भारत की जैव ईंधन रणनीति में प्रगति
भारत अपनी जैव ईंधन नीति को आगे बढ़ाते हुए डीज़ल में 10% आइसोब्यूटानॉल मिश्रण का परीक्षण कर रहा है। ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) यह परीक्षण कर रहा है क्योंकि इथेनॉल-डीज़ल मिश्रण अपेक्षानुसार सफल नहीं हो पाया था। इस बदलाव का उद्देश्य ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाना, किसानों को सहारा देना और जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता घटाना है।
भारत में इथेनॉल मिश्रण
भारत की जैव ईंधन नीति में इथेनॉल मिश्रण एक अहम कदम रहा है, विशेषकर पेट्रोल के साथ। देश ने निर्धारित समय से पहले ही 20% इथेनॉल मिश्रण हासिल कर लिया। लेकिन डीज़ल के साथ इसका उपयोग तकनीकी चुनौतियों से घिरा रहा। इथेनॉल की संक्षारण प्रवृत्ति और पानी को सोखने की क्षमता से इंजन और पाइपलाइन को नुकसान हुआ। इसके बावजूद, इथेनॉल मिश्रण से किसानों की आय में वृद्धि हुई। मक्का की बढ़ती मांग से उसके दाम दोगुने हुए, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को लाभ मिला।
आइसोब्यूटानॉल
आइसोब्यूटानॉल एक चार-कार्बन अल्कोहल है, जिसका औद्योगिक उपयोग सॉल्वेंट के रूप में होता है। इसमें इथेनॉल की तुलना में अधिक ऊर्जा घनत्व है, जो डीज़ल की ऊर्जा सामग्री के क़रीब है। यह पानी कम सोखता है और जंग का ख़तरा भी कम करता है। यही गुण इसे डीज़ल मिश्रण के लिए एक संभावित विकल्प बनाते हैं। आइसोब्यूटानॉल को स्वतंत्र ईंधन के रूप में या सीएनजी (CNG) के साथ मिलाकर कृषि उपकरणों में भी उपयोग किया जा सकता है।
वर्तमान परीक्षण और सरकारी पहल
ARAI फिलहाल डीज़ल में 10% आइसोब्यूटानॉल मिश्रण की इंजन संगतता और प्रदर्शन की जाँच कर रहा है। सरकार भी लचीले ईंधन विकल्प (फ्लेक्स-फ्यूल) पर विचार कर रही है, जिसमें आइसोब्यूटानॉल और सीएनजी का संयोजन ट्रैक्टरों के लिए होगा। यह पहल राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति (2018) के उद्देश्यों—ऊर्जा विविधीकरण और किसान कल्याण—को मज़बूती देती है।
किसानों और चीनी उद्योग पर प्रभाव
जैव ईंधन के विस्तार से किसानों को मक्का से इथेनॉल उत्पादन में ₹42,000 करोड़ से अधिक की आय हुई है। इथेनॉल से जुड़ा चीनी उद्योग भी तेज़ी से बढ़ रहा है। अच्छे मानसून और बेहतर फसल उत्पादन से 2025-26 सीज़न में चीनी उत्पादन में 20% की वृद्धि की संभावना है। उद्योग संगठन सरकार से गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (FRP) बढ़ाने और निर्यात कोटा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, ताकि चीनी मिलों और किसानों को सहारा मिल सके।
नीति और उद्योग संबंधी सुझाव
सरकारी अधिकारी इथेनॉल उत्पादन बढ़ाने और उन्नत जैव ईंधन तकनीक पर ज़ोर दे रहे हैं। उत्पादकों को बाँस और कृषि अवशेषों से दूसरी और तीसरी पीढ़ी का इथेनॉल विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। वहीं उद्योग जगत गन्ने की बढ़ती लागत को देखते हुए उसके मूल्य संशोधन और निर्यात कोटा बढ़ाने की मांग कर रहा है। इन कदमों से जैव ईंधन क्षेत्र को मजबूती और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा।

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