अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), नई दिल्ली ने वर्ष 2025 में एक नया कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम ‘नेवर अलोन’ शुरू किया। इस पहल का उद्देश्य बढ़ती छात्र आत्महत्या की घटनाओं और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता को संबोधित करना है। यह कार्यक्रम विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर शुरू किया गया और इसके तहत व्हाट्सएप पर उपलब्ध वेब-आधारित ऐप के माध्यम से चौबीसों घंटे वर्चुअल और ऑफलाइन परामर्श सुविधा दी जाएगी। इसका लक्ष्य पूरे भारत में छात्रों के लिए किफ़ायती, व्यक्तिगत और सुरक्षित मानसिक स्वास्थ्य जांच उपलब्ध कराना है।
पृष्ठभूमि और आवश्यकता
भारत गंभीर मानसिक स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहा है। वर्ष 2022 में 1.7 लाख से अधिक आत्महत्याएं दर्ज की गईं, जो पिछले पचास वर्षों में सबसे अधिक हैं। इनमें से 35 प्रतिशत मामले 18 से 30 वर्ष आयु वर्ग के युवाओं से जुड़े थे। आत्महत्या एक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार हर 45 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है। निम्न और मध्यम आय वाले देशों पर इसका 73 प्रतिशत बोझ है। भारत में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा कलंक और जागरूकता की कमी इलाज में बड़ी बाधा है, जिसके कारण 70 से 80 प्रतिशत प्रभावित लोग उपचार नहीं लेते।
नेवर अलोन कार्यक्रम की विशेषताएँ
- यह कार्यक्रम छात्रों को व्यक्तिगत मानसिक स्वास्थ्य जांच केवल 70 पैसे प्रति छात्र प्रतिदिन की लागत पर उपलब्ध कराता है (यदि संस्थान में 5000 या अधिक छात्र हों)।
- इसे व्हाट्सएप के माध्यम से सुरक्षित और सरल बनाया गया है।
- छात्र वर्चुअल और ऑफलाइन दोनों तरीकों से परामर्श प्राप्त कर सकते हैं।
- इसमें स्क्रीनिंग, हस्तक्षेप और हस्तक्षेप के बाद की देखभाल की सुविधा है ताकि निरंतर सहयोग मिल सके।
- फिलहाल यह सेवा AIIMS दिल्ली, AIIMS भुवनेश्वर और इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज़ (IHBAS), शाहदरा में उपलब्ध है और इसे आगे और विस्तार देने की योजना है।
क्रियान्वयन और सहयोग
शैक्षणिक संस्थान AIIMS दिल्ली से संपर्क कर इस कार्यक्रम की सदस्यता ले सकते हैं। देशभर के सभी AIIMS संस्थानों को यह सेवा मुफ्त उपलब्ध होगी। यह सुविधा ग्लोबल सेंटर ऑफ इंटीग्रेटिव हेल्थ (GCIH) के माध्यम से दी जाएगी, जिसे AIIMS के पूर्व छात्र डॉ. दीपक चोपड़ा का सहयोग प्राप्त है। GCIH का उद्देश्य समग्र स्वास्थ्य और व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देना है।
कलंक और उपचार की कमी पर ध्यान
भारत में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा सामाजिक कलंक इलाज में बड़ी रुकावट है। कई छात्र डर और सामाजिक दबाव के कारण मदद नहीं लेते। नेवर अलोन का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य पर बातचीत को सामान्य बनाना और गोपनीयता के साथ आसान पहुंच उपलब्ध कराना है। यह कार्यक्रम आत्महत्या रोकथाम के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य दृष्टिकोण पर भी जोर देता है, जिसमें प्रशिक्षित मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की संख्या बढ़ाना और सामाजिक-आर्थिक तनावों का समाधान शामिल है।
महत्व
यह कार्यक्रम विशेष रूप से कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्रों पर केंद्रित है, जो आत्महत्या की घटनाओं के लिहाज़ से संवेदनशील समूह हैं। AI और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के उपयोग से यह समय पर हस्तक्षेप और निरंतर सहयोग सुनिश्चित करता है। इसकी किफ़ायती लागत इसे बड़े शैक्षणिक संस्थानों के लिए संभव बनाती है, जिससे भारत की युवा आबादी के लिए मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की पहुंच को रूपांतरित किया जा सकता है।
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