप में पहचाना।

12. ए.आर. देसाई ने भारतीय राष्ट्रवाद का अध्ययन किस दृष्टिकोण से किया?

उत्तर : उन्होंने इसे मार्क्सवादी दृष्टिकोण से देखा।

13. एम.एन. श्रीनिवास का डॉक्टरेट शोध किस पर आधारित था?

उत्तर : यह “कूर्ग समाज में धर्म और समाज” पर आधारित था।

14. श्रीनिवास ने किस विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग की स्थापना की?

उत्तर : उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में समाजशास्त्र विभाग की स्थापना की।

15. डी.पी. मुकर्जी ने समाजशास्त्र को किससे जोड़ा?

उत्तर : उन्होंने इसे परंपरा और आधुनिकता के सह-अस्तित्व से जोड़ा।

16. ए.आर. देसाई ने किस राज्य के प्रशासनिक अधिकारी के बेटे थे?

उत्तर : वे बड़ौदा राज्य के एक प्रशासनिक अधिकारी के बेटे थे।

17. भारतीय समाजशास्त्र में ग्रामीण अध्ययन को किसने बढ़ावा दिया?

उत्तर : इसे एम.एन. श्रीनिवास ने बढ़ावा दिया।

18. “सोशियोलॉजिकल बुलेटिन” जर्नल की शुरुआत किसने की?

उत्तर : यह घूर्ये ने शुरू किया।

19. घूर्ये ने जाति व्यवस्था में कौन-कौन से छह तत्व बताए?

उत्तर : खंडीय विभाजन, सोपानिक संरचना, सामाजिक प्रतिबंध, अधिकार-कर्तव्य, व्यवसाय सीमितता और अंतर्विवाह।

20. डी.पी. मुकर्जी किस दर्शन से अत्यधिक प्रभावित थे?

उत्तर : वे मार्क्सवादी दर्शन से प्रभावित थे।


Medium Questions with Answers


1. अनन्तकृष्ण अय्यर का भारतीय समाजशास्त्र में क्या योगदान है?

उत्तर : अनन्तकृष्ण अय्यर ने भारतीय समाजशास्त्र को नृजातीय सर्वेक्षण के माध्यम से महत्वपूर्ण रूप दिया। उन्होंने कोचीन और मैसूर के जनजातीय सर्वेक्षण में अपनी सेवाएँ दीं। उनके कार्यों को ब्रिटिश मानवविज्ञानी और प्रशासकों ने सराहा। उनके प्रयासों से मानवविज्ञान को भारत में औपचारिक मान्यता मिली।

2. शरतचंद्र रॉय ने किस प्रकार जनजातीय समाज का अध्ययन किया?

उत्तर : रॉय ने जनजातीय क्षेत्रों का भ्रमण कर उनके बीच रहकर गहन अध्ययन किया। उन्होंने आदिवासी समाजों की परंपराओं और कानूनों का दस्तावेजीकरण किया। उन्होंने “मंडा” और “ओरांव” जनजातियों पर विशेष लेखन कार्य किया। उनका योगदान जनजातीय समाज को समझने में आज भी प्रासंगिक है।

3. डी.पी. मुकर्जी ने परंपरा को कैसे परिभाषित किया?

उत्तर : डी.पी. मुकर्जी ने परंपरा को भूतकाल और वर्तमान के बीच सेतु बताया। उन्होंने कहा कि परंपरा केवल भूतकाल से जुड़े रहने का नाम नहीं है। यह नए तत्वों को ग्रहण करके वर्तमान में प्रासंगिक बनती है। उनके अनुसार, भारतीय परंपरा अनुभव और प्रेम पर आधारित है।

4. एम.एन. श्रीनिवास ने भारतीय गाँवों पर किस प्रकार का कार्य किया?

उत्तर : श्रीनिवास ने मैसूर के गाँवों में रहकर उनके सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का अध्ययन किया। उन्होंने जाति और ग्रामीण समाज के संबंधों पर गहन शोध किया। उनकी पुस्तक “रिलीजन एंड सोसायटी एमंग द कुर्गस” प्रसिद्ध है। उन्होंने ग्रामीण अध्ययन को समाजशास्त्र के मुख्य धारा में लाने में मदद की।

5. घूर्ये ने भारतीय समाजशास्त्र को कैसे विकसित किया?

उत्तर : घूर्ये ने जाति और प्रजाति पर व्यापक शोध किया और भारतीय समाज की संरचना को परिभाषित किया। उन्होंने जातिगत समाज के छह तत्वों की पहचान की। उन्होंने भारतीय समाज को मुख्यधारा की हिंदू संस्कृति के संदर्भ में देखा। उनके कार्यों ने भारतीय समाजशास्त्र को एक संस्थागत रूप दिया।

6. ए.आर. देसाई ने कल्याणकारी राज्य की क्या आलोचना की?

उत्तर : देसाई ने कल्याणकारी राज्य को एक “मिथक” बताया। उन्होंने कहा कि पूंजीवादी राज्य समाज की बेहतरी के बजाय पूंजीवाद को बढ़ावा देता है। उनका मानना था कि यह गरीबों के लिए पर्याप्त सुरक्षा प्रदान नहीं कर पाता। देसाई ने राज्य के मार्क्सवादी दृष्टिकोण को भी स्पष्ट किया।

7. घूर्ये और वेरियर एल्विन के बीच जनजातीय समाज पर क्या विवाद था?

उत्तर : घूर्ये ने जनजातियों को मुख्यधारा की हिंदू संस्कृति से जोड़ने पर जोर दिया, जबकि एल्विन ने उन्हें विशिष्ट सांस्कृतिक इकाई के रूप में संरक्षित करने की वकालत की। घूर्ये ने जनजातीय संस्कृति को हिंदू समाज का हिस्सा माना। वहीं एल्विन का मानना था कि जनजातियों को बाहरी प्रभावों से बचाकर उनकी अलग पहचान बनाए रखनी चाहिए।

8. ए.आर. देसाई ने भारतीय समाज में वर्ग संघर्ष को कैसे परिभाषित किया?

उत्तर : देसाई ने कहा कि भारतीय समाज में वर्ग संघर्ष जातीय परंपराओं और सामूहिक अनुभवों से प्रभावित होता है। उन्होंने बताया कि भारत में वर्ग संघर्ष पश्चिमी देशों जैसा स्पष्ट नहीं है। भारतीय समाज में वर्गों के निर्माण और उनके संघर्ष को जातीय व सांस्कृतिक परंपराएं प्रभावित करती हैं। उनके अनुसार, यह संघर्ष धीरे-धीरे उभर रहा है।

9. डी.पी. मुकर्जी ने भारतीय समाजशास्त्र के लिए भाषा के ज्ञान को क्यों आवश्यक बताया?

उत्तर : मुकर्जी ने कहा कि भारतीय समाजशास्त्री को न केवल संस्कृत, अरबी, और फारसी का ज्ञान होना चाहिए बल्कि क्षेत्रीय भाषाओं और बोलियों की समझ भी जरूरी है। भाषा समाज की परंपराओं, रीति-रिवाजों और संस्कृति को समझने में मदद करती है। यह भारतीय समाजशास्त्र को एक स्थानीय और सांस्कृतिक दृष्टिकोण देती है।

10. शरतचंद्र रॉय ने “मैन इन इंडिया” जर्नल क्यों शुरू किया?

उत्तर : रॉय ने जनजातीय समाज और उनके सामाजिक मुद्दों पर अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए “मैन इन इंडिया” जर्नल शुरू किया। यह जर्नल भारत में जनजातीय अध्ययन को प्रोत्साहन देने वाला पहला प्रयास था। इससे जनजातीय समाज से संबंधित लेखों और शोधों को एक मंच मिला।


Long Questions with Answers


1. घूर्ये ने जनजातियों को “पिछड़े हिंदू” क्यों कहा?

उत्तर : घूर्ये ने जनजातियों को “पिछड़े हिंदू” इसलिए कहा क्योंकि उनका मानना था कि जनजातियां भारतीय समाज की मुख्यधारा से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने जनजातीय समाज को अलग-थलग और आदिम मानने की विचारधारा का विरोध किया। उनके अनुसार, जनजातियाँ हिंदू समाज से लंबे समय से प्रभावित थीं। घूर्ये ने कहा कि जनजातियाँ सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से हिंदू समाज का ही हिस्सा हैं।

2. डी.पी. मुकर्जी का “जीवंत परंपरा” का दृष्टिकोण क्या है?

उत्तर : डी.पी. मुकर्जी ने कहा कि “जीवंत परंपरा” वह होती है जो पुराने तत्वों को अपनाते हुए नए परिवर्तनों को स्वीकार करती है। यह परंपरा न केवल भूतकाल से जुड़ी रहती है बल्कि वर्तमान के अनुरूप ढलती रहती है। उनके अनुसार, अनुभव और सामूहिकता इस परंपरा को संजीवनी प्रदान करते हैं। भारतीय संस्कृति का विकास इसी प्रक्रिया के तहत हुआ है।

3. एम.एन. श्रीनिवास के गाँव संबंधी विचारों का महत्व क्या है?

उत्तर : श्रीनिवास ने गाँव को सामाजिक अध्ययन की एक इकाई के रूप में महत्त्वपूर्ण माना। उन्होंने कहा कि गाँव स्थिर नहीं बल्कि परिवर्तनीय संरचना हैं। उन्होंने दिखाया कि गाँव बाहरी राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक कारकों से प्रभावित होते हैं। उनके अध्ययन ने ग्रामीण भारत के वास्तविक स्वरूप को समझने में मदद की।

4. ए.आर. देसाई ने “कल्याणकारी राज्य” को क्यों एक मिथक कहा?

उत्तर : ए.आर. देसाई ने कहा कि पूंजीवादी राज्य का उद्देश्य समाज की बेहतरी से अधिक पूंजीवाद को बढ़ावा देना है। उन्होंने कल्याणकारी राज्य की परिभाषा में गरीबी उन्मूलन, समानता और रोजगार की गारंटी की कमी बताई। उनके अनुसार, यह राज्य अमीर और गरीब के बीच असमानताओं को कम करने में विफल रहता है। यह सामाजिक और आर्थिक विकास के दावों को पूरा नहीं कर पाता। उन्होंने इस सोच को एक भ्रम बताया और इसे पूंजीवाद का मुखौटा कहा।

5. एम.एन. श्रीनिवास ने भारतीय जाति व्यवस्था में “संसक्तिकरण” को कैसे परिभाषित किया?

उत्तर : श्रीनिवास ने “संसक्तिकरण” (Sanskritization) को जाति व्यवस्था में एक प्रक्रिया के रूप में देखा। इसमें निचली जातियाँ ऊँची जातियों के रीति-रिवाज, धर्म और जीवनशैली अपनाकर सामाजिक उन्नति की कोशिश करती हैं। यह प्रक्रिया सामाजिक गतिशीलता का प्रतीक है। उनके अनुसार, संसक्तिकरण के माध्यम से निचली जातियाँ सामाजिक और सांस्कृतिक तौर पर उन्नति कर सकती हैं।

6. घूर्ये ने भारतीय समाजशास्त्र में जातिगत संरचना को कैसे समझाया?

उत्तर : घूर्ये ने जाति को एक खंडीय और सोपानिक व्यवस्था के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने बताया कि जाति व्यवस्था में हर जाति का एक निश्चित स्थान होता है, जो ऊँच-नीच पर आधारित है। उन्होंने जाति में अंतर्विवाह, व्यवसायिक प्रतिबंध, और सामाजिक अंतःक्रिया पर कड़े नियमों की पहचान की। घूर्ये ने जाति को भारतीय समाज की एक महत्वपूर्ण लेकिन चुनौतीपूर्ण संरचना के रूप में देखा।

7. डी.पी. मुकर्जी ने परंपरा और आधुनिकता के सह-अस्तित्व को कैसे समझाया?

उत्तर : मुकर्जी ने कहा कि भारतीय समाज में परंपरा और आधुनिकता एक-दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने परंपरा को लचीलापन प्रदान करने वाली और आधुनिकता को आवश्यक बदलाव लाने वाली शक्ति बताया। परंपरा पुराने सिद्धांतों और सामाजिक मान्यताओं से जुड़ी होती है, जबकि आधुनिकता नए विचार और तकनीकी प्रगति को समाहित करती है। उनका मानना था कि भारतीय समाज को दोनों का संतुलन बनाए रखना चाहिए।

8. श्रीनिवास ने ग्रामीण अध्ययन को समाजशास्त्र में कैसे महत्वपूर्ण बनाया?

उत्तर : श्रीनिवास ने भारतीय गाँवों के सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं का गहन अध्ययन किया। उन्होंने गाँवों को सामाजिक अध्ययन की इकाई के रूप में स्थापित किया। उनके अनुसार, गाँव केवल निवास का स्थान नहीं, बल्कि सामाजिक प्रक्रियाओं और संरचनाओं को समझने का एक माध्यम हैं। उन्होंने नृजातीय पद्धति का उपयोग कर भारतीय समाज में सामाजिक परिवर्तन को दर्ज किया। उनके कार्यों ने ग्रामीण भारत को समझने में नई दिशा प्रदान की।

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