भारत और मॉरीशस ने एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में चागोस द्वीपसमूह के पास स्थित डीएगो गार्सिया (जहाँ अमेरिका-ब्रिटेन का सैन्य अड्डा है) में एक उपग्रह ट्रैकिंग और संचार स्टेशन स्थापित किया जाएगा। यह कदम हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच भारत की रणनीतिक मौजूदगी को मजबूत करेगा।
यह समझौता मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम की भारत यात्रा के दौरान हुआ। इस केंद्र से भारत अपने उपग्रहों और प्रक्षेपण यानों को ट्रैक कर सकेगा और उनसे डेटा प्राप्त कर सकेगा।
क्यों महत्वपूर्ण हैं चागोस और डीएगो गार्सिया
- भौगोलिक स्थिति: चागोस द्वीपसमूह पूर्वी अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया के बीच सामरिक रूप से अहम स्थान पर है।
- सैन्य महत्व: डीएगो गार्सिया अमेरिका-ब्रिटेन का प्रमुख नौसैनिक और वायु अड्डा है, जिसका उपयोग इराक, अफगानिस्तान और खाड़ी क्षेत्र में अभियानों के लिए किया गया है।
- भारत का लाभ: उपग्रह निगरानी क्षमता में वृद्धि + हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भू-राजनीतिक बढ़त।
संधि की शर्तें और कूटनीतिक पहल
भारत ने मॉरीशस की चागोस द्वीपों पर संप्रभुता (sovereignty) का समर्थन दोहराया, जबकि डीएगो गार्सिया पर ब्रिटेन के निरंतर सैन्य नियंत्रण का भी सम्मान किया। यह “द्वैध मान्यता” भारत को सामरिक पहुँच और कूटनीतिक संतुलन दोनों प्रदान करती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे एक “ऐतिहासिक मील का पत्थर” बताया और उपनिवेशवाद समाप्त करने तथा क्षेत्रीय सहयोग के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।
समुद्री और अंतरिक्ष सहयोग का विस्तार
- संयुक्त हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण और नौवहन चार्टिंग
- भारत मॉरीशस कोस्ट गार्ड के जहाज़ों का पुनः फिटिंग करेगा और अधिकारियों को प्रशिक्षण देगा
- मॉरीशस के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में समुद्री सुरक्षा सहयोग बढ़ेगा
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि मॉरीशस की क्षमता निर्माण और क्षेत्रीय विकास में भारत उसकी प्राथमिक साझेदार है।
मुख्य बिंदु
- समझौता किसके साथ: मॉरीशस
- उद्देश्य: उपग्रह ट्रैकिंग और टेलीमेट्री स्टेशन की स्थापना
- रणनीतिक स्थान: डीएगो गार्सिया (चागोस द्वीपसमूह) के पास
- महत्व: हिंद महासागर में चीन की मौजूदगी का संतुलन

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