भारतीय क्रिकेट टीम के लिए एक बड़े व्यावसायिक समझौते के तहत अपोलो टायर्स को लीड स्पॉन्सर चुना गया है। यह घोषणा 16 सितंबर 2025 को हुई, जब बीसीसीआई की कड़ी प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया में कंपनी ने बाजी मारी। तीन साल की यह साझेदारी कुल ₹579 करोड़ की है, जो अगले 142 मुकाबलों (121 द्विपक्षीय और 21 आईसीसी मैचों) को कवर करेगी।
कड़ी प्रतिस्पर्धा और रिकॉर्ड तोड़ बोली
गुरुग्राम स्थित इस टायर कंपनी ने अन्य दावेदारों को पीछे छोड़ दिया—
- कैनवा: ₹544 करोड़
- जे.के. सीमेंट्स: ₹477 करोड़
(बिडिंग से पहले बिरला ऑप्टस पेंट्स बाहर हो गया था)।
बीसीसीआई ने द्विपक्षीय मैचों के लिए प्रति मैच ₹3.5 करोड़ और आईसीसी मुकाबलों के लिए ₹1.5 करोड़ का बेस प्राइस रखा था, लेकिन अपोलो की आक्रामक बोली प्रति मैच औसतन ₹4.77 करोड़ तक पहुंच गई। इससे यह समझौता भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे महंगे स्पॉन्सरशिप कॉन्ट्रैक्ट्स में शामिल हो गया।
नए स्पॉन्सर की आवश्यकता क्यों पड़ी
पिछले लीड स्पॉन्सर ड्रीम11 को ऑनलाइन गेमिंग अधिनियम के तहत नियमों की पाबंदियों के कारण पीछे हटना पड़ा। भविष्य में किसी भी कानूनी विवाद से बचने के लिए बीसीसीआई ने स्पष्ट कर दिया कि बेटिंग, ऑनलाइन गेमिंग, क्रिप्टो या तंबाकू से जुड़ी कंपनियां अब बोली प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकेंगी। इससे अपोलो टायर्स जैसे विश्वसनीय और वैश्विक ब्रांड्स के लिए रास्ता खुला।
अपोलो को इस साझेदारी से क्या मिलेगा
अब अपोलो टायर्स का लोगो टीम इंडिया की जर्सी पर दिखाई देगा—
- सभी द्विपक्षीय सीरीज़ (देश और विदेश दोनों में)
- आईसीसी टूर्नामेंट जैसे टी20 वर्ल्ड कप, चैंपियंस ट्रॉफी और वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप
इससे अपोलो को वैश्विक स्तर पर जबरदस्त दृश्यता और ब्रांड पहचान बढ़ाने का अवसर मिलेगा।
रणनीतिक महत्व
- बीसीसीआई के लिए यह समझौता दर्शाता है कि भारतीय क्रिकेट की ब्रांड वैल्यू लगातार मजबूत है और बदलते नियमों के बावजूद प्रायोजकों का भरोसा बना हुआ है।
- अपोलो टायर्स के लिए यह खेल और युवाओं के बीच ब्रांड को जोड़ने की रणनीति का हिस्सा है। कंपनी पहले भी आईएसएल (इंडियन सुपर लीग) और वैश्विक मोटरस्पोर्ट्स में सक्रिय रही है।
महत्वपूर्ण तथ्य
- नया स्पॉन्सर: अपोलो टायर्स
- पूर्व स्पॉन्सर: ड्रीम11
- डील की वैल्यू: ₹579 करोड़
- अवधि: 3 साल (2025–2028)
- मैच: 142 (121 द्विपक्षीय + 21 आईसीसी)
- औसत प्रति मैच: ₹4.77 करोड़

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