भारत की राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO), जो सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के अंतर्गत आता है, जुलाई 2026 से जून 2027 तक दो बड़े घरेलू सर्वेक्षण करने जा रहा है। ये हैं सर्वभारतीय ऋण और निवेश सर्वेक्षण (AIDIS) तथा कृषि परिवारों का स्थिति आकलन सर्वेक्षण (SAS)। दोनों सर्वेक्षण भारतीय परिवारों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति, विशेषकर वित्तीय और कृषि क्षेत्रों में, समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ये साक्ष्य-आधारित नीतिनिर्माण और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए आवश्यक आंकड़े उपलब्ध कराते हैं।
सर्वभारतीय ऋण और निवेश सर्वेक्षण (AIDIS)
- AIDIS भारत में घरेलू वित्त पर सबसे महत्वपूर्ण सर्वेक्षणों में से एक है।
- इसकी शुरुआत 1951-52 में सर्वभारतीय ग्रामीण ऋण सर्वेक्षण के रूप में हुई थी और 1961-62 में इसमें ऋण और निवेश दोनों को शामिल किया गया।
- NSO इसे लगभग हर दस वर्षों में आयोजित करता है। इसका नवीनतम दौर 2019 में हुआ था।
- सर्वेक्षण ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में परिवारों की ऋणग्रस्तता तथा परिसंपत्ति स्वामित्व से संबंधित आंकड़े जुटाता है।
- यह राष्ट्रीय लेखों की तैयारी, संपत्ति असमानता के विश्लेषण और ऋण बाजार को समझने में मदद करता है।
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), MoSPI तथा अन्य संस्थान इसके निष्कर्षों का उपयोग नीतियां बनाने में करते हैं।
कृषि परिवारों का स्थिति आकलन सर्वेक्षण (SAS)
- SAS की शुरुआत 2003 में किसानों की आर्थिक स्थिति का आकलन करने के लिए हुई थी।
- 2013 में इसे सभी कृषि परिवारों को शामिल करने के लिए विस्तारित किया गया और 2019 में इसे और मज़बूत किया गया।
- यह सर्वेक्षण परिवारों की आय, व्यय, ऋणग्रस्तता, ऋण तक पहुँच, भूमि और पशुधन स्वामित्व, फसल और पशुधन उत्पादन, खेती की तकनीक, प्रौद्योगिकी के उपयोग तथा सरकारी योजनाओं (जैसे फसल बीमा) की उपलब्धता पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है।
- कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, नीति आयोग, शोधकर्ता तथा वित्तीय संस्थान ग्रामीण और कृषि विकास हेतु नीतियां और कार्यक्रम बनाने के लिए इन आंकड़ों का उपयोग करते हैं।
महत्व
दोनों सर्वेक्षण सरकार और वित्तीय संस्थाओं के लिए विश्वसनीय स्रोत के रूप में कार्य करते हैं।
- AIDIS ऋण नीति, वित्तीय समावेशन और परिसंपत्ति वितरण के अध्ययन में सहायक है।
- SAS कृषि नीति, ग्रामीण कल्याण कार्यक्रमों और प्रौद्योगिकी अपनाने के विश्लेषण में सहायक है।
साथ मिलकर ये भारत में परिवारों की भलाई, ऋणग्रस्तता और आजीविका के स्वरूप की व्यापक तस्वीर प्रस्तुत करते हैं।

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